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    GST On Medicines: कुछ पर 5 तो किसी पर 0, कौन-कौन सी दवाइयों पर अब नहीं देना होगा GST?

    Updated: Thu, 04 Sep 2025 08:30 PM (IST)

    जीएसटी कटौती से भारत को स्वस्थ बनाने में मदद मिलेगी। दवाइयों चश्मे और जांच पर जीएसटी दरें कम की गई हैं। तंबाकू और चीनी मिश्रित पेय पदार्थों को 40% की श्रेणी में रखा गया है। जरूरी दवाइयों पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दी गई है जिससे मरीजों पर वित्तीय बोझ कम होगा।

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    दवाइयों पर जीएसटी कम होने से मरीजों को मिलेगी राहत।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। जीएसटी कटौती से भारत को स्वस्थ्य और तंदुरूस्त बनाने में भी मदद मिलेगी। जरूरी दवाइयों से लेकर चश्मे, जांच और फिटनेस से जुड़ी सेवाओं पर जीएसटी दरों में कटौती की गई है। तंबाकू, पान मसाला और चीनी मिश्रित पेय पदार्थों को 40 फीसद की श्रेणी में डालकर लोगों को इनसे होने वाली बीमारियों से दूर रखने का भी प्रयास किया गया है।

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    स्वास्थ्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि डॉक्टर, हॉस्पीटल, डायगनोस्टिक सेंटर पहले से ही जीएसटी से बाहर थे। अब जरूरी दवाइयों पर जीएसटी 12 फीसद से घटाकर पांच फीसद कर दी गई है। 30 से अधिक दवाइयों को जीएसटी के दायरे से बाहर कर दिया गया है। इनमें डायबटीज, बीपी और कैंसर जैसे असाध्य बीमारियों से जुड़ी दवाइयां शामिल हैं। जाहिर है इससे मरीजों पर पड़ने वाला वित्तीय बोझ कम होगा।

    दवा निर्माण की लागत को कम करने की कोशिश

    अस्पतालों से निकलने वाला बायो-मेडिकल कचरे का समुचित निपटारा एक बड़ी चुनौती है। इसे बढ़ावा देने के लिए इस पर जीएसटी की दर को 12 फीसद से पांच फीसद पर लाया गया है। इसी तरह से दवा निर्माण की लागत को कम करने का भी प्रयास किया गया है। इसके तहत फॉर्मास्यूटिकल मैनुफैक्चरिंग में जॉब वर्क पर जीएसटी को 12 फीसद से पांच फीसद कर दिया गया है।

    मरीजों के इलाज के खर्चे का भी रखा गया ख्याल

    नई जीएसटी दरों में अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों के इलाज के खर्चे का भी ख्याल रखा गया है। मरीजों के उपचार में उपयोग होने वाले एनेस्थेसिया, मेडिकल ग्रेड आक्सीजन, बैंडेज, डायगनोस्टिक किट, सर्जिकल ग्लोब, ग्लूकोमीटर, थर्मामीटर जैसे उपकरणों को भी 12 से पांच फीसद वाले जीएसटी में लाया गया है। इससे अस्पतालों में इलाज की लागत कम होगी।

    चश्मे भी कम जीएसटी के दायरे में

    स्वास्थ्य मंत्रालय के एक अनुमान के अनुसार देश में लगभग 10 करोड़ लोग उचित लेंस वाले चश्मे का उपयोग नहीं करते हैं। छात्रों, बुजुर्गों और कम आयु वर्ग को लोगों को ध्यान में रखते हुए चश्मे, उसमें लगने वाले लेंस और कांटैक्ट लेंस को 12 फीसद से पांच फीसद जीएसटी के दायरे में रखा गया है।

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