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    Teesta Setalvad: तीस्ता सीतलवाड़ की याचिका पर गुजरात हाईकोर्ट में हुई सुनवाई, सरकार को जारी किया नोटिस; कही ये बात

    By Jeet KumarEdited By: Jeet Kumar
    Updated: Thu, 26 Oct 2023 06:07 AM (IST)

    न्यायमूर्ति जे सी दोशी की अदालत ने मामले में राज्य सरकार और जांच अधिकारी को नोटिस जारी किया और उन्हें 29 नवंबर तक इसका जवाब देने को कहा। अदालत ने मामले में सुनवाई पर रोक लगाकर अंतरिम राहत देने का आग्रह करने वाली सीतलवाड की याचिका पर सरकार को भी नोटिस जारी किया। सरकार को भी 29 नवंबर तक इसका जवाब देना है।

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    तीस्ता सीतलवाड़ की याचिका पर गुजरात हाईकोर्ट में हुई सुनवाई, अदालत ने कही ये बात

    पीटीआई, अहमदाबाद। 2002 के दंगों से जुड़े मामलों में गुजरात उच्च न्यायालय ने बुधवार को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की उस याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है। इस याचिका में उन्होंने 2002 के दंगों के मामलों में फर्जी सबूत गढ़ने के लिए शहर की अपराध शाखा द्वारा उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का आग्रह किया है।

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    सरकार को 29 नवंबर तक इसका जवाब देना है

    न्यायमूर्ति जे सी दोशी की अदालत ने मामले में राज्य सरकार और जांच अधिकारी को नोटिस जारी किया और उन्हें 29 नवंबर तक इसका जवाब देने को कहा। अदालत ने मामले में सुनवाई पर रोक लगाकर अंतरिम राहत देने का आग्रह करने वाली सीतलवाड की याचिका पर सरकार को भी नोटिस जारी किया। सरकार को भी 29 नवंबर तक इसका जवाब देना है।

    पहले गुजरात हाईकोर्ट ने कही थी ये बात

    अदालत ने जांच अधिकारी को छानबीन में हुई प्रगति को लेकर एक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया और याचिकाकर्ता को हलफनामे के माध्यम से अतिरिक्त दस्तावेज पेश करने की अनुमति दी। एक सत्र अदालत ने मामले में आरोप मुक्त करने की सीतलवाड की याचिका खारिज कर दी थी। जबकि गुजरात उच्च न्यायालय ने उन्हें राहत देने से इनकार कर दिया था जिसके बाद हाईकोर्ट ने इस साल जुलाई में उन्हें जमानत दी थी।

    यह भी पढ़ें- सीतलवाड़ पर संयुक्त राष्ट्र की टिप्पणी को लेकर भारत सख्त, कहा- ये स्वतंत्र न्यायिक व्यवस्था में हस्तक्षेप

    दंगों में पीएम मोदी का नाम भी है शामिल

    पिछले साल सुप्रीम कोर्ट द्वारा जकिया जाफरी की याचिका खारिज करने के तुरंत बाद उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, जिनके पति और पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी दंगों के दौरान मारे गए थे। 2002 के दंगों के मामलों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हैं। उस पर भारतीय दंड संहिता की धारा 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 194 (मौत के अपराध के लिए सजा पाने के इरादे से झूठे सबूत देना या गढ़ना) के तहत मामला दर्ज किया गया है।