साइबर फ्राड से जुड़े नंबर सरकार के रडार पर, रोजना तीन लाख नंबर को लेकर अलर्ट
साइबर फ्राड को लेकर सरकार एक्शन में नजर आ रही है। स्पैम काल के बाद अब सरकार का ध्यान साइबर फ्राड को रोकने पर है। इस काम के लिए टेलीकाम विभाग ने फाइनेंशियल फ्राड रिस्क इंडेक्टर (एफआरआई) प्लेटफार्म का निर्माण किया है जिसे फिलहाल बैंकों से जोड़ा गया है।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। स्पैम काल के बाद अब सरकार का ध्यान साइबर फ्राड को रोकने पर है। इस काम के लिए टेलीकाम विभाग ने फाइनेंशियल फ्राड रिस्क इंडेक्टर (एफआरआई) प्लेटफार्म का निर्माण किया है जिसे फिलहाल बैंकों से जोड़ा गया है। आने वाले समय में इस प्लेटफार्म से शेयर बाजार, म्युचुअल फंड, पेंशन फंड व अन्य सरकारी विभागों को भी जोड़ा जाएगा ताकि उन्हें भी वित्तीय फ्राड करने वाले नंबर भेज कर अलर्ट किए जा सके।
बुधवार को नई दिल्ली में आयोजित मोबाइल कांग्रेस में विभाग की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक इस प्लेटफार्म का असर काफी सकारात्मक दिख रहा है जिसे देखते हुए सरकार ने सभी सरकारी विभाग को इससे जोड़ने का फैसला किया गया है।
रोजाना तीन लाख से ज्यादा भेजे जा रहे अलर्ट
फ्राड से जुड़े 2.5-3 लाख नंबर को लेकर विभाग प्रतिदिन रिस्क अलर्ट बैंकों को भेजता है और इनमें से 40 हजार नंबर रोजाना ब्लाक हो रहे हैं। मतलब इन नंबरों पर वितीय ट्रांजेक्शन नहीं किया जा सकेगा। फोन पे और पेटीएम जैसे प्लेटफार्म ने भी इन नंबरों पर वितीय ट्रांजेक्शन को रोकना शुरू कर दिया है। जिन नंबर को रिस्क की श्रेणी में डाला जाता है उस पर वित्तीय ट्रांजेक्शन करने पर फोन पे और पेटीएम यह अलर्ट देता है कि इन पर पैसा भेजना जोखिम भरा हो सकता है। फिर भी अगर उपभोक्ता भेजना चाहता है तो उसे इग्नोर कर उसे जारी रख सकता है।
21 लाख नंबरों को किया जा चुका ब्लॉक
विभाग के अधिकारी के मुताबिक इस प्लेटफार्म की मदद से अब तक 21 लाख नंबर को ब्लॉक किए जा चुके हैं। मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2024 में साइबर फ्राड की 23 लाख शिकायतें आईं और साइबर फ्राड के कारण लोगों को 23,000 करोड़ का नुकसान हुआ। एफआरआई की मदद से अब तक 200 करोड़ रुपए के फ्राड बचाए जा सके हैं। अलर्ट की वजह से 48 लाख ट्रांजेक्शन को इनकार किया जा चुका है और 3.5 लाख क्रेडिट व डेबिट कार्ड को प्रतिबंधित कर दिया गया है।
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