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    उज्जैन में इलाज में भारी लापरवाही, गर्भ में बच्चे की हुई मौत; स्वास्थ्य विभाग से की शिकायत

    Updated: Fri, 12 Dec 2025 11:48 PM (IST)

    उज्जैन में एक गर्भवती महिला के इलाज में लापरवाही का मामला सामने आया है, जिसमें गर्भ में बच्चे की मौत हो गई। महिला के पति ने आरोप लगाया कि पहली सोनोग्र ...और पढ़ें

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    गर्भ में बच्चे की मौत पहली रिपोर्ट में थी पुष्टि (फोटो सोर्स- जेएनएन)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। उज्जैन में एक गर्भवती महिला के इलाज में गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। गर्भवती के पति का आरोप है कि उसकी पत्नी के गर्भ में बच्चे की मौत हो गई थी। सोनोग्राफी करवाने वाली डाक्टर ने नॉर्मल बताकर इलाज किया और 15 दिनों की दवाएं लिख दीं।

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    गर्भ में हलचल नहीं होने पर महिला ने इसकी जानकारी पति को दी थी। दूसरे डॉक्टर ने फिर सोनोग्राफी करवाई तो उसमें बच्चे की मौत की पुष्टि हो गई। खास बात यह है कि पहली सोनोग्राफी में ही स्पष्ट लिखा था कि बच्चे की मौत हो चुकी है। मामले में स्वास्थ्य विभाग को शिकायत की गई है।

    सात महीने की गर्भवती थी महिला

    दताना निवासी मुस्कान पत्नी साहिल को सात माह का गर्भ था। महिला को उसके पति ने इलाज के लिए डॉ. रुपाली माहेश्वरी को दिखाया था। डॉ माहेश्वरी महिला की 15 नवंबर को सोनोग्राफी करवाई थी। साहिल ने सोनोग्राफी की रिपोर्ट डॉ. माहेश्वरी को दिखाई, जिसे देखकर डा. माहेश्वरी ने सब कुछ नॉर्मल बताया। 15 दिनों की दवाएं देकर उसे 29 नंवबर को दिखाने को कहा। इस दौरान मुस्कान के गर्भ में हलचल नहीं होने पर वह घबरा गई।

    इसकी जानकारी उसने पति साहिल को दी। इसके बाद दूसरे डॉक्टर को दिखाया गया। अन्य डॉक्टर ने फिर से सोनोग्राफी जांच करवाई, जिसे देखकर उसने कहा कि बच्चे की मौत हो चुकी है। डॉक्टर ने उन्हें बताया कि 15 नवंबर को की गई सोनोग्राफी की रिपोर्ट में ही मौत होना दर्ज है।

    महिला की जान पर बन आती

    अन्य डॉक्टर ने तत्काल महिला का ऑपरेशन कर मृत बच्चे को निकाला। ऑपरेशन नहीं होने की स्थिति में महिला के पेट में जहर फैलने की आशंका थी। इससे महिला भी गंभीर हालात में पहुंच सकती है। पूरे घटनाक्रम को लेकर महिला के पति ने डॉ. माहेश्वरी से फोन पर चर्चा की थी। इसका ऑडियो भी इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रहा है। मामले में स्वजन ने स्वास्थ्य विभाग को शिकायत की है। जांच के बाद ही कार्रवाई की बात की जा रही है।

    डॉक्टर का ये तर्क मरीज मुझसे पहले से इलाज करवा रहा था। 28 नवंबर को मैं शहर से बाहर थी। उस दिन मेरे पास सोनोग्राफी करने वाले डॉक्टर का फोन आया था। मुझे बताया कि बच्चे की मौत हो गई है। डॉक्टर का कहना था कि इससे पहले वाले सोनोग्राफी में भी यही रिपोर्ट है। इस पर मैंने मरीज को अगले दिन ही अस्पताल आने को कहा था। वे नहीं आए।

    फिर 30 नवंबर को मरीज के स्वजन का फोन आया। बच्चे की मौत हो गई थी, इसलिए मैंने उन्हें सॉरी भी कहा। फिर वे अगले दिन मुझसे पैसे मांगने लगे। मैंने कहा कि अगर मैंने रिपोर्ट देखकर कोई दवा लिखी हो तो आप पर्चा बता दीजिए। दरअसल उसके पास कोई पर्चा नहीं है। बाद में उसने एक पर्चा मुझे मोबाइल पर भेजा है, जिस पर मेरी राइटिंग नहीं है- डा. रुपाली माहेश्वरी।

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