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    Gyanvapi Case: ज्ञानवापी मामले पर 20 नवंबर को होगी सुनवाई, सबसे पहले विशेष अनुमति याचिका पर होगा विचार

    By Jagran NewsEdited By: Jeet Kumar
    Updated: Tue, 07 Nov 2023 05:30 AM (IST)

    मस्जिद पक्ष ने मंदिर पक्ष के ज्ञानवापी परिसर में मां श्रृंगार गौरी और अन्य देवी-देवताओं के होने का दावा करते हुए उनकी पूजा-अर्चना के अधिकार मांगे जाने के मुकदमे को पूजा स्थल कानून के आधार पर चुनौती दी है। मस्जिद पक्ष का कहना है कि पूजा स्थल कानून कहता है कि किसी भी धार्मिक स्थल का वही चरित्र रहेगा जो 15 अगस्त 1947 को था।

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    ज्ञानवापी मामले पर 20 नवंबर को होगी सुनवाई

     जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को समय की कमी के कारण ज्ञानवापी मामले की सुनवाई नहीं हो सकी। अब कोर्ट इस मामले पर 20 नवंबर को सुनवाई करेगा। 20 नवंबर को होने वाली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट सबसे पहले अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी की उस विशेष अनुमति याचिका पर विचार करेगा, जिसमें मंदिर पक्ष के मूलवाद (मुकदमे) की सुनवाई योग्यता पर सवाल उठाया गया है।

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    धार्मिक स्थल का चरित्र नहीं बदला जा सकता

    मस्जिद पक्ष ने मंदिर पक्ष के ज्ञानवापी परिसर में मां श्रृंगार गौरी और अन्य देवी-देवताओं के होने का दावा करते हुए उनकी पूजा-अर्चना के अधिकार मांगे जाने के मुकदमे को पूजा स्थल कानून के आधार पर चुनौती दी है। मस्जिद पक्ष का कहना है कि पूजा स्थल कानून कहता है कि किसी भी धार्मिक स्थल का वही चरित्र रहेगा जो 15 अगस्त 1947 को था। धार्मिक स्थल का चरित्र नहीं बदला जा सकता।

    ऐसे में परिसर में देवी-देवताओं के होने और पूजा-अर्चना का अधिकार मांगने वाला मुकदमा सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि यह कानून उस पर रोक लगाता है।इस मामले की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है। पिछली सुनवाई पर पीठ ने मौखिक टिप्पणी में कहा था कि 15 अगस्त 1947 को परिसर का धार्मिक चरित्र क्या था, यह साक्ष्य का विषय है। यह ट्रायल के दौरान साक्ष्य से तय होगा।

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    कोर्ट अभी विस्तृत सुनवाई करेगा

    हालांकि, यह मात्र मौखिक टिप्पणी थी। कोर्ट अभी मामले पर विस्तृत सुनवाई करेगा। इसके अलावा भी मस्जिद पक्ष की दो और याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं, जिनमें परिसर के सर्वे के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त करने और सर्वे के दौरान परिसर में मिले शिवलिंगनुमा आकृति के वैज्ञानिक परीक्षण पर रोक लगाने की मांग की गई है। जबकि, एक अर्जी मंदिर पक्ष ने भी दाखिल कर रखी है, जिसमें सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग और वहां के सील हुए क्षेत्र का भी एएसआइ से सर्वे कराने की मांग की गई है।