मध्य प्रदेश में पीएससी की भर्तियों में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक
मध्य प्रदेश में पीएससी की भर्तियों में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। इस फैसले से 400 से अधिक पदों पर नियुक्तियां प्रभावित होंगी।
जबलपुर, जेएनएन। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने मंगलवार को महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश जारी कर एमपी पीएससी की भर्तियों में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी। मुख्य न्यायाधीश अजय कुमार मित्तल और जस्टिस विजय कुमार शुक्ला की युगलपीठ ने पीएससी की भर्तियों में पूर्व निर्धारित 14 फीसद ओबीसी आरक्षण से अधिक लाभ न दिए जाने की शर्त लागू कर दी है। इससे मध्य प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग (एमपी पीएससी) द्वारा की जा रही 400 से अधिक पदों पर नियुक्तियां प्रभावित होंगी। याचिकाकर्ता आशिता दुबे सहित अन्य की ओर से अधिवक्ता सिद्घार्थ राधेलाल गुप्ता, आदित्य संघी, जाह्नवी पंडित एवं सुयश ठाकुर ने पक्ष रखा, जबकि राज्य शासन की ओर से अधिवक्ता हिमांशु मिश्रा ने पैरवी की।
नवंबर 2019 में जारी हुआ था विज्ञापन
मध्य प्रदेश पीएससी द्वारा नवंबर 2019 में एक विज्ञापन जारी किया गया था। इसके जरिए द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ श्रेणी के पद विज्ञापित किए गए थे। इसके बाद काफी संख्या में आवेदन भरे गए। नियुक्ति प्रक्रिया के अंतर्गत साक्षात्कार भी हो चुके हैं। अंतिम चयन सूची जारी होना शेष है। इसके बावजूद राज्य शासन की ओर से जवाब पेश करने के स्थान पर बार-बार समय लिया जा रहा था। कोर्ट ने विगत सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से आवश्यक रूप से जवाब पेश किए जाने के निर्देश दिए थे। साथ ही अगली सुनवाई 28 जनवरी को निर्धारित कर दी थी। इसके बावजूद राज्य की ओर से पूर्ववत जवाब नदारद ही रहा। लिहाजा, कोर्ट ने सख्त रख अपनाते हुए आदेश पारित कर दिया।
यह है मामला
याचिकाकर्ताओं ने मध्य प्रदेश शासन द्वारा जारी आरक्षण संशोधन अधिनियम-2019 को चुनौती दी गई थी। इस संशोधन के जरिए ओबीसी के लिए पहले से निर्धारित 14 फीसद से बढ़ाकर 27 फीसद आरक्षण किया गया था। याचिका में दलील दी गई संशोधन के कारण प्रदेश में आरक्षण का कुल फीसद 50 से बढ़कर 63 हो गया है। इससे पीएससी की नियुक्ति प्रक्रिया प्रभावित होगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, राज्य शासन द्वारा 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण किसी भी सूरत में नहीं दिया जा सकता है। आरोप है कि ओबीसी आरक्षण बढ़ाने से पूर्व नियमानुसार पिछड़ा वर्ग आयोग से परामर्श नहीं किया गया और बिना किसी सर्वेक्षण या फील्ड स्टडी किए ओबीसी आरक्षण को बढ़ा दिया गया।