जासूसी के दोषी ब्रह्मोस एयरोस्पेस के विज्ञानी निशांत अग्रवाल हाई कोर्ट से बरी, हनी ट्रैप का बने थे शिकार
मुंबई: जासूसी के आरोप में आजीवन कारावास की सजा काट रहे ब्रह्मोस एयरोस्पेस के वैज्ञानिक निशांत अग्रवाल को बॉम्बे हाई कोर्ट ने निर्दोष करार दिया। अदालत ने उन्हें रिहा करने का आदेश दिया, क्योंकि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा कि उन्होंने जानबूझकर पाकिस्तान को जानकारी भेजी। अग्रवाल को हनीट्रैप में फंसाया गया था और उन पर गोपनीय दस्तावेज रखने का आरोप था।

जासूसी के दोषी ब्रह्मोस एयरोस्पेस के विज्ञानी निशांत अग्रवाल हाई कोर्ट से बरी (फाइल फोटो)
राज्य ब्यूरो, मुंबई। जासूसी के मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए ब्रह्मोस एयरोस्पेस लिमिडेट के विज्ञानी निशांत अग्रवाल को बांबे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने निर्दोष करार दिया है। उन पर सिर्फ पर्सनल डिवाइस पर गोपनीय दस्तावेज रखने का आरोप साबित हुआ था।
वह तीन साल से अधिक की सजा वह काट चुके हैं। इसलिए अदालत ने उन्हें रिहा करने का आदेश दिया है। निशांत अग्रवाल इंडो-रशियन ज्वाइंट वेंचर ब्रह्मोस एयरोस्पेस प्रा.लि. के टेक्निकल रिसर्च सेंटर में सीनियर सिस्टम इंजीनियर के रूप में कार्यरत थे।
उन्हें अक्तूबर 2018 में महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश की एसआइटी एवं मिलिट्री इंटेलिजेंस डिपार्टमेंट के संयुक्त आपरेशन में गिरफ्तार किया गया था। उन पर संवेदनशील जानकारियां पाकिस्तान को लीक करने का आरोप लगा था। उस समय उनके लैपटाप एवं कंप्यूटर में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल से जुड़ी कई संवेदनशील जानकारियां मिली थीं।
इसे कंपनी के सिक्योरिटी प्रोटोकाल का उल्लंघन माना गया था और नागपुर सत्र न्यायालय ने अनेक अरोपों के तहत उन्हें 14 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई थी। गौरतलब है कि निशांत अग्रवाल को एक हनी ट्रैप के माध्यम से फंसाया गया था।
प्राप्त जानकारी के अनुसार पाकिस्तानी खुफिया एजेंसियों ने इंटरनेट साइट 'लिंक्डइन' पर सेजल शर्मा नामक एक महिला की नकली प्रोफाइल से निशांत को एक ब्रिटिश एविएशन कंपनी में नौकरी का लालच देकर उन्हें अपने भेजे एक ¨लक पर क्लिक करने को कहा। पेशे से इंजीनियर होते हुए भी निशांत अग्रवाल इस जाल में फंस गए और उनके द्वारा ¨लक पर क्लिक करते ही उनके सिस्टम से कई संवेदनशील जानकारियां पाकिस्तानी हैंडलर्स को पहुंचने लगीं।
भारतीय जांच एजेंसियों को इसका पता चलते ही एक संयुक्त आपरेशन में निशांत अग्रवाल को गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर नागपुर सत्र न्यायालय में आफिशियल सीक्रेट एक्ट एवं इन्फार्मेशन टेक्नोलाजी एक्ट की अलग-अलग धाराओं में मुकदमा चलाया गया, जिसमें कोर्ट ने उन्हें दोषी मानते हुए 14 साल के आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
निशांत अग्रवाल ने इस सजा को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। जिस पर हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने सुनवाई करते हुए जासूसी, देशद्रोह एवं संवेदनशील जानकारियां लीक करने जैसे कई बड़े आरोपों से मुक्त कर दिया है। हाई कोर्ट ने माना है कि संवेदनशील जानकारियां उनके पर्सनल डिवाइस पर थीं, लेकिन अभियोजन पक्ष यह साबित नहीं कर सका कि उन्होंने जानबूझकर या देशद्रोह के इरादे से पाकिस्तान को कोई जानकारी भेजी है।
इसलिए सभी गंभीर आरोपों से उन्हें बरी करते हुए सिर्फ निजी डिवाइस पर संवेदनशील जानकारियां रखने के आरोप में उन्हें सुनाई गई तीन साल की सजा को ही सही माना है। चूंकि अग्रवाल 2018 से लगातार जेल में ही हैं, इसलिए वह तीन साल से अधिक की सजा काट चुके हैं। इसलिए कोर्ट ने उन्हें तुरंत रिहा करने के आदेश दिए हैं।

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