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    अमेरिकी जज की नजर में निर्मल गंगा योजना जबरदस्त, कहा- गंदगी के बाद भी लोगों ने नहीं तोड़ा नाता

    By Prateek KumarEdited By:
    Updated: Tue, 09 Apr 2019 08:23 PM (IST)

    जस्टिस विल्सन ने मंगलवार को कहा कि जब कोई गंगा में जाता है तो वह न केवल भीगता है बल्कि प्रेरित भी होता है। यह एक बेमिसाल सामुदायिक परियोजना है।

    अमेरिकी जज की नजर में निर्मल गंगा योजना जबरदस्त, कहा- गंदगी के बाद भी लोगों ने नहीं तोड़ा नाता

    नई दिल्ली, प्रेट्र। अमेरिकी राज्य हवाई के सुप्रीम कोर्ट के जज और अमेरिकी राज्य में पर्यावरण कानूनों के विशेषज्ञ जस्टिस माइकल डी. विल्सन ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गंगा की तरफ एक सांस्कृतिक रुझान है। स्वच्छ नदी के लिए यह भारतीय समाधान होगा। उन्होंने कहा कि मोदी को गंगा नदी की परवाह है। साथ ही उन्होंने निर्मल गंगा योजना को एक जबरदस्त सामुदायिक परियोजना बताया है।

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    जस्टिस विल्सन ने मंगलवार को कहा कि जब कोई गंगा में जाता है तो वह न केवल भीगता है बल्कि प्रेरित भी होता है। यह एक बेमिसाल सामुदायिक परियोजना है। उन्होंने कहा कि इतने अधिक प्रदूषण के बावजूद गंगा से लोगों ने नाता नहीं तोड़ा है। लोग उसका सम्मान करते हैं।

    इसके पौराणिक नजरिए से इसका 'भारतीय समाधान' हो सकता है। यह एक संस्कृति है जो अनंत में विश्वास करती है। यह प्रतिबद्धता 2000 सालों से भी अधिक समय से संस्कृति और मान्यताओं में नजर आती है। भारतीय मौजूदा ग्लोबल वार्मिग के दौर और कार्बन उत्सर्जन के उच्च स्तरों को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और मोदी के बीच समानता के बारे में पूछे जाने पर जस्टिस विल्सन ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच बहुत बड़ा अंतर है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नदियों की परवाह है। उन्होंने कहा कि लोग उनकी तुलना ट्रंप से करते हैं। दोनों में कुछ मामलों में तुलना हो सकता है, लेकिन दोनों के बीच बहुत बड़ा अंतर है।

    उन्होंने कहा कि मैं जानता हूं कि सभी नेताओं में कुछ हद तक अतिशियोक्ति और वाकपटुता होती है। लेकिन, मुझे इस बारे में कोई संदेह नहीं है कि वह गंगा नदी से बेहद लगाव रखते हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी के बीच यही सबसे बड़ा अंतर है।

    बढ़ते वायु प्रदूषण पर जस्टिस विल्सन ने कहा कि यह इतना जटिल मामला नहीं है। यह सिर्फ इच्छाशक्ति का सवाल है। उन्होंने कहा कि यह कठिन प्रशासनिक सिद्धांत या विज्ञान का मामला नहीं है। मुख्य समस्या जीवाश्म ईंधन का जलना और कृषि क्षेत्र से होने वाला प्रदूषण है। उल्लेखनीय है कि जस्टिस विल्सन ओपी जिंदल यूनिवर्सिटी के एक कार्यक्रम लेक्चर देने भारत आए थे।

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