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    Gujarat Suspension Bridge Collapse: गुजरात के मोरबी घटना ने बजाई झूला पुलों के लिए खतरे की घंटी

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Tue, 01 Nov 2022 08:46 AM (IST)

    Gujarat Suspension Bridge Collapse ओडिशा के कटक जिला प्रशासन ने सतर्कता बरतते हुए आठगढ़ के प्रसिद्ध शैव पीठ जाने के लिए बने धवलेश्वर झूला पुल को दो दिनों के लिए बंद कर दिया है। इस अवधि में यहां जांच व मरम्मत के काम होंगे।

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    Gujarat Suspension Bridge Collapse: केबल ब्रिज हादसे में अब तक 134 लोगों की मौत

    जागरण टीम, नई दिल्ली : गुजरात के मोरबी में झूला पुल के टूटने से 134 लोगों की मौत के बाद देश के अन्य राज्यों में बने झूला पुलों के लिए भी खतरे की घंटी बजा दी है। ओडिशा में तो कटक जिला प्रशासन ने सतर्कता बरतते हुए आठगढ़ के प्रसिद्ध शैव पीठ जाने के लिए बने धवलेश्वर झूला पुल को दो दिनों के लिए बंद कर दिया है। उत्तराखंड में भी जिन झूला पुलों की स्थिति अच्छी नहीं है उन पर प्रशासन पहले से ही लगातार नजर रखे हुए है। इसी सतर्कता का नतीजा है कि विश्व प्रसिद्ध लक्ष्मण झूला पुल को दो वर्ष ही बंद किया जा चुका है।

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    धवलेश्वर झूला पुल दो दिनों के लिए बंद

    ओडिशा के कटक जिला प्रशासन ने सतर्कता बरतते हुए आठगढ़ के प्रसिद्ध शैव पीठ जाने के लिए बने धवलेश्वर झूला पुल को दो दिनों के लिए बंद कर दिया है। इस अवधि में यहां जांच व मरम्मत के काम होंगे। इसके साथ ही शैव पीठ परिसर में प्रशासन ने अनिश्चित काल के लिए धारा 144 लगा दी है। आठगढ़ के तहसीलदार प्रियव्रत दास ने बताया कि कोलकाता से आए विशेषज्ञों की टीम ने सोमवार को झूला पुल का अध्ययन किया है। उन्होंने पुल की मरम्मत करने की आवश्यकता बताई है।

    वर्ष 2006 में बनाए गए इस झुला पुल में 12 जगहों पर दरार आ गई है। धवलेश्वर शैव पीठ जाने वाले इस हैंगिंग ब्रिज पर पहले एक साथ 600 लोगों को जाने की अनुमति थी, लेकिन अब यह संख्या घटाकर 200 कर दी गई है। महानदी के ऊपर बने 254 मीटर लंबा और दो मीटर चौड़ा यह झूला पुल वर्ष 2006 में बनकर तैयार हुआ था। पुल के ऊपर से गुजरने वाले लोगों के लिए 10 रुपये टिकट की व्यवस्था है। झूला जब बनकर तैयार हुआ था तब इसके ऊपर से एकसाथ 1500 लोगों के आवागमन करने की अनुमति थी। इस संख्या को बाद में क्रमश: कम करते हुए 1000, 800 और 600 कर दिया गया था। गुजरात में हादसे के बाद अब 200 लोगों को एक साथ जाने की इजाजत दी गई है। कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर बड़ी संख्या में यहां श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं और पुल से गुजरते हुए महानदी में बने टापू पर स्थित प्राचीन शैव मंदिर जाते हैं। नाव से यात्रा सुरक्षित नहीं होने के कारण पहले ही प्रशासन उस पर रोक लगा चुका है। ऐसे में झूला पुल ही एकमात्र रास्ता है।

    अच्छी स्थिति में हैं उत्तराखंड के झूला पुल

    उत्तराखंड में ऋषिकेश के दो झूला पुल अच्छी स्थिति में है। जबकि लक्ष्मण झूला पुल को बंद कर दिया गया है। पिथौरागढ़ में भारत-नेपाल को जोड़ने वाला झूलाघाट पुल की स्थिति अच्छी नहीं है, लेकिन इसकी देखरेख को लेकर पूरी सतर्कता बरती जा रही है। ऋषिकेश का राम झूला पुल 1986 में बना था। इसकी लंबाई 230 मीटर है। गंगा से 25 मीटर ऊंचाई पर निर्मित इस पुल की भार क्षमता 220 किलो वर्ग मीटर है। पुल अच्छी स्थिति में है। जानकी सेतु पुल 2020 में बना था। इसकी लंबाई 346 मीटर है। गंगा से 15 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस पुल की भार क्षमता 500 किलो वर्ग मीटर है। पुल अच्छी स्थिति में है। ऋषिकेश के लक्ष्मण झूल पुल को सुरक्षा कारणों से 2019 में बंद कर दिया गया था। यह पुल 1923 में बना था। कुमाऊं के पिथौरागढ़ जिले में गर्ब्यांग, एलागाड़, धारचूला, बलुवाकोट, जौलजीबी, दवालीसेरा और झूलाघाट में सात झूला पुल हैं। ये सभी भारत-नेपाल सीमा को जोड़ते हैं।

    संधि का गवाह 200 वर्ष पुराना पुल

    काली नदी पर झूलाघाट में 200 वर्ष पुराने अंतरराष्ट्रीय झूला पुल का बुरा हाल है। यह ऐतिहासिक सुगौली संधि का गवाह है। बीते तीन वर्षों में इसे 10 बार बंद कर मरम्मत कराई गई है। मगर अभी तक इसकी स्थिति सही नहीं है। ब्रिटिश शासनकाल में बने इस पुल की लंबाई 40 मीटर है और पुल पर बिछाए गए लकड़ी के पटरों की लंबाई आठ फीट है। इस पुल का दायित्व भारत के पास है। सबसे अधिक आवाजाही इसी से होती है। जौलजीबी पुल 2013 की आपदा में बह गया। इसे मरम्मत कर 2014 में दोबारा खोला गया। ऐलागाड़ व दवालीसेरा का निर्माण 2021 में हुआ है।