Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    10 दिनों के अंदर मिल जाएगा GST रिफंड, सरकार कर रही बड़े बदलाव की तैयारी; जानिए टैक्स स्लैब बदलने पर क्या आया अपडेट

    वित्त मंत्रालय जीएसटी रिफंड को इनकम टैक्स रिफंड की तरह सरल बनाने के लिए प्रयासरत है। जीएसटी से जुड़े फैसले जीएसटी काउंसिल पर निर्भर करते हैं जिसमें राज्यों की भूमिका महत्वपूर्ण है। मंत्रालय राज्यों से सलाह कर रहा है और काउंसिल की अगली बैठक में इस पर विचार किया जा सकता है।

    By rajeev kumar Edited By: Swaraj Srivastava Updated: Sun, 13 Jul 2025 08:30 PM (IST)
    Hero Image
    जीएसटी रिफंड के लिए 60 दिनों की समय सीमा तय है (फोटो: जागरण)

    राजीव कुमार, नई दिल्ली। वित्त मंत्रालय इनकम टैक्स रिफंड की तरह जीएसटी रिफंड को भी सरल और सुगम बनाना चाहता है और इस दिशा में प्रयास शुरू हो गया है। हालांकि जीएसटी से जुड़ा हर फैसला जीएसटी काउंसिल पर निर्भर करता है और इनमें राज्यों की अहम भूमिका होती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वित्त मंत्रालय इस मसले पर राज्यों के साथ सलाह कर रहा है जिस पर काउंसिल की आगामी बैठक में विचार किया जा सकता है। तय सीमा से अधिक जीएसटी सरकार को जमा करने और इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) को लेकर कारोबारी अक्सर रिफंड का दावा करते है। लेकिन विभिन्न कारणों से कारोबारियों को यह रिफंड मिलने में महीनों और कई बार साल से अधिक लग जाते हैं जबकि आवेदन प्राप्त होने के बाद जीएसटी रिफंड के लिए 60 दिनों की समय सीमा तय है।

    इनकम टैक्स की तरह जीएसटी रिफंड मिलेगा

    इस देरी से कारोबारियों की कार्यशील पूंजी (वर्किंग कैपिटल) फंस जाती है और कारोबार प्रभावित होता है। निर्यातकों की प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता घटती है। अधिक समय तक रिफंड नहीं मिलने से उन्हें फंसी हुई राशि पर ब्याज भी देना पड़ता है जिससे उनके मार्जिन पर असर पड़ता है।वित्त मंत्रालय चाहता है कि इनकम टैक्स रिफंड की तरह जीएसटी का रिफंड भी कारोबारियों को 10-15 दिनों में मिल जाए ताकि उन्हें पूंजी की दिक्कत नहीं हो।

    राज्यों में रिफंड के लिए अपील फाइल करने पर सुनवाई निपटान में एक-एक साल से भी अधिक का समय लग जाता है। जीएसटी रिफंड में तेजी के लिए मंत्रालय राज्यों के साथ बात करके प्रक्रिया में बदलाव लाने की दिशा में काम कर रहा है। जानकारों का कहना है कि तेजी लाने के लिए ऑटोमेटेड रिफंड प्रणाली तैयार करनी होगी।जीएसटी प्रणाली को लागू हुए अब आठ साल हो गए हैं, इसलिए सरकार उन तमाम विसंगतियों का हल चाहती है जो पिछले आठ सालों में सामने आई हैं।

    अगली बैठक में स्लैब बदलने की उम्मीद नहीं

    • मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि जहां तक जीएसटी दरों में बदलाव और स्लैब को कम करने का सवाल है तो केंद्र सरकार यह चाहती भी है, लेकिन अकेले केंद्र यह फैसला नहीं सकता है। इस काम के लिए राज्यों से संपर्क किया जा रहा है और बातचीत भी हो रही है परंतु जीएसटी काउंसिल की अगली ही बैठक में स्लैब बदलने या जीएसटी दरों में बदलाव जैसा बड़ा फैसला संभव नहीं दिख रहा है। क्योंकि काउंसिल की बैठक में सभी राज्य के वित्त मंत्री अपनी-अपनी राजनीतिक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए किसी फैसले को स्वीकारने के लिए हामी भरते हैं।
    • केंद्र सरकार जनता को क्षतिपूर्ति सेस से भी राहत देना चाहती है या इसके दायरे को और सीमित करना चाहती है, ताकि कई वस्तुएं सस्ती हो जाए और उनकी मांग बढ़ सके। लेकिन यह भी राज्यों पर ही निर्भर करेगा। आगामी मार्च में क्षतिपूर्ति सेस की अवधि समाप्त हो रही है और इसके भविष्य का निर्धारण करने के लिए वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के नेतृत्व में कमेटी बनाई गई थी।
    • सामान्य चलन के मुताबिक हर तीन माह में एक बार जीएसटी काउंसिल की बैठक अनिवार्य है, लेकिन पिछले छह माह से जीएसटी काउंसिल की बैठक नहीं हुई है। जुलाई और अगले महीने अगस्त में भी जीएसटी काउंसिल की बैठक की संभावना कम है। क्योंकि आगामी 21 जुलाई से अगले 21 अगस्त तक संसद सत्र चलने की संभावना है और उसके बाद ही जीएसटी काउंसिल की बैठक संभव है।

    यह भी पढ़ें- UP Cabinet Approved : जीएसटी डिफाल्टर को भी राहत, अर्थदंड की 10 प्रतिशत राशि जमाकर अपील कर सकेंगे करदाता