हुर्रियत पर सरकार की दो टूक, बात करनी हो तो आएं, नहीं दिया जाएगा विशेष न्यौता
सूत्रों के मुताबिक गृहमंत्री ने इस पर साफ कहा कि संविधान के दायरे में जो भी वार्ता के लिए आएगा हम उससे मिलने को तैयार हैं।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। जम्मू-कश्मीर में शांति बहाली के प्रयासों के लिए जा रहे सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल के कुछ सदस्यों ने अलगाववादी संगठन हुर्रियत के नेताओं से भी बातचीत की वकालत की है। सरकार ने इस पर साफ कर दिया कि संविधान के दायरे में सभी को वार्ता का खुला आमंत्रण दिया गया है और किसी को विशेष रुप से न्यौता नहीं दिया जाएगा। सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के दौरान घाटी में पैलेट गन की जगह पावा गन के इस्तेमाल का ऐलान किया जाएगा।
गृह मंत्रालय में दौरे से पहले शनिवार को सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के सभी सदस्यों की हुई विशेष बैठक के दौरान विपक्ष के तीन सदस्यों के साथ एनडीए के सहयोगी केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने हुर्रियत से वार्ता की वकालत की। माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने कहा कि केवल सेव कारोबारियों से वार्ता से कोई मकसद हल नहीं होगा। इसलिए हुर्रियत नेताओं को भी प्रतिनिधिमंडल से वार्ता का न्यौता भेजा जाना चाहिए। भाकपा के डी राजा और एआईएमएम के नेता ओसैदुद्दीन ओवैसी ने भी इसी तरह की राय जाहिर की। पासवान ने भी 2010 में सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के दौरान हुर्रियत नेताओं से हुई अपनी मुलाकात से सद्भावना का माहौल बनने की बात कहते हुए उन्हें भी वार्ता के लिए बुलाने का समर्थन किया। कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने भी राज्य के सभी हितधारकों से संवाद को जरूरी बताया।
सूत्रों के मुताबिक गृहमंत्री ने इस पर साफ कहा कि संविधान के दायरे में जो भी वार्ता के लिए आएगा हम उससे मिलने को तैयार हैं। उन्होंने यह भी बताया कि हुर्रियत पहले ही इस दल से नहीं मिलने की घोषणा कर चुका है। इसलिए किसी को वार्ता का विशेष न्यौता नहीं दिया जाएगा और जो भी बातचीत को आएगा उसका स्वागत होगा। गृहमंत्री ने हालांकि यह भी कहा कि मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती से दल के सदस्य इस बारे में चर्चा कर सकते हैं।
पैलेट गन के घातक स्वरुप को देखते हुए येचुरी समेत दल के कई सदस्यों की चिंता पर राजनाथ ने कहा कि इस पर गठित कमिटी की रिपोर्ट ने पावा गन को विकल्प सुझाया है। इसलिए अब घाटी में पावा गन ही इस्तेमाल होगा और पैलेट गन केवल बेहद अपरिहार्य हालातों में ही इस्तेमाल किए जाएंगे। करीब ढाई घंटे चली इस बैठक के दौरान प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों को जम्मू-कश्मीर की सुरक्षा स्थिति से लेकर आंतकवाद और विकास योजनाओं के बारे में पूरी जानकारी दी गई। साथ ही उन्हें राज्य की दस प्रमुख चुनौतियों से रुबरू कराया गया। इसमें सोशल मीडिया पर फैलाए जा रहे अफवाह, बुरहान वानी के मारे जाने के बाद सुरक्षा बलों पर गंभीर पथराव, आतंकवादियों के भीड़ की आड़ लेकर सुरक्षा बलों, सरकारी दफ्तरों पर हमले करने जैसी वारदातों को बड़ी चुनौती बताया गया।
बीते करीब दो महीने की उपद्रवी हिंसा में बड़ी संख्या में पैलेट गन से घायल लोगों से मिलने जाने के कुछ सदस्यों की राय पर गृहमंत्री ने कहा कि आक्रोश के माहौल और सुरक्षा के लिहाज से यह चुनौतीपूर्ण होगा। इस बारे में भी मुख्यमंत्री मशविरा कर हालात के हिसाब से फैसला लिया जाएगा। राजनाथ सिंह ने बैठक के बाद कहा कि दल के सदस्यों को घाटी के मौजूदा हालातों से रुबरू कराया गया है। घाटी के दौरे से लौटने के बाद इस प्रतिनिधिमंडल की फिर से बैठक होगी और सभी दलों के नेताओं से मिले सुझावों के आधार पर सरकार जम्मू-कश्मीर में शांति बहाली के लिए कदम उठाएगी। समाजवादी पार्टी और बसपा ने इस दल को अपना पूरा समर्थन दिया है मगर प्रतिनिधिमंडल में उनका कोई सदस्य नहीं जा रहा है।
जम्मू-कश्मीर जा रहे 28 सदस्यीय सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल सदस्यों के नाम हैं- राजनाथ सिंह, अरुण जेटली, जितेंद्र सिंह,
कांग्रेस: गुलाम नबी आजाद, मल्लिकाअर्जुन खड़गे और अंबिका सोनी ,
तृणमूल कांग्रेस: सौगत राय- ,
जदयू: शरद यादव
, माकपा: सीताराम येचुरीॉ,
भाकपा: डी राजा,
एनसीपी: तारिक अनवर,
शिवसेना: संजय राऊत, आनंदराव अडसूल,
अकालीदल: चंदूमाजरा, एआईएमआईएम: असदुद्दीन ओवैसी, एयूडीएफ: बदरुद्दीन अजमल, मुस्लिम लीग: ई. अहमद- , आरजेडी: जयप्रकाश नारायण यादव, आप: धर्मवीर गांधी,
इनेलो: दुष्यंत चौटाला,
अन्नाद्रमुक: पी वेनुगोपाल,
द्रमुक: त्रिची शिवा,
वाईएसआर कांग्रेस: वाईएस सुब्बा , तेलंगाना राष्ट्र समिति: जितेंद्र रेड्डी , टीडीपी: टी नरसिंहम ,
आरएसपी : प्रेमचंद्रन- और
बीजेडी: दिलीप टिर्की- ।
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