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    सांस्कृतिक पुनर्जागरण के दौर से गुजर रहा भारत, ज्ञान भारतम मिशन के शुभारंभ पर बोले गजेंद्र सिंह शेखावत

    Updated: Thu, 11 Sep 2025 09:11 PM (IST)

    केंद्र सरकार ने पांडुलिपियों में बिखरे भारतीय ज्ञान को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए ज्ञान भारतम मिशन का शुभारंभ किया है। 2025-26 के बजट भाषण में घोषित इस मिशन के तहत एक करोड़ से अधिक पांडुलिपियों को संरक्षित किया जाएगा और विभिन्न भारतीय भाषाओं में उपलब्ध कराया जाएगा। संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि भारत सांस्कृतिक पुनर्जागरण के दौर से गुजर रहा है।

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    सांस्कृतिक पुनर्जागरण के दौर से गुजर रहा भारत (X- @gssjodhpur)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पांडुलिपियों में बिखरे भारतीय ज्ञान को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने गुरुवार को ज्ञान भारतम मिशन का औपचारिक शुभारंभ कर दिया। इसकी घोषणा 2025-26 के बजट भाषण में की गई थी। इसके तहत देश के अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़ी एक करोड़ से अधिक पांडुलिपियों को संरक्षित किया जाएगा और विभिन्न भारतीय भाषाओं में लोगों तक पहुंचाया जाएगा।

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    केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि भारत इस समय सांस्कृतिक पुनर्जागरण के दौर से गुजर रहा है। यह मिशन हमें अपने ज्ञान और विरासत से परिचित कराने में मददगार बनेगा। ज्ञान भारतम मिशन की रूपरेखा को तय करने के लिए आयोजित तीन दिवसीय सम्मेलन को संबोधित करने हुए शेखावत ने कहा कि इस मिशन के तहत देश भर में 'हब-एंड-स्पोक माडल' पर 25 क्लस्टर बनाए जाएंगे। प्रत्येक क्लस्टर में 20 स्वतंत्र केंद्र और 10 उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने की परिकल्पना की गई है। ये सभी केंद्र अपने क्षेत्रों में मौजूद पांडुलिपियों की खोज और उनके संरक्षण का काम करेंगे।

    12 सितंबर को पीएम मोदी करेंगे संबोधित

    संग्रहालयों के साथ-साथ उन मठ-मंदिरों एवं स्थलों को भी खंगाला जाएगा जहां इन पांडुलिपियों के होने की संभावना होगी। इस मिशन का उद्देश्य आने वाली पीढि़यों के लिए हमारी पांडुलिपि विरासत को संरक्षित करना है। संस्कृति मंत्रालय के इस तीन दिवसीय सम्मेलन में शुक्रवार (12 सितंबर) को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने विचार व्यक्त करेंगे।

    भारतीय मूल के गणितज्ञ मंजुल भार्गव ने किया संबोधित

    इससे पहले मंत्रालय ने अलग-अलग क्षेत्रों के विद्वानों से अनुरोध किया कि वे मिशन को लेकर खुलेमन से एक रूपरेखा तैयार करें। सम्मेलन को भारतीय मूल के गणितज्ञ मंजुल भार्गव ने भी संबोधित किया। उन्होंने अपनी जड़ों को याद करते हुए देश के प्राचीन काल के भारतीय गणितज्ञों की विरासत का बखान किया।

    प्राचीन पांडुलिपियों की प्रदर्शनी लगाई गई

    संस्कृति सचिव विवेक अग्रवाल ने कहा कि हम अभी अपनी विरासत को इतिहास, धर्म, अध्यात्म और सौंदर्यबोध के नजरिए से देखते रहे हैं, लेकिन इस पहल से हम खगोल विज्ञान, गणित, धातु, चिकित्सा और अर्थशास्त्र आदि नजरिए से भी अपने ज्ञान का देख सकेंगे। सम्मेलन स्थल पर प्राचीन पांडुलिपियों को लेकर एक प्रदर्शनी भी लगाई गई है।

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