मानहानि मामल में राहुल गांधी को मिली राहत, गुवाहाटी हाई कोर्ट ने निचली अदालत का आदेश किया खारिज
गुवाहाटी हाई कोर्ट ने राहुल गांधी को मानहानि मामले में राहत दी है। कोर्ट ने निचली अदालत के उस आदेश को रद कर दिया, जिसमें अतिरिक्त गवाहों को पेश करने की अनुमति दी गई थी। संघ कार्यकर्ता द्वारा दायर मामले में राहुल गांधी पर झूठे बयान देने का आरोप है। हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को मामले का जल्द निपटारा करने का निर्देश दिया है।

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी। (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी को राहत देते हुए गुवाहाटी हाई कोर्ट ने एक निचली अदालत के आदेश को खारिज कर दिया है। इसमें एक आरएसएस कार्यकर्ता द्वारा दायर नौ साल पुराने आपराधिक मानहानि मामले में राहुल गांधी के खिलाफ अतिरिक्त गवाहों को अनुमति दी गई थी।
एक आपराधिक पुनरीक्षण याचिका में आदेश जारी करते हुए जस्टिस अरुण देव चौधरी की एकल पीठ ने सोमवार को कामरूप मेट्रोपालिटन के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश द्वारा मानहानि मामले में अधिक गवाहों की अनुमति देने के आदेश को रद कर दिया, जिसकी एक ट्रायल कोर्ट में सुनवाई हो रही थी।
तीन अतिरिक्त गवाहों की सूची को कर दिया था अस्वीकार
संघ कार्यकर्ता अंजन कुमार बोरा द्वारा दायर आपराधिक मानहानि याचिका में ट्रायल कोर्ट के मजिस्ट्रेट ने मार्च 2023 में छह गवाहों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद तीन अतिरिक्त गवाहों की सूची को अस्वीकार कर दिया था। बोरा ने इस निर्णय को चुनौती दी थी और कामरूप मेट्रोपालिटन के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने सितंबर में गांधी के खिलाफ नए गवाहों को स्वीकार करने की अनुमति दी थी।
गुवाहाटी हाई कोर्ट में आदेश को दी गई चुनौती
विपक्ष के नेता राहुल गांधी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अंशुमान बोरा ने जुलाई, 2024 में गुवाहाटी हाई कोर्ट में इस आदेश को चुनौती दी। कई सुनवाई के बाद न्यायालय ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश के आदेश को खारिज कर दिया और ट्रायल कोर्ट को मामले का शीघ्र निपटारा करने का निर्देश दिया।
जस्टिस चौधरी ने क्या दिया आदेश?
जस्टिस चौधरी ने यह भी निर्देश दिया कि चूंकि याचिकाकर्ता (राहुल गांधी) वर्तमान सांसद हैं, ट्रायल कोर्ट के मजिस्ट्रेट को मामले का शीघ्र निपटारा करने के लिए उपाय करने चाहिए, जो 2016 से चल रहा है।
12 दिसंबर, 2015 को गांधी ने बारपेटा सत्र (वैष्णव मठ) जाने का इरादा किया था, लेकिन बाद में दावा किया कि उन्हें संघ के कार्यकर्ताओं ने मठ में प्रवेश से रोका। इससे आहत होकर संघ कार्यकर्ता बोरा ने आपराधिक मानहानि का मामला दायर किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि कांग्रेस नेता ने झूठे बयान दिए थे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।