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    अल्पसंख्यकों की राज्य स्तरीय पहचान पर सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई, केंद्र रखेगा अपना पक्ष

    By Jagran NewsEdited By: Ashisha Singh Rajput
    Updated: Mon, 10 Apr 2023 03:46 AM (IST)

    शीर्ष अदालत ने इससे पहले 17 जनवरी को जम्मू-कश्मीर सहित छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा राज्य स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान के मुद्दे पर अपनी राय नहीं बताने पर नाराजगी व्यक्त की थी। (जागरण - फोटो )

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    मदरसों को मान्यता देने का उत्तर प्रदेश का आदेश रद्द किया गया था।

    नई दिल्ली, पीटीआई। सुप्रीम कोर्ट सोमवार को अल्पसंख्यकों की पहचान राज्य स्तर पर करने के साथ-साथ अल्पसंख्यक मुद्दों से संबंधित विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ अल्पसंख्यकों की पहचान से संबंधित विभिन्न मुद्दों को उठाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। बता दें कि इसमें राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 और अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान अधिनियम, 2004 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देना शामिल है। याचिका के अनुसार 10 राज्यों में हिंदू अल्पसंख्यक हैं।

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    राज्यों से परामर्श करके केंद्र रखेगा अपना पक्ष

    शीर्ष अदालत ने इससे पहले 17 जनवरी को जम्मू-कश्मीर सहित छह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा राज्य स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान के मुद्दे पर अपनी राय नहीं बताने पर नाराजगी व्यक्त की थी। इस मामले में अरुणाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, लक्षद्वीप, राजस्थान और तेलंगाना ने अपनी राय नहीं दी थी। इससे पहले इस याचिका पर केंद्र के बदलते रुख पर नाराजगी व्यक्त करते हुए उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिए थे कि केंद्र सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों से परामर्श करके अपना पक्ष रखे। एक अन्य याचिका में कहा गया है कि सरकार सच्चर समिति की रिपोर्ट के आधार पर कोई कार्रवाई नहीं करे।

    उपाध्याय ने केंद्र के अधिकार को बताया मनमाना और तर्कहीन

    पिछली सुनवाई के दौरान, उपाध्याय ने पीठ को बताया था कि उन्होंने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थान अधिनियम, 2004 की धारा 2 (एफ) की वैधता को चुनौती दी है। उन्होंने इस धारा के तहत केंद्र को प्राप्त अल्पसंख्यक समुदायों की पहचान और अधिसूचित करने के अधिकार को मनमाना और तर्कहीन बताया है। उपाध्याय ने इससे पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2007 के फैसले का हवाला दिया।

    इस निर्णय में सहायता अनुदान के लिए मदरसों को मान्यता देने का उत्तर प्रदेश का आदेश रद्द किया गया था। पीठ ने इससे पहले सुनवाई के दौरान यह भी पूछा कि क्या अल्पसंख्यक का दर्जा जिलेवार तय किया जा सकता है।