Guru Nanak Jayanti 2018: 10 अनमोल विचार, जिनसे बदल सकता है आपका जीवन
guru nanak dev jayanti 2018, गुरु नानक के 10 अनमोल विचार, जिससे हर किसी को फायदा हो सकता है। इन विचारों से आप अपने जीवन में बड़े बदलाव ला सकते हैं। ...और पढ़ें

नई दिल्ली, जेएनएन। सिखों के पहले गुरु नानक देव जी की जयंती देशभर में प्रकाश पर्व के रूप में मनाई जाती है। गुरु नानक देव का प्रकाश पर्व सिख समुदाय का सबसे बड़ा पर्व है। मान्यता के अनुसार, गुरु नानक का जन्म दीपावली के ठीक 15 दिन बाद कार्तिक महीने की पूर्णिमा को हुआ था। प्रकाश पर्व समाज के हर व्यक्ति को साथ में रहने, खाने और मेहनत से कमाई करने का संदेश देता है। आइए प्रकाश पर्व के मौके पर आपको बताते हैं, गुरु नानक के 10 अनमोल विचार, जिससे हर किसी को फायदा हो सकता है।
- गुरु नानक ने कहा है कि कभी भी किसी का हक नहीं छीनना चाहिए। जो दूसरों का हक छीनता है, उसे जीवन में कभी सम्मान नहीं मिलता है। हमेशा ईमानदारी और मेहनत से जरूरमंदों की मदद करनी चाहिए।
- स्त्री-जाति का आदर करना चाहिए। गुरु नानक देव, स्त्री और पुरुष सभी को बराबर मानते थे। उनका कहना था कि हमेशा तनाव मुक्त रहकर अपना कार्य करना चाहिए, इससे आप हमेशा प्रसन्न रहेंगे और कार्य भी अच्छी तरीके से कर पाएंगे।
- अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन है। इसलिए अहंकार कभी नहीं करना चाहिए बल्कि विनम्र होकर सेवाभाव से जीवन गुजारना चाहिए। अहंकार से मनुष्य की मानवता का अंत होता है।
- प्रभु के लिए खुशियों के गीत गाओ, प्रभु के नाम की सेवा करो और उसके सेवकों के सेवक बन जाओ। आपको जीवन में मानसिक शांति की प्राप्ति होगी, जिससे वह अपना रिश्ता चुन सकता है।
- धन-समृद्धि से युक्त बड़े-बड़े राज्यों के राजा-महाराजों की तुलना भी उस चींटी से नहीं की जा सकती है, जिसमे ईश्वर का प्रेम भरा हो।
- दुनिया में किसी भी व्यक्ति को भ्रम में नहीं रहना चाहिए। बिना गुरु के कोई भी दूसरे किनारे तक नहीं जा सकता है। धार्मिक वही है जो सभी लोगों का समान रूप से सम्मान करे।
- धन को केवल जेब तक ही रखें, उसे अपने हृदय में स्थान ना दें। जो धन को हृदय में स्थान देता है, हमेशा उसका ही नुकसान होता है।
- गुरु नानक देव ने इक ओंकार का नारा दिया यानी ईश्वर एक है। वह सभी जगह मौजूद है। हम सबका ‘पिता’ वही है इसलिए सबके साथ प्रेमपूर्वक रहना चाहिए।
- भगवान केवल एक ही है। उसका नाम सत्य है, रचनात्मकता उसकी शख्सियत है और अनश्वर ही उसका स्वरुप है। जिसमे जरा भी डर नही, जो द्वेष भाव से पराया है। गुरु की दया से ही इसे प्राप्त किया जा सकता है।
- रस्सी की अज्ञानता के कारण रस्सी सांप प्रतीत होता है। स्वयं की अज्ञानता के कारण क्षणिक स्थिति भी स्वयं का व्यक्तिगत, सीमित, अभूतपूर्व स्वरूप प्रतीत होती है।
- आप चाहें किसी भी प्रकार के बीज बोयें, लेकिन उसे उचित मौसम में ही तैयार करें, यदि आप ध्यान से इन्हें देखेंगे तो पाएंगे की बीज के गुण ही उन्हें ऊपर लाते हैं।

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