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    Supreme Court: 12वीं के बाद एलएलबी तीन साल की हो, इस मांग पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज

    Updated: Mon, 22 Apr 2024 06:00 AM (IST)

    यह जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय ने दाखिल की है जिस पर सोमवार को प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई करेगी। याचिका में उपाध्याय ने मांग की है कि केंद्र सरकार और बार काउंसिल आफ इंडिया को निर्देश दिया जाए कि वे बारहवीं के बाद तीन साल का एलएलबी कोर्स कराने की संभावनाएं तलाशने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करें।

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    बारहवीं के बाद सीधे तीन साल का एलएलबी कोर्स कराए जाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा

     जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। बारहवीं के बाद सीधे तीन साल का एलएलबी कोर्स कराए जाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल जनहित याचिका में स्नातक और एलएलबी के पांच साल के इंटीग्रेटेड कोर्स को अतार्किक कहा गया है। याचिकाकर्ता का कहना है कि जैसे बारहवीं के बाद बेचलर आफ साइंस (बीएससी), बेचलर आफ आ‌र्ट्स (बीए) आदि स्नातक डिग्रियां होती हैं वैसे ही एलएलबी होना चाहिए।

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    यह जनहित याचिका सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्वनी कुमार उपाध्याय ने दाखिल की है जिस पर सोमवार को प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ सुनवाई करेगी। याचिका में उपाध्याय ने मांग की है कि केंद्र सरकार और बार काउंसिल आफ इंडिया को निर्देश दिया जाए कि वे बारहवीं के बाद तीन साल का एलएलबी कोर्स कराने की संभावनाएं तलाशने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करें।

    ये है दूसरी मांग

    दूसरी मांग है कि केंद्र सरकार, बार काउंसिल ऑफ इंडिया और नेशनल ला यूनीवर्सिसटी संघ को निर्देश दिया जाए कि वे कानून के क्षेत्र में बेस्ट टैलेंट को आकर्षित करने और त्वरित न्याय का अधिकार व निष्पक्ष ट्रायल सुनिश्चित करने के लिए एक विस्तृत रोडमैप तैयार करें।

    याचिका में नेशनल ला यूनीर्वसिटीज के पांच साल के बीए-एलएलबी और बीबीए- एलएलबी के कोर्स को अतार्किक बताते हुए कहा गया है कि जब आइआइटी से चार साल में बीटेक होता है तो छात्रों को बीए- एलएलबी और बीबीए-एलएलबी का पांच साल का कोर्स कराने की क्या जरूरत है उन्हें एलएलबी से असंबंद्ध आर्ट और कामर्स का अतिरिक्त ज्ञान देने की क्या जरूरत है।

    पांच साल की तुलना में तीन साल के कोर्स की फीस कम होगी

    याचिकाकर्ता का कहना है कि लंबा और बहुत ज्यादा कोर्स छात्रों को कानून की पढ़ायी के प्रति हतोत्साहित करता है। मेधावी और बहुत गरीब बच्चे इसके बजाए इंजीनियरिंग, सिविल सर्विसेज या कोई और कोर्स चुनते हैं। कहा गया है कि बीए-एलएलबी और बीबीए-एलएलबी दोनों स्नातक कोर्स हैं और ऐसे में छात्र के कैरियर में दोनों की जरूरत नहीं है। पांच साल की तुलना में तीन साल के कोर्स की फीस कम होगी। किसी छात्र ने 12वीं में अगर विज्ञान विषय लिए हैं तो इस कोर्स के लिए आवश्यक रूप से आर्ट या कामर्स पढ़ने का उस पर बोझ डालना प्रताड़ना जैसा है।

    12वीं के बाद स्नातक का एक कोर्स करने का अधिकार

    याचिका में कहा गया है कि छात्रों को 12वीं के बाद स्नातक का एक कोर्स करने का अधिकार है इसके बाद बचे दो साल में वे एलएलएम कर सकते हैं या ज्यूडिशरी के लिए तैयारी कर सकते हैं। एलएलबी के विषयों की पढ़ाई तीन साल में पूरी हो सकती है। मालूम हो कि नेशनल लॉ यूनीवर्सिटी पांच साल का इंटीग्रेटेड लॉ कराती है और भी अन्य डीम्ड विश्वविद्यालय पांच साल का इंटीग्रेटेड लॉ कोर्स कराते हैं।