सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। रबी मार्केटिंग सीजन में गेहूं के मूल्य चालू सीजन के लिए निर्धारित एमएसपी से ऊपर हो सकते हैं। ऊंची कीमतों से गेहूं बाजार का मिजाज बदला-बदला सा होगा। किसानों को जहां अपनी उपज का अच्छा मूल्य प्राप्त होगा, वहीं सरकार पर सरप्लस खरीद का दबाव नहीं होगा। लेकिन अपनी गेहूं की भारी जरूरतों को पूरा करने के लिए सरकारी खरीद की रणनीति को बदलना पड़ सकता है। किसानों की एमएसपी पर निर्भरता खत्म हो सकती है। वह खुले बाजार में मोलतोल कर अपनी शर्तों पर गेहूं बेच सकता है।

रिकार्ड पैदावार का अनुमान

बीते सप्ताह खुले बाजार में सरकार के 30 लाख टन गेहूं बेचने के फैसले से महंगाई को नियंत्रित करने में मदद मिली है। इससे आगामी एक अप्रैल 2023 को बफर में गेहूं का स्टॉक निचले सतह पर होगा जिससे बाजार में गेहूं में तेजी के रुख की संभावना है।

चालू रबी सीजन के दौरान खेतों में खड़ी गेहूं की फसल बहुत अच्छी बताई जा रही है, जिससे रिकार्ड 11.2 करोड़ टन से अधिक पैदावार का अनुमान है। लेकिन पैदावार का सटीक अनुमान फरवरी और मार्च के तापमान पर निर्भर है।

पिछले साल की तरह तापमान में अप्रत्याशित वृद्धि से पैदावार प्रभावित भी हो सकता है। पूरे साल गेहूं में तेजी बने रहने से गेहूं और उसके उत्पादों में महंगाई बना रही। इसके चलते प्राइवेट कंपनियां आगे बढ़कर गेहूं खरीद में उतरेंगी। किसानों की उपज को मजबूरी में खरीदने वाली सरकारी एजेंसियां भी सतर्क हो गई हैं।

सरकारी जरूरतों के लिए न्यूनतम 2.54 करोड़ टन गेहूं खरीद करनी होगी। इसमें राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एऩएफएसए), मिड डे मील, आंगनबाड़ी, सेनाओं और अर्धसैनिक बल समेत अऩ्य कल्याण योजनाओं के लिए गेहूं की आवश्यकता शामिल है।

सरकारी एजेंसियां अपना स्टॉक पूरा करने के लिए सभी राज्यों में खरीद चालू कर सकती हैं। खाद्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि सरकारी खरीद की तैयारियां समय से पूरी कर ली जाएंगी। पिछले वर्ष 2021-22 में केवल 1.88 करोड़ टन गेहूं की ही खरीद हो सकी थी, जो निर्धारित लक्ष्य के मुकाबले 57 फीसद तक कम थी। सरकारी खरीद में बदलाव भी करना पड़ सकता है। उसे इसके लिए बोनस जैसे उपाय की घोषणा कर सकता है।

गेहूं की फसल के पकने के समय मौसम का मिजाज, पैदावार का आकलन, घरेलू जरूरत भर स्टॉक की खरीद होने के बाद ही सरकार निर्यात की अनुमति दे सकती है। प्राइवेट कंपनियां अपनी क्षमता के हिसाब से आक्रामक खरीद कर सकती हैं।

सरकार के पास सरप्लस स्टॉक न होने से बाजार पर नियंत्रण करना आसान नहीं होगा। चालू सीजन में किसान भी अपनी उपज को रोक कर बेचने की रणनीति अपना सकता है। बीते सीजन में बड़े किसानों ने इसका स्वाद चख लिया है।

बाजार में गेहूं का मूल्य तीन हजार रुपए प्रति क्विंटल के पार चला गया था, जो सरकारी हस्तक्षेप के बाद थोड़ा नीचे खिसका है। जबकि वर्ष 2023-24 के लिए गेहूं का एमएसपी 2125 रुपए निर्धारित है। बाजार में गेहूं की महंगाई से किसान खुश है।

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Edited By: Shashank Mishra