मार्क्सवाद के जनक जर्मनी के कालजयी महान विचारक कार्ल मार्क्स का 200वां जन्मदिन
जर्मनी के महान विचारक, अर्थशास्त्री, इतिहासकार, राजनीतिक सिद्धांतकार, समाजशास्त्री, पत्रकार और क्रांतिकारी कार्ल मार्क्स का आज यानी पांच मई को 200वां जन्मदिन है।
[जागरण स्पेशल]। जर्मनी के महान विचारक, अर्थशास्त्री, इतिहासकार, राजनीतिक सिद्धांतकार, समाजशास्त्री, पत्रकार और क्रांतिकारी कार्ल मार्क्स का आज यानी पांच मई को 200वां जन्मदिन है। 1848 में उन्होंने अपने साथी फ्रेडरिक एंजेल्स के साथ मिलकर द कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो जारी किया। इसमें उन्होंने पूंजीवादी व्यवस्था के विरोध में मार्क्सवादी व्यवस्था की अवधारणा लोगों के सामने रखी। 1917 में जिस रूसी क्रांति ने तीन सदी से चले आ रहे जार साम्राज्य को खत्म करके सर्वहारा सत्ता की नींव रखी, वह कार्ल मार्क्स के सिद्धांतों पर आधारित थी।
जन्म और बचपन
जर्मन राजमंडल में प्रशिया साम्राज्य के ट्रियर शहर में वकील हीनरिक मार्क्स और हेनरीटा प्रेसबर्ग के घर पांच मई, 1818 को कार्ल मार्क्स का जन्म हुआ। उनके माता-पिता यहूदी थे। बाद में वकालत जारी रखने के लिए उन्होंने 1816 में यहूदी धर्म छोड़कर ईसाई धर्म की प्रमुख शाखा कहे जाने वाले लूथरानिज्म धर्म को अपना लिया। छह वर्ष की उम्र में कार्ल मार्क्स को भी ईसाई धर्म में शामिल किया गया। बाद में वह नास्तिक बन गए।
छात्र से बने क्रांतिकारी
- 1835 में 17 वर्ष की उम्र में माक्र्स ने दर्शनशास्त्र और साहित्य पढ़ने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ बॉन में दाखिला लिया।
- उनके पिता चाहते थे कि वह वकालत पढ़ें। यूनिवर्सिटी में पढ़ते हुए वे कवियों के क्लब से जुड़े।
- झगड़ों में उनका नाम आने और उनके गिरफ्तार होने के बाद उनके माता-पिता ने उन्हें बर्लिन विश्वविद्यालय में दाखिला दिला दिया।
- यहां उन्होंने वकालत और दर्शनशास्त्र पढ़ा और यंग हेगेलियंस नाम के समूह से जुड़े जो धर्म, दर्शनशास्त्र, तर्क और राजनीति के मौजूदा सिद्धांतों को चुनौती देता था।
- डिग्री पूरी होने के बाद उन्होंने उदारवादी लोकतांत्रिक समाचार पत्र रिनीश्चे जिटुंग के लिए लिखना शुरू किया।
- 1842 में अखबार के संपादक हो गए। सरकार ने उनके अखबार को अत्यधिक स्वच्छंद मानते हुए प्रतिबंधित कर दिया।
- 1843 में अपनी पत्नी जेनी वॉन वेस्टफैलेन के साथ पेरिस आ गए। यहां उनकी मुलाकात साथी जर्मन प्रवासी फ्रेडरिक एंजेल्स से हुई।
- 1845 में दोनों ने मिलकर यंग हेगेलियन विचारधारा की समीक्षा करते हुए द होली फादर किताब लिखी। बाद में वे बेल्जियम के ब्रुसेल्स चले गए।
- 1847 में लंदन में बनी कम्युनिस्ट लीग ने मार्क्स और एंजेल्स को कम्युनिस्ट मैनिफेस्टो लिखने को कहा।
- 1848 में मैनिफेस्टो तैयार हुआ। इसमें वर्ग संघर्ष का सारा इतिहास था। यह भी पूर्व घोषणा की कि कैसे आने वाले समय में सर्वहारा यानी श्रमिक वर्ग की क्रांति से पूंजीवादी सत्ता को हटाकर श्रमिकों के हाथ में सत्ता दे देगी।
लंदन में की पत्रकारिता
1848 में यूरोप में क्रांतिकारी गतिविधियां शुरू होने के बाद मार्क्स ने बेल्जियम छोड़ दिया। पेरिस व जर्मनी होते हुए वह आखिरकार लंदन जा बसे जहां उन्होंने नागरिकता न मिलने के बावजूद अपनी पूरी जिंदगी बिताई। यहां पत्रकार के तौर पर काम किया।
अपनों की मौत से टूटे
दिसंबर, 1881 में पत्नी की मृत्यु के बाद 15 महीने बीमार रहे। गले की सूजन और नजले के चलते 14 मार्च, 1883 में 64 वर्ष की उम्र में देहांत हो गया। लंदन के हाइगेट कब्रिस्तान में उनकी समाधि बनी है।
लिखा अर्थव्यवस्था का महाग्रंथ
1864 में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय श्रमिक सभा का गठन किया। तीन वर्ष बाद उन्होंने दास कैपिटल किताब का पहला संस्करण प्रकाशित कराया। इसे आर्थिक सिद्धांतों पर उनका सबसे बेहतरीन काम माना जाता है। इसमें उन्होंने सिद्धांत दिया कि पूंजीवाद एक ऐसी व्यवस्था है जो अपने विनाश और मार्क्सवाद की जीत के बीज अपने अंदर पाले हुए हैं।
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