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    Grand Challenges: स्वास्थ्य और विकास की चुनौतियों के समाधान का प्रयास है ‘ग्रैंड चैलेंजेज’

    By Sanjay PokhriyalEdited By:
    Updated: Tue, 20 Oct 2020 08:30 AM (IST)

    ग्रैंड चैलेंजेज इंडिया व अफ्रीका ऐसे साझेदार रहे हैं जो शुरुआत से ही स्थानीय शोधकर्ताओं व नीति निर्माताओं के कार्यों को सहारा व मार्गदर्शन देते रहे हैं। भारत सरकार का बायोटेक्नोलॉजी विभाग बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल व बिल एंड मिलेंडा गेट्स फाउंडेशन साझेदार हैं।

    वर्ष 2003 में ग्रैंड चैलेंजेज इन ग्लोबल हेल्थ के रूप में नींव रखी थी।

    नई दिल्‍ली, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस ग्रैंड चैलेंजेज की वार्षिक बैठक को संबोधित किया, उसकी नींव बिल एंड मिलेंडा गेट्स फाउंडेशन ने वर्ष 2003 में ग्रैंड चैलेंजेज इन ग्लोबल हेल्थ के रूप में रखी थी। वर्ष 2014 में इसे ग्रैंड चैलेंजेज के नाम से दोबारा लांच किया गया। इसके उद्देश्य ने विस्तार लिया और अब संयुक्त प्रयासों के तहत नवोन्मेष यानी इनोवेशन के माध्यम से वैश्विक विकास एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में खलल पैदा करने वाली चुनौतियों के समाधान की कोशिश जारी है।

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    14 बड़ी चुनौतियां हैं केंद्र में : यह पहल 14 बड़ी वैज्ञानिक चुनौतियों पर केंद्रित है। इनमें बायोलॉजिकल वेक्टर कंट्रोल, केमिकल वेक्टर कंट्रोल, जटिल बीमारियों का इलाज, सुई रहित वैक्सीन व रोग प्रतिरोधी क्षमता का विकास आदि शामिल हैं। इनका समाधान किया जाता है तो वैश्विक स्वास्थ्य के क्षेत्र में असमानता दूर हो सकती है। रोगों की रोकथाम, इलाज और उनसे मुक्ति पाने में मदद मिल सकती है।

    सबके लिए खुला दरवाजा : गेट्स फाउंडेशन ने वर्ष 2007 में दुनियाभर के नवोन्मेष के लिए मदद का दरवाजा खोल दिया। ग्रैंड चैलेंजेज एक्सप्लोरेशन के तहत किसी भी क्षेत्र के इनोवेटर यानी नवोन्मेषक से उसकी परियोजना के संबंध में दो पन्नों में आवेदन आमंत्रित किया गया। बड़ी चुनौतियों व खतरों का समाधान ढूंढने वाली परियोजना को एक लाख डॉलर यानी करीब 73 लाख रुपये की प्रारंभिक मदद प्रदान की गई। पिछले 10 वर्षों में इस पहल ने साबित किया है कि बड़ा व प्रभावी आइडिया दुनिया के किसी भी क्षेत्र से आ सकता है।

    33 देशों के शोध कार्यक्रमों को 3,299 करोड़ की मदद : ग्रैंड चैलेंजेज इन ग्लोबल हेल्थ के तहत 33 देशों के विज्ञानियों के शोध कार्यक्रमों को 450 मिलियन डॉलर यानी करीब 3,299 करोड़ रुपये की मदद उपलब्ध कराई गई है। इसके अलावा जातीय, सामाजिक व सांस्कृतिक मामलों की परियोजनाओं की भी मदद की जाती है।

    ग्रैंड चैलेंजेज इंडिया : गेट्स फाउंडेशन व दूसरे संस्थापकों ने ग्रैंड चैलेंजेज को आगे बढ़ाने की कोशिश जारी रखी। निजी स्तर पर व साझेदारी के तहत विभिन्न देशों में इसका बीजारोपण किया गया। ग्रैंड चैलेंजेज इंडिया व अफ्रीका ऐसे साझेदार रहे हैं जो शुरुआत से ही स्थानीय शोधकर्ताओं व नीति निर्माताओं के कार्यों को सहारा व मार्गदर्शन देते रहे हैं। ग्रैंड चैलेंजेज इंडिया की शुरुआत वर्ष 2013 में हुई। भारत सरकार का बायोटेक्नोलॉजी विभाग, बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंस काउंसिल व बिल एंड मिलेंडा गेट्स फाउंडेशन साझेदार हैं।

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