क्या होती है GPS स्पूफिंग, जांच और रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए हैं? मंत्री ने सदन में बताई पूरी बात
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ने बताया कि दिल्ली हवाई अड्डे पर जीपीएस स्पूफिंग की घटनाएं हुई हैं, जिनमें विमानों को गलत नेविगेशन सिग्नल मिले। सरकार जांच कर रही है और रोकथाम के उपाय कर रही है। डीजीसीए ने अन्य हवाई अड्डों से भी ऐसी घटनाओं की रिपोर्ट मांगी है। जीपीएस स्पूफिंग में गलत लोकेशन सिग्नल भेजे जाते हैं, जिससे विमान को गलत जगह का आभास होता है।
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क्या होती है GPS स्पूफिंग?
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के. राममोहन नायडू ने सोमवार को इस बात की पुष्टि की कि हाल ही में नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (आईजीआईए) पर आने वाली कई उड़ानों में जीपीएस स्पूफिंग की घटनाएं सामने आई हैं।
सोमवार से शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र में राज्यसभा सदस्य एस. निरंजन रेड्डी द्वारा पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में नायडू ने इस आशय की जानकारी दी।
रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए हैं?
रेड्डी ने राज्यसभा में नागरिक उड्डयन मंत्री से पूछा कि क्या सरकार को इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर जीपीएस स्पूफिंग की हालिया घटनाओं की जानकारी है और क्या नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) और भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) ने भविष्य में ऐसी घटनाओं की जांच और रोकथाम के लिए क्या कदम उठाए हैं?
रनवे के अन्य हिस्सों पर परिचालन अप्रभावित रहा
नायडू ने जवाब में कहा कि ये घटनाएं उस समय हुईं जब विमान हवाई अड्डे के रनवे 10 पर जीपीएस-आधारित लैंडिंग प्रक्रियाओं का उपयोग कर रहे थे। प्रभावित उड़ानों को नकली नेविगेशन सिग्नल मिलने के बाद आपातकालीन प्रक्रियाओं का सहारा लेना पड़ा। उन्होंने आगे कहा कि पारंपरिक जमीनी नेविगेशनल उपकरणों की उपलब्धता के कारण रनवे के अन्य हिस्सों पर परिचालन अप्रभावित रहा।
घटनाओं की रिपोर्ट करने का आदेश
नागरिक उड्डयन मंत्री ने कहा, 'नवंबर, 2023 से डीजीसीए द्वारा जीपीएस जैमिंग/स्पूफिंग की घटनाओं की रिपोर्ट करने का आदेश दिए जाने के बाद देश के अन्य प्रमुख हवाई अड्डों से नियमित रिपोर्ट प्राप्त हो रही हैं। कोलकाता, अमृतसर, मुंबई, हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नई हवाई अड्डों पर भी ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस) रेडियो फ्रीक्वेंसी हस्तक्षेप की घटनाएं दर्ज की गई हैं।'
क्या होती है जीपीएस स्पूफिंग?
ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) सिग्नल में जब कोई छेड़छाड़ की जाती है तो उसे स्पूफिंग कहा जाता है। स्पूफिंग में गलत लोकेशन सिग्नल को भेजकर असली नेविगेशन डाटा को बदल दिया जाता है। इस कारण विमान को लगता है कि वह किसी दूसरी जगह है।
हालांकि, वह हकीकत में अपनी असल जगह से कई किलोमटीर दूर होता है। स्पूफिंग, जैमिंग से बिल्कुल अलग होती है। इसमें सिग्नल को पूरी तरह ब्लाक नहीं किया जाता है।
जीपीएस स्पूफिंग के कारण कई बार तो आधुनिक नेविगेशन सिस्टम भी निष्कि्रय साबित हो जाते हैं। इस कारण प्रशिक्षित पायलट भी आसमान में रनवे को ढूंढते रहते हैं, जिसके चलते यात्रियों को सुरक्षित उतारने के लिए या तो फ्लाइट को डाइवर्ट कर दिया जाता है या लंबा इंतजार करना पड़ता है।

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