पाकिस्तान नहीं, टेररिस्तान कहिए; पड़ोसी देश की धरती से ऑपरेट होते हैं ये खूंखार आतंकी संगठन
पाकिस्तान में ये सभी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हरकत उल-मुजाहिदीन, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और हक्कानी नेटवर्क प्रमुख रूप से नापाक हरकतों को अंजाम दे रहे हैं।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। Pulwama Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए फिदायीन हमले के बाद केंद्र सरकार पर एक बार फिर से पाकिस्तान स्थित आतंकी कैंपों के खिलाफ कार्रवाई करने का दबाव है। इस हमले में 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हुए हैं। पुलवामा आतंकी हमले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इस हमले की पड़ोसी मुल्क को बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि आतंकी बड़ी गलती कर चुके हैं। हमने सुरक्षाबलों को खुली छूट दे दी है। पीएम ने कहा कि इस हमले का देश एकजुट होकर मुकाबला कर रहा है। देश एक साथ है। देश का एक ही स्वर है, क्योंकि लड़ाई हम जीतने के लिए लड़ रहे हैं।
इससे पहले 3 नवंबर 2017 को अमेरिका ने पाकिस्तान को भारत और अफगानिस्तान में सक्रिय लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मुहम्मद और हरकत-उल-मुजाहिदीन समेत 20 आतंकी संगठनों के नामों की सूची दी थी। अमेरिकी सूची में पाकिस्तान के तीन तरह के आतंकी संगठनों की सूची है। इनमें से कई ऐसे हैं जो कश्मीर में हमले करते हैं। दूसरे, अफगानिस्तान को निशाना बनाने वाले हैं और तीसरे वह आतंकी संगठन हैं जो पाकिस्तान के अंदर ही हमले करते हैं।
अमेरिका का मानना है कि यह सभी आतंकी संगठन पाकिस्तान की सरजमीं से भारत और अफगानिस्तान को निशाना बना रहे हैं। खूंखार आतंकवादी संगठनों की इस सूची में अमेरिका ने हक्कानी नेटवर्क को सबसे ऊपर रखा है। अमेरिका का मानना है कि यह आतंकी संगठन उत्तर पश्चिमी पाकिस्तान के कबाइली इलाके में सक्रिय है। यह वहीं से अफगानिस्तान पर हमले करता है। कूटनीतिक सूत्रों के अनुसार खासतौर पर भारत को निशाना बनाने वाले पाकिस्तानी आतंकी संगठनों हरकत-उल-मुजाहिदीन, जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के भी नाम सूची में शामिल हैं। हरकत मुख्यत: कश्मीर को ही निशाना बनाता है।
अमेरिका का कहना है कि इस आतंकी संगठन का ताल्लुक ओसामा बिन लादेन और अलकायदा से रहा है। इसी तरह जैश-ए-मुहम्मद भी भारतीय क्षेत्र के कश्मीर को ही निशाने पर रखता है। पाकिस्तान में ये सभी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद, हरकत उल-मुजाहिदीन, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान और हक्कानी नेटवर्क प्रमुख रूप से नापाक हरकतों को अंजाम दे रहे हैं। पाकिस्तान में मौजूद प्रमुख आतंकी संगठनों पर एक नजर...
