पान मसाला की कमाई से बनेगा स्वास्थ्य-सुरक्षा कोष, वित्त मंत्री का बड़ा एलान
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में कहा कि नया स्वास्थ्य सुरक्षा उपकर आम लोगों पर नहीं लगेगा। यह केवल पान मसाला और तंबाकू जैसे हानिकारक उत्पादो ...और पढ़ें

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण। फाइल फोटो
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लोकसभा में गुरुवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साफ किया कि सरकार जो नया स्वास्थ्य सुरक्षा तथा राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर ला रही है, उसका बोझ आम लोगों पर नहीं पड़ेगा। यह उपकर सिर्फ डिमेरिट उत्पादों, यानी सेहत के लिए हानिकारक वस्तुओं पर लगेगा।
विशेष रूप से पान मसाला और तंबाकू उत्पादों पर। मंत्री ने कहा कि जरूरी सामान और रोजमर्रा की चीजें इस उपकर के दायरे में नहीं आएंगी। इसलिए आम उपभोक्ताओं की जेब पर कोई असर नहीं होगा।
स्वास्थ्य उपकर का बोझ आम आदमी पर नहीं
वित्त मंत्री ने बताया कि सरकार का उद्देश्य पान मसाला और तंबाकू जैसे हानिकारक उत्पादों की खपत कम करना है और इनसे होने वाली कमाई को देश की स्वास्थ्य सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने में लगाना है।
इसी मकसद से यह पूरा तंत्र तैयार किया गया है। उन्होंने कहा कि पान मसाला पर पहले से ही 40 प्रतिशत का ऊंचा जीएसटी लगता है। इसलिए इस पर पारंपरिक तरीके से उत्पाद शुल्क नहीं लगाया जा सकता। ऐसे में सरकार उत्पादन क्षमता आधारित उपकर ला रही है।
हानिकारक उत्पादों पर लगेगा नया उपकर
इसमें हर फैक्ट्री की मशीनों की क्षमता के अनुसार कर देनदारी तय होगी। उन्होंने इसे पारदर्शी और स्पष्ट व्यवस्था बताते हुए कहा कि इससे उत्पादन और खपत दोनों चरणों में सुव्यवस्थित कर ढांचा बनेगा।
जीएसटी से टकराव नहींउन्होंने कहा कि यह नया तंत्र जीएसटी ढांचे के साथ किसी तरह का टकराव नहीं करेगा और न ही राज्यों की हिस्सेदारी कम होगी। अभी पान मसाला और तंबाकू पर 28 प्रतिशत जीएसटी के ऊपर क्षतिपूर्ति उपकर लगता है, जो मार्च 2026 में समाप्त होना है।
उत्पादन क्षमता पर आधारित होगा कर
इसके बाद भी इन हानिकारक उत्पादों पर मजबूत कर व्यवस्था बनाए रखने के लिए यह नया ढांचा लाया जा रहा है। इसी क्रम में बुधवार को लोकसभा ने उत्पाद शुल्क कानून में संशोधन कर तंबाकू पर जीएसटी के साथ-साथ उत्पाद शुल्क लगाने का रास्ता भी साफ कर दिया।
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार तंबाकू की खेती करने वाले किसानों को वैकल्पिक नकदी फसलों की ओर प्रेरित कर रही है। बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, बंगाल, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, तमिलनाडु, तेलंगाना और कर्नाटक में एक लाख एकड़ से अधिक भूमि को तंबाकू खेती से दूसरी फसलों में बदला जा चुका है।

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