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    8 वर्ष से पुराने वाहनों पर लगेगा ग्रीन टैक्स, सड़क परिवहन व हाईवे मंत्रालय ने प्रस्ताव को दी मंजूरी

    By Arun kumar SinghEdited By:
    Updated: Mon, 25 Jan 2021 08:04 PM (IST)

    केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने पर्यावरण को प्रदूषित करने वाले पुराने वाहनों पर ग्रीन टैक्स लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी हैं। ...और पढ़ें

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    केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी

    नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। परिवहन (ट्रांसपोर्ट) से जुड़े आठ वर्ष से पुराने सभी वाहनों को ग्रीन टैक्स देना होगा। यह रोड टैक्स का 10-25 फीसद हो सकता है। पर्यावरण सुरक्षा के लिए कई अहम बदलावों के तहत केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। प्रस्ताव को अधिसूचित करने से पहले इस मामले में राज्यों से सलाह ली जाएगी। प्रस्ताव को राज्यों के पास भेजा जा रहा है। पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर मंत्रालय ने एक और प्रमुख फैसला किया है। इसके तहत 15 वर्ष से अधिक पुराने सभी सरकारी वाहनों का पंजीयन पहली अप्रैल, 2022 से रद कर दिया जाएगा और वे कबाड़ घोषित कर दिए जाएंगे। जल्द ही इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी जाएगी।

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     प्रस्ताव के मुताबिक परिवहन से जुड़े आठ वर्षो से अधिक पुराने वाहनों के फिटनेस सर्टिफिकेट के नवीनीकरण के दौरान ग्रीन टैक्स देना होगा। वहीं, 15 वर्ष पुराने निजी वाहनों के पंजीयन सर्टिफिकेट के रिन्युअल पर भी ग्रीन टैक्स लगेगा। हालांकि सिटी बस जैसे सार्वजनिक वाहनों पर कम ग्रीन टैक्स देना होगा। बहुत अधिक प्रदूषित शहर में गाडि़यों की संख्या को कम करने के लिए वहां वाहनों के पंजीयन पर रोड टैक्स के 50 फीसद तक ग्रीन टैक्स देना पड़ सकता है। हालांकि कृषि कार्य में इस्तेमाल होने वाले ट्रैक्टर व अन्य वाहनों को ग्रीन टैक्स से छूट रहेगी।

    मंत्रालय के प्रस्ताव के मुताबिक ग्रीन टैक्स से एकत्र होने वाले राजस्व को अलग खाते में रखा जाएगा और उसका इस्तेमाल प्रदूषण पर काबू पाने में किया जाएगा।मंत्रालय के मुताबिक ग्रीन टैक्स के लगने से कई फायदे होंगे। लोग प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों का कम इस्तेमाल करेंगे। ग्रीन टैक्स की वजह से लोग नए और कम प्रदूषण वाले वाहन अपनाएंगे।

    अनुमान के मुताबिक वाहनों से होने वाले प्रदूषण में 65-70 फीसद हिस्सेदारी कॉमर्शियल वाहनों की होती है। कुल वाहनों में कॉमर्शियल वाहनों की संख्या करीब पांच फीसद है। मंत्रालय के अनुमान के मुताबिक वाहनों से होने वाले प्रदूषण में वर्ष 2000 से पहले निर्मित वाहन 15 फीसद का योगदान रखते हैं। हालांकि कुल वाहनों में इनकी संख्या एक फीसद से भी कम है।