जैश-ए-मोहम्मद और मसूद अजहर
आतंकी मौलाना मसूद अजहर ने 31 जनवरी, 2000 को जैश ए-मोहम्मद (जेईएम) का गठन किया। इसका मुख्यालय पाकिस्तान के बहावलपुर में है। जेईएम का मकसद कश्मीर को भारत से अलग कर पाकिस्तान में शामिल करवाना है। 1999 में भारतीय विमान की हाईजैकिंग, 2001 में संसद हमले और 2016 में पठानकोट हमले में मसूद का हाथ था। 2016 और इस साल संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा मसूद को आतंकी घोषित किए जाने संबंधी फैसले पर चीन अड़गा लगा चुका है। लश्कर-ए-तैयबा और हाफिज सईद 1990 में आतंकी हाफिज सईद के नेतृत्व में गठन हुआ। 50 हजार आतंकी हैं। कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाना इसका मकसद है। पाकिस्तान के मुदरीके शहर में मुख्यालय है। वहां आतंकी ट्रेनिंग कैंप चलते हैं। 2001 में भारतीय संसद पर हमले और 2006 व 2008 में मुंबई बम धमाके का जिम्मेदार। सईद पाकिस्तान में नजरबंद है। उसका संगठन जमात उद दावा भी आतंकी गतिविधियों में शामिल है। अमेरिका सईद पर एक करोड़ डॉलर के इनाम की घोषणा कर चुका है।
तालिबान
1994 में अस्तित्व में आया। इसमें 60 हजार आतंकी हैं। अफगानिस्तान से अमेरिकी फौज ने खदेड़ा तो पाकिस्तान ने शरण दी। अफगानिस्तान के कांधार और पाकिस्तान के क्वेटा व पेशावर में इसके मुख्यालय हैं। पाकिस्तान में इसके आतंकी तैयार होते हैं। हिबतुल्लाह अखुंदजदा इसका मुखिया है।
अल-कायदा और जवाहिरी
1988 में आतंकी ओसामा बिन लादेन की सरपरस्ती में सक्रिय हुआ। 92 हजार से अधिक आतंकी हैं। पाकिस्तान में इसके ट्रेनिंग कैंप हैं। 2001 में अमेरिका में आतंकी हमले के दोषी ओसामा को 2011 में पाकिस्तान के एबटाबाद में अमेरिका ने मार गिराया। अयमान अल जवाहिरी इसका मौजूदा मुखिया है।
तहरीक-ए-तालिबान
पाकिस्तान (टीटीपी) 2007 में आतंकी बैतुल्लाह महसूद के नेतृत्व में स्थापना हुई। 13 आतंकी संगठन शामिल हुए। इसमें 25 हजार आतंकी हैं। इसका वर्चस्व पाकिस्तान और अफगानिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में है। इसे पाकिस्तानी तालिबान भी कहते हैं। मौलाना फैजलुल्लाह मौजूदा नेता है।
हक्कानी नेटवर्क
1980 से पाकिस्तान और अफगानिस्तान में सक्रिय है। 15 हजार आतंकी हैं। अलकायदा को ताकतवर बनाने में इसकी प्रमुख भूमिका है। पाकिस्तानी सेना और खुफिया एजेंसी आइएसआइ पर इसकी मदद का आरोप है। जलालुद्दीन हक्कानी और सिराजुद्दीन हक्कानी इसके प्रमुख हैं।
हरकत-उल-मुजाहिदीन
1985 में इसका गठन हुआ। 1989 से यह कश्मीर में आतंक फैला रहा है। 1993 में यह हरकत-उल-जिहाद अल-इस्लामी से जुड़ा और हरकत-उल अंसार आतंकी संगठन बनाया। आतंकी फजलुर रहमान खलील इसका मुखिया है। संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और ब्रिटेन इसे आतंकी संगठन घोषित कर चुके हैं।
जुंदल्लाह
यह 1996 से सक्रिय है। तहरीक-ए- तालिबान से इसका जुड़ाव है। संगठन में करीब एक हजार आतंकी हैं। 2014 से यह आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के साथ काम कर रहा है। अहमद मरवात इसका प्रमुख प्रवक्ता है।
लश्कर-ए-झांगवी
1996 में इसका गठन हुआ। अकरम लाहौरी, गुलाम रसूल शाह, आसिफ छोटू इसके प्रमुख नेता है। बसरा, मलिक, शाह मारे जा चुके हैं और इशाक गिरफ्तार हो चुका है। 2009 में श्रीलंकाई क्रिकेट टीम पर आतंकी हमले के साथ ही यह संगठन कई बड़े हमलों को अंजाम दे चुका है।
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