हरियाणा-पंजाब के लोगों को नहीं होगी पानी की दिक्कत, सुलझ गया जल विवाद; लेकिन यहां फंस सकता है मामला
हरियाणा और पंजाब चार दशक पुराने जल विवाद को सुलझाने के लिए तैयार हैं। केंद्र की मध्यस्थता में हुई बैठक में दोनों राज्यों ने विवाद को जल्द सुलझाने के संकेत दिए। 5 अगस्त को फिर बैठक होगी जहां सहमति बनने की संभावना है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट में 13 अगस्त को सुनवाई होनी है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चार दशक से अधिक पुराने जल विवाद को सुलझाने के लिए हरियाणा और पंजाब अब राजी हो गए है। दोनों ही राज्यों ने बुधवार को केंद्र की अगुवाई में हुई बैठक में जल्द ही इस विवाद को सुलझाने के संकेत दिए। साथ ही कहा कि हम दो राज्य नहीं बल्कि दो भाई है।
जल विवाद को सुलझाने के लिए दोनों राज्यों के बीच 5 अगस्त को फिर बैठक होगी। माना जा रहा है कि इस बैठक में दोनों ही राज्यों के बीच कोई सहमति बन सकती है। वैसे भी सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की 13 अगस्त को सुनवाई होनी है।
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल की अगुवाई में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों की मौजूदगी में हुई इस बैठक में दोनों राज्य इस विवाद को जल्द सुलझाने को लेकर राजी दिखे। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने तो केंद्रीय जल शक्ति मंत्री पाटिल से इसे सुलझाने के लिए फास्ट ट्रैक बैठक की मांग की।
उन्होंने कहा कि सतलुज-यमुना लिंक नहर के मुद्दे पर यह बैठक बुलाई गई थी। उन्होंने अपना पक्ष रखा है और कहा है कि उन्हें हरियाणा को पानी देने में कोई दिक्कत नहीं है बशर्ते झेलम से उन्हें 23 मिलियन एकड़ फिट से अधिक पानी मिले। केंद्र सरकार को इसे लेकर योजना बनानी चाहिए।
एक सवाल के जवाब में मान ने कहा कि हरियाणा हमारा कोई दुश्मन नहीं है। हम दो राज्य नहीं बल्कि दो भाई है, लेकिन हम पंजाब का हक भी मारने नहीं देंगे। वैसे भी पानी के मुद्दे पर अब तक काफी राजनीति हो चुकी है, जो हम नहीं चाहते है।
क्या बोले सीएम नायब सिंह सैनी?
इस बीच हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी मीडिया से बात करते हुए कहा कि जल बंटवारे को लेकर केंद्रीय मंत्री पाटिल की अगुवाई में पंजाब के साथ उनकी सार्थक बैठक हुई है। पंजाब-हरियाणा दोनों भाई-भाई है। हम दोनों ने ही एक-दूसरे हितों को देखते हुए जल्द ही विवाद को सुलझाने को लेकर सहमत है।
बता दें कि हरियाणा-पंजाब के बीच सतलुज-यमुना लिंक नहर बनाने को लेकर सहमति 1976 में बनी थी। हरियाणा ने इसके तहत अपने क्षेत्र में नहर तो बना दिया लेकिन पंजाब ने नहीं बनाया। इस परियोजना के तहत पंजाब से होकर ही हरियाणा को पानी आना है। इसके अतिरिक्त भी दोनों राज्यों के बीच पानी को लेकर कई और विवाद है।
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