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    साइबर ठगों से निपटने के लिए मोदी सरकार तैयार करेगी Cyber Commando की फौज, जानिए क्या है प्लान

    Updated: Tue, 10 Sep 2024 06:40 PM (IST)

    देश में साइबर ठगी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। केंद्र सरकार ने इससे निपटने के लिए तैयारी कर ली है। अगले पांच साल में देश में पांच हजार साइबर कमांडो की तैनाती की जाएगी। गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह ने इसकी घोषणा की। उन्होंने कहा कि साइबर सुरक्षा सिर्फ डिजिटल दुनिया तक सीमित नहीं है बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का भी एक अहम पहलू है।

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    साइबर ठगों से निपटने के लिए सरकार का प्लान तैयार (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। साइबर धोखाधड़ी से निपटने के लिए साइबर कमांडो तैनात किये जाएंगे। अगले पांच साल में देश में पांच हजार साइबर कमांडो तैनात करने का लक्ष्य है। विशेष रूप से प्रशिक्षक साइबर कमांडो साइबर धोखाखड़ी करने वालों के खिलाफ त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित कर सकेंगे।

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    राष्ट्रीय सुरक्षा का अहम पहलू साइबर सुरक्षा

    गृह व सहकारिता मंत्री अमित शाह ने साइबर कमांडो के साथ-साथ साइबर फ्रॉड मिटिगेशन सेंटर (सीएफएमसी), साइबर क्राइम की जांच में जुटी एजेंसियों के लिए समन्वय प्लेटफॉर्म और संदिग्ध साइबर अपराधियों की राष्ट्रीय रजिस्ट्री बनाने की नई योजनाओं को लॉन्च किया। अमित शाह ने साफ किया कि साइबर सुरक्षा सिर्फ डिजिटल दुनिया तक सीमित नहीं है, बल्कि यह राष्ट्रीय सुरक्षा का भी एक अहम पहलू है।

    साइबर अपराध किसी राज्य या देश की सीमा तक सीमित नहीं

    अमित शाह ने साइबर अपराधों से निपटने के लिए एजेंसियों के बीच समन्वय और आम लोगों की जागरूकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सभी राज्य अलