'दुष्कर्म के प्रयास' संबंधी फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई, इलाहाबाद HC के फैसले पर SC ने लगाई थी रोक
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के दुष्कर्म के प्रयास संबंधी फैसले पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित काज-लिस्ट के अनुसार जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की पीठ फिर से इस मामले पर सुनवाई शुरू करेगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के विवादित हिस्से पर सुप्रीम कोर्ट ने पिछले दिनों रोक लगा दी थी।
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को एक ऐसे मामले की सुनवाई करेगा जिसमें उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट के फैसले में कहा गया था कि स्तनों को पकड़ना और पायजामे की डोरी तोड़ना दुष्कर्म के प्रयास के आरोप के लिए पर्याप्त नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर प्रकाशित काज-लिस्ट के अनुसार, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस एजी मसीह की पीठ मंगलवार (15 अप्रैल) को पीडि़ता की मां की याचिका सहित इस मामले की सुनवाई फिर से शुरू करेगी।
इलाहाबाद HC के फैसले पर SC ने लगाई थी रोक
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के विवादित हिस्से पर रोक लगाते हुए जस्टिस गवई की अगुवाई वाली पीठ ने 26 मार्च को कहा था कि ऐसी टिप्पणियों से फैसला लिखने वाले की ओर से संवेदनशीलता की कमी और अमानवीय दृष्टिकोण का पता चलता है। पीठ ने कहा कि हमने 17 मार्च के उक्त फैसले और आदेश का अवलोकन किया है। हमें यह कहते हुए बहुत कष्ट हो रहा है कि विवादित आदेश में और विशेष रूप से पैराग्राफ 21, 24 और 26 में की गई कुछ टिप्पणियां फैसला लिखने वाले में संवेदनशीलता की कमी को दर्शाती हैं।
SC ने मामले में क्या कहा?
पीठ ने यह भी कहा कि चूंकि पैराग्राफ 21, 24 और 26 में की गई टिप्पणियां कानून के सिद्धांतों से पूरी तरह अनभिज्ञ हैं और पूरी तरह से असंवेदनशील एवं अमानवीय दृष्टिकोण को दर्शाती हैं, इसलिए हम उक्त टिप्पणियों पर रोक लगाने के लिए इच्छुक हैं। जस्टिस गवई की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि विवादास्पद फैसला क्षणिक आवेग में नहीं दिया गया था, बल्कि आदेश सुरक्षित रखने के चार महीने बाद दिया गया था।
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