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    जन विश्वास बिल: हरियाणा में छोटे अपराधों पर नहीं होगी जेल, आखिर क्‍यों कानून बदलने की तैयारी में सैनी सरकार?

    Updated: Fri, 25 Jul 2025 06:33 PM (IST)

    Haryana Jan Vishwas Bill हरियाणा विधानसभा के आगामी मानसून सत्र में जन विश्वास विधेयक पेश किया जाएगा जिसका उद्देश्य छोटे-मोटे अपराधों से आरोपियों को राहत देना है। अब जेल की सजा के बजाय जुर्माना होगा जिससे न्यायपालिका पर बोझ कम होगा। सवाल ये है कि आखिर नायब सिंह सैनी सरकार हरियाणा में कानून बदलना क्‍यों चाहती है?

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    Haryana Vidhan Sabha Monsoon Session: जन विश्वास विधेयक पर आगे बढ़ती सरकार। फाइल फोटो

    अनुराग अग्रवाल, राज्य ब्यूरो। हरियाणा विधानसभा के आगामी मानसून सत्र में प्रदेश सरकार जन विश्वास विधेयक पेश करने जा रही है। यह विधेयक, जिसे 27 जुलाई, 2023 को लोकसभा और 2 अगस्त, 2023 को राज्यसभा में पारित किया गया, छोटे-मोटे अपराधों से आरोपियों को राहत प्रदान करेगा।

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    यह राज्य में निवेश के माहौल को बढ़ावा देने और व्यापार को अनुकूल बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस ऐतिहासिक विधेयक के माध्यम से नियामक बाधाओं को समाप्त करने में सहायता मिलेगी और सरकारी विभागों में अनुपालन का बोझ कम किया जा सकेगा।

    जन विश्वास विधेयक की महत्ता इसलिए अधिक है, क्योंकि इसका उद्देश्य राज्य की व्यापार प्रणाली में सहजता लाना है। वर्तमान में व्यापार करने के लिए कई नियमों का पालन करना आवश्यक है, जिनका उल्लंघन होने पर भारी जुर्माना और कई मामलों में जेल की सजा भी हो सकती है।

    देश में कुल कितने कानून और कितने प्रावधान हैं?

    देश में कुल 1,536 कानून हैं, जिनमें 70,000 प्रविधान शामिल हैं। इनमें से अधिकांश के नियम सूक्ष्म, लघु और मध्यम श्रेणी के उद्यमों (एमएसएमई सेक्टर) के विकास में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। जन विश्वास विधेयक का मुख्य लक्ष्य इन व्यवस्थाओं की उलझनों को कम करना और पुराने नियमों में वर्तमान की स्थिति के अनुसार बदलाव करना है।

    इस विधेयक का उद्देश्य कड़े नियमों में कमी लाना है, ताकि लोगों का डर कम किया जा सके। कई लोग छोटे-छोटे अपराधों के कारण जेल की सजा और जुर्माने से भयभीत रहते हैं। विधेयक में बदलाव होने से व्यवसायों को बढ़ावा मिलेगा और जीवन यापन में आसानी होगी। उद्योग एवं वाणिज्य विभाग ने राज्य के 37 विभागों के 230 अधिनियमों की समीक्षा शुरू कर दी है।

    हरियाणा के लिए क्यों जरूरी है जन विश्वास बिल?

    हरियाणा सरकार का दृष्टिकोण केंद्र की मोदी सरकार के समान समग्र है। चाहे औद्योगिक स्वीकृतियों को सुव्यवस्थित करना हो, भू-अभिलेखों का डिजिटलीकरण करना हो या भवन बिल्डिंग कोड को सरल बनाना हो, हर उपाय का उद्देश्य निवेशकों का भरोसा बढ़ाना और उद्यम को सहायता प्रदान करना है।

    हरियाणा के लिए यह विधेयक इसलिए भी आवश्यक है, क्योंकि गुरुग्राम, फरीदाबाद, सोनीपत, करनाल, हिसार, अंबाला और पानीपत जिले आर्थिक गतिविधियों के प्रमुख केंद्र बन चुके हैं।

    केंद्र सरकार की दृष्टि में औद्योगिक विकास और आर्थिक गतिशीलता के मामले में हरियाणा देश के प्रमुख राज्यों जैसे गुजरात, तेलंगाना, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के समकक्ष है। इसी कारण पिछले एक दशक में हरियाणा ने तीन प्रमुख विभागों में 36 पुराने अधिनियमों को निरस्त किया है और 37 छोटे आपराधिक प्रविधानों को हटाया है।

    जन विश्वास विधेयक कानूनी आधुनिकीकरण के अगले चरण का प्रतीक है। हरियाणा सरकार ने राज्य-स्तरीय ईज ऑफ डूइंग बिजनेस (ईओडीबी) प्रकोष्ठ की स्थापना की है, जिसका उद्देश्य नए सुधारों का सुव्यवस्थित और प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना है।

    मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी की देखरेख में यह प्रकोष्ठ विभिन्न विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर जन विश्वास विधेयक के मसौदे पर चर्चा कर रहा है। जन विश्वास विधेयक के लागू होने के बाद हरियाणा में व्यापार करने में आसानी होगी।

    कुछ अपराधों के लिए अब जेल की सजा के बजाय जुर्माना या अन्य दंडात्मक प्रविधान किए जा सकेंगे। इस कानून के लागू होने से न्यायपालिका पर बोझ कम होगा, अनावश्यक मुकदमेबाजी से राहत मिलेगी और छोटे अपराधों के लिए कारावास की सजा को समाप्त किया जाएगा।

    हालांकि, इस विधेयक की कुछ आलोचनाएं भी हैं, जैसे कि दवा उद्योग में घटिया दवाओं के निर्माताओं के लिए संभावित जोखिम। इस पर सुधार के लिए विधेयक में प्रविधान करने पर चर्चा की जा रही है। विधेयक में यह सुनिश्चित किया जाएगा कि देश और प्रदेश के लोग सरकार और विभिन्न संस्थानों पर भरोसा करें।

    जुर्माना की राशि कब-कब बढ़ाई जाएगी?

    मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी का मानना है कि इस विधेयक के पास होने से उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के साथ-साथ पर्यावरण, कृषि, मीडिया, उद्योग, व्यापार और प्रकाशन के क्षेत्रों में भी राहत मिलेगी। इंडियन पोस्ट ऑफिस एक्ट, 1898 के तहत जो अपराध आते हैं, उन पर लगने वाला जुर्माना समाप्त कर दिया जाएगा।

    इस विधेयक के अंतर्गत यदि कानून का उल्लंघन होता है, तो पहले जांच होगी और फिर समन जारी किए जाएंगे। जुर्माने की राशि को हर तीन साल में एक बार बढ़ाया जाएगा।

    वनों में अतिक्रमण, लकड़ी काटना और मवेशियों के वन एवं खेतों में घुसने पर पहले छह माह की सजा का प्रविधान था, जो अब केवल 500 रुपये के जुर्माने में परिवर्तित किया जाएगा।

    सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत तीन साल की सजा का प्रविधान समाप्त कर जुर्माने की राशि को केवल पांच लाख रुपये तक सीमित किया जाएगा। वायु (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1981 के अंतर्गत छह साल की सजा का प्रविधान समाप्त किया जाएगा।

    पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के अंतर्गत पांच साल की जेल का प्रविधान समाप्त होगा और जुर्माने की राशि को एक लाख से 15 लाख रुपये तक किया जा सकेगा। इस प्रकार जन विश्वास विधेयक हरियाणा में व्यापारिक माहौल को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।