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    Cough Syrups Controversy: मेडेन फार्मास्युटिकल्स को कारण बताओ नोटिस, कंपनी से कफ सिरफ का उत्पादन बंद

    By AgencyEdited By: Achyut Kumar
    Updated: Wed, 12 Oct 2022 10:37 AM (IST)

    हरियाणा के ड्रग कंट्रोलर ने मेडेन फार्मास्युटिकल्स को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। ऐसा उसके द्वारा कारखाने में गुणवत्ता परीक्षण उल्लंघन करने पर किया गया है। अधिकारियों ने कहा कि वे मेडेन फार्मा द्वारा उत्पादित कफ सिरप के नमूनों का परीक्षण कर रहे थे।

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    हरियाणा दवा नियंत्रक ने मेडेन फार्मा को जारी किया कारण बताओ नोटिस

    नई दिल्ली, रायटर्स। भारतीय राज्य हरियाणा के ड्रग कंट्रोलर ने मेडेन फार्मास्युटिकल्स को उसके कारखाने में गुणवत्ता परीक्षण उल्लंघन के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। अधिकारियों ने कहा कि पिछले हफ्ते वे विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा गाम्बिया में दर्जनों बच्चों की मौत से जुड़े मामले में निर्यात के लिए मेडेन फार्मा द्वारा तैयार किए गए कफ सिरप के नमूनों का परीक्षण कर रहे थे।

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    मेडेन फार्मास्युटिकल्स से कफ सिरप का उत्पादन बंद

    हरियाणा सरकार ने मेडेन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड द्वारा कफ सिरप का उत्पादन बंद कर दिया है। राज्य के गृह मंत्री अनिल विज ने बताया, 'सोनीपत की फार्मास्युटिकल कंपनी की डब्ल्यूएचओ द्वारा बताई गई 3 दवाओं के सैंपल कोलकाता के सेंट्रल ड्रग लैब भेजे गए थे। अभी रिपोर्ट नहीं आई है। रिपोर्ट आने के बाद कार्रवाई की जाएगी।

    कंपनी का लाइसेंस निरस्त

    बता दें, गाम्बिया में कफ सिरप पीने से 66 बच्चों की मौत हो गई थी। बताया जाता है कि सिरप को बनाने में नियमों का पालन नहीं किया गया। दवाओं के बैच नंबर और एक्सपायर डेट में भी काफी खामियां मिली हैं। इतना ही नहीं, दवा में जो साल्ट प्रयोग किया जाता है, उसके परीक्षण की व्यवस्था भी कंपनी में नहीं की गई थी। फिलहाल अधिकारियों ने कंपनी का लाइसेंस निरस्त किए जाने की सिफारिश की है। सैंपल की जांच रिपोर्ट आने पर उचित कार्रवाई की जाएगी।

    WHO ने चार दवाओं को जानलेवा घोषित किया

    दरअसल, विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत की बच्चों की खांसी से संबंधित चार दवाओं को जानलेवा घोषित किया है। कई देशों में इस सिरप को पीने के बाद बच्चों की तबीयत बिगड़ने की बात सामने आई है। डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के बाद कंपनी के छह ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान लिए गए पांच नमूनों को जांच के लिए भेजा गया था। तीन दिन अफसरों ने रिकार्ड की जांच की थी।

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    जांच टीम को मिली कई खामियां

    गौरतलब है कि हरियाणा और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन गाजियाबाद की टीम ने गाम्बिया में बच्चों की मौत मामले की जांच की। इस दौरान टीम को कई खामियां मिली। दवाओं में न तो निर्माता का नाम था और न ही बनाने की तारीख। यही नहीं, प्रोपलीन ग्लाइकोल की गुणवत्ता के परीक्षण की व्यवस्था भी कंपनी में नहीं थी।

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