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    लोक जनशक्ति पार्टी के चुनाव चिह्न विवाद को लेकर सुनवाई स्थगित, चिराग पासवान ने व्यस्तता का दिया हवाला

    By AgencyEdited By: Amit Singh
    Updated: Tue, 29 Nov 2022 05:04 PM (IST)

    लोक जनशक्ति पार्टी के चुनाव चिह्न विवाद को निपटाने के लिए चुनाव आयोग द्वारा मंगलवार को निर्धारित की गई सुनवाई स्थगित कर दी गई है। पार्टी के चुनाव चिह्न को लेकर चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व वाले दो धड़ों के बीच विवाद है।

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    लोक जनशक्ति पार्टी के चुनाव चिन्ह विवाद को लेकर सुनवाई स्थगित

    नई दिल्ली, पीटीआई: लोक जनशक्ति पार्टी के चुनाव चिह्न विवाद को निपटाने के लिए चुनाव आयोग द्वारा मंगलवार को निर्धारित की गई सुनवाई स्थगित कर दी गई है। पार्टी के चुनाव चिह्न को लेकर चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व वाले दो धड़ों के बीच विवाद है। चिराग पासवान ने गुजरात विधानसभा चुनावों में व्यस्तता के कारण सुनवाई स्थगित करने की मांग की थी। चुनाव आयोग ने निर्वाचन सदन में मंगलवार दोपहर व्यक्तिगत सुनवाई के लिए चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व वाले गुटों को बुलाया था।

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    गुजरात चुनाव में व्यस्तता का दिया हवाला

    समाचार एजेंसी पीटीआई द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक, चिराग पासवान ने हाल ही में सुनवाई को लेकर स्थगन की मांग करते हुए कहा था कि वो गुजरात विधानसभा चुनाव में व्यस्त हैं। गुजरात में एक और पांच दिसंबर को मतदान विधानसभा चुनाव होने हैं। मामले में सुनवाई के लिए चुनाव आयोग ने अभी नई तारीखों की घोषणा नहीं की है।

    पार्टी का नाम और चिह्न इस्तेमाल करने पर रोक

    चुनाव आयोग ने अक्टूबर 2021 में अपने अंतरिम आदेश में दोनों गुटों के बीच विवाद के चलते पार्टी का नाम लोक जनशक्ति पार्टी और उसके प्रतीक 'बंगला' के नाम का इस्तेमाल करने से रोक लगा दी थी। पासवान गुट को अब लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के रूप में जाना जाता है और उनके पास हेलीकॉप्टर का चिह्न है, जबकि उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी गुट को राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी और सिलाई मशीन को उसके चुनाव चिन्ह के रूप में नामित किया गया है।

    रामविलास पासवान की मौत के बाद उठा विवाद

    आपको बता दें, लोजपा नेता रामविलास पासवान के 2020 में निधन के बाद उनके बेटे चिराग पासवान और दिवंगत नेता के भाई पारस ने पार्टी के नेतृत्व पर दावा पेश किया था। जिसके बाद विवाद होने पर दोनों ही पक्षों ने इस संबंध में चुनाव आयोग से संपर्क किया था।

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