Green Crackers: जानिए- क्या होते हैं ग्रीन पटाखे और क्यों हो रहा है इसका शोर
एक रिपोर्ट के अनुसार ग्रीन पटाखे को पर्यावरण के अनुकूल माना जाता है क्योंकि वे पारंपरिक पटाखे की तुलना में 30 फीसदी कम प्रदूषकों का उत्सर्जन करते हैं।
नई दिल्ली, एजेंसी। दिवाली को भारत का सबसे बड़ा त्योहार कहा जाता है। इस त्योहार का ध्यान आते ही मन-मयूर नाच उठता है। हर तरफ रोशनी ही रोशनी। लोग मिठाईयां बांटते हैं। इसके अलावा इस त्योहार पर जो एक और मुख्य चीज है, वो पटाखे है। इनके बगैर भी दिवाली अधूरी लगती है। हालांकि, काफी लोग अब पटाखों के पक्ष में नहीं हैं, लेकिन दिवाली पर पटाखे फोड़ना भी एक परंपरा के तौर पर लिया गया है। इस दिवाली भी लोग बहुत पटाखे फोड़ने का मन बना लिए हैं, लेकिन सारी बात यह है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अक्टूबर 2018 में पटाखों पर दिशा-निर्देश लागू कर दिए गए, जिसमें इनपर प्रतिबंध लगा दिया गया।
इसके बाद पटाखा निर्माता भी अपने व्यवसाय को लेकर भयभीत हो गए। हालांकि, 'ग्रीन क्रैकर्स' की घोषणा के बाद उद्योग को बचा लिया गया, ऐसा कहा जा रहा है। यहां बात यह है कि पहले जिन पटाखों को छोड़ा करते थे, वह तो अब मार्किट में मौजूद नहीं हैं और अगर है भी तो गैर-कानूनी तरीके से, तो अब बात यह है कि जिन ग्रीन पटाखों को अनुमति दी गई है, उसमें पिछले पटाखों से क्या चेंज हैं।
एक रिपोर्ट के अनुसार, ग्रीन पटाखे को पर्यावरण के अनुकूल माना जाता है क्योंकि वे पारंपरिक पटाखे की तुलना में 30 फीसदी कम प्रदूषकों का उत्सर्जन करते हैं। ये पटाखे वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान-राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (CSIR-NEERI) द्वारा वायु प्रदूषण को कम करने और देश में स्वास्थ्य खतरों को कम करने के लिए विकसित किए गए हैं।
CSIR-NEERI द्वारा किए गए शोध से पता चला कि बेरियम नाइट्रेट (Barium Nitrate) एक महत्वपूर्ण तत्व है, जो हानिकारक रसायनों के उत्सर्जन में सहायक होता है और इसलिए इसके विकल्प देखे जा रहे हैं। इसके अलावा आपको बता दें कि ग्रीन पटाखों में रासायनिक फॉर्मूलेशन है, जो पानी में मॉलिक्यूल्स का उत्पादन करता है, जो उत्सर्जन के स्तर को कम करता है और धूल को सोख लेते है।
Sri Velavan Fireworks के मालिक N. Ellangovan ने सीएसआईआर-एनईईआरआई द्वारा विकसित नए फार्मूले में बेरियम नाइट्रेट के शामिल नहीं होने पर कहा कि यह रासायनिक के बिना पटाखे बनाना संभव नहीं है, इसलिए उन्होंने इसकी मात्रा कम कर दी है और कुछ अन्य योजक का उपयोग किया है। उन्होंने आगे कहा कि हरे पटाखे विकसित करने के लिए कई परीक्षण किए गए हैं, लेकिन वर्तमान फार्मूले का उपयोग केवल तीन प्रकार के पटाखे - स्पार्कल, चक्र और फ्लावर पॉट (Sparkle, Chakra and Flower pot) के लिए ही किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि Sri Velavan Fireworks 95 वर्षों से पटाखों के कारोबार में हैं और पूरे रासायनिक घटकों से अवगत हैं और उन्होंने फार्मूला बदलकर प्रदूषण को कम करने के प्रयास किए हैं। बता दें कि भारत में 90 फीसदी पटाखों का निर्माता तमिलनाडु का शिवकाशी है और Sri Velavan Fireworks भी वहीं है।
तीन गुना महंगे ग्रीन पटाखे
सुप्रीम कोर्ट ने दीपावली पर रात आठ से दस बजे के बीच पटाखे चलाने का समय निर्धारित किया है। त्योहार पर ग्रीन पटाखे चलाने का आदेश है, लेकिन इनकी कीमत अन्य पटाखों से तीन गुना ज्यादा है। ऐसे में लोग ग्रीन पटाखों से दूरी बनाते नजर आ रहे हैं। बताया गया कि ग्रीन पटाखों में मार्किट में केवल अनार और फूलझड़ी ही उपलब्ध हैं। उत्तरप्रदेश के मेरठ में पटाखा दुकानदारों के कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पटाखों की बिक्री में 50 फीसद तक गिरावट आई है।
(Input- IANS)