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    देश में निवेश को बढ़ाने के लिए सरकार ने उठाया बड़ा कदम, फॉरेन इनवेस्टर्स के लिए विदेश में खुलेगा ऑफिस

    देश में निवेश के अवसरों की तलाश कर रहे विदेशी निवेशकों को मदद प्रदान करने के लिए भारत की आने वाले महीनों में विभिन्न देशों में कार्यालय खोलने की योजना है। यह बात देश में निवेश को बढ़ावा देने वाले पहले ऐसे कार्यालय का उद्घाटन करते हुए वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने रविवार को कही। आर्थिक सहयोग मजबूत करने के भारत के प्रयासों में एक नया अध्याय है।

    By Agency Edited By: Shubhrangi Goyal Updated: Sun, 22 Sep 2024 10:23 PM (IST)
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    फॉरेन इनवेस्टर्स के लिए विदेश में खुलेगा ऑफिस (file photo)

    पीटीआई, सिंगापुर: देश में निवेश के अवसरों की तलाश कर रहे विदेशी निवेशकों को मदद प्रदान करने के लिए भारत की आने वाले महीनों में विभिन्न देशों में कार्यालय खोलने की योजना है। यह बात देश में निवेश को बढ़ावा देने वाले पहले ऐसे कार्यालय का उद्घाटन करते हुए वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने रविवार को कही। उन्होंने कहा कि यह ऑफिस निवेश करने की इच्छुक कंपनियों के लिए एक संपर्क बिंदु के तौर पर काम करेगा।

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    उन्होंने कहा कि यह कदम निवेश साझेदारी को गहरा करने और वैश्विक निवेशकों के लिए भारत के साथ जुड़ना आसान बनाने की भारत की प्रतिबद्धता को पुष्टि करता है। गोयल ने कहा कि सिंगापुर भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है और यह कार्यालय सिंगापुर और दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संघ के साथ आर्थिक सहयोग को मजबूत करने के भारत के प्रयासों में एक नया अध्याय है।

    सिंगापुर में क्यों जरूरी है ऐसा कार्यालय?

    सिंगापुर में इस तरह का पहला कार्यालय खोलना इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत को वहां से सबसे अधिक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआइ) प्राप्त होता है। भारत ने 2023-24 में सिंगापुर से 11.77 अरब डालर का एफडीआइ आकर्षित किया। 2018-19 से सिंगापुर भारत के लिए इस तरह के निवेश का सबसे बड़ा स्त्रोत रहा है। 2017-18 में, भारत ने मारीशस से सबसे अधिक एफडीआइ आकर्षित किया था।

    वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करता है सिंगापुर

    डेलाइट इंडिया की अर्थशास्त्री रुमकी मजूमदार ने कुछ दिनों पहले कहा था कि दुनिया के प्रमुख वित्तीय केंद्रों में से एक सिंगापुर वैश्विक वैश्विक निवेशकों को आकर्षित करता है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सेवा, कंप्यूटर, दूरसंचार और फार्मा क्षेत्रों में स्वस्थ प्रवाह के कारण इस वित्त वर्ष अप्रैल-जून में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 47.8 प्रतिशत बढ़कर 16.17 अरब डालर हो गया।