यहां पूर्वजों के आशीर्वाद की छतरी है पेड
कब्रिस्तान में लहलहा रहे हरे-भरे पौधे, परिजन करते हैं देखभाल, पेड़ की छांव में बैठकर मांगते हैं दुआ... ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता (अररिया)। अररिया में मुस्लिम समुदाय के लोग अपने सगे- संबंधियों की मृत्यु के बाद पौधरोपण करते हैं। परिजन इन पौधों की देखरेख भी करते हैं। इसी परंपरा के कारण खलीलाबाद के विशाल कब्रिस्तान में आज सैकड़ों हरे- भरे पेड़ लहलहाते हुए देख जा सकते हैं। पूर्वजों की स्मृति में यहां पौधे लगाने की
परंपरा सदियों से चली आ रही है। लोगों ने बताया कि पूर्वजों के कब्र पर लगाए गए पौधों के पास बैठकर अपने पूर्वजों के लिए दुआ भी मांगते हैं।
जब ये पौधे पेड़ बन जाते हैं, तब इसकी छांव में बैठकर महसूस होता है कि पूर्वज उन्हें आशीर्वाद दे रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां बैठकर दुआ मांगनेवालों की दुआएं कबूल हो जाती हैं। खासकर शब-ए-बरात के मौके पर यहां दुआ मांगने वालों का हुजूम लगा रहता है। वार्ड पार्षद कमाले हक ने बताया कि न जाने कब से यह परंपरा चली आ रही है। नगर उप वार्ड पार्षद अफसाना परवीण बताती हैं कि आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दोनों दृष्टिकोण से पौधरोपण बढ़िया काम है।
वरीय अधिवक्ता मु. जैनुद्दीन का मानना है कि पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के कारण ग्लोबल वार्मिंग का खतरा बढ़ा है। पेड़ों के बिना धरती पर जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। यह खास बात है कि अररिया में सदियों पुरानी इस परंपरा को अब तक जीवित रखा गया है। उन्होंने बताया कि यहां ज्यादातर आम, कटहल, लीची, कदंब, सागवान, बेर आदि के पौधे लगाए जाते हैं। जो पौधे अधिक समय तक जीवित रहते हैं, उन्हें लगाने की कोशिश की जाती है।
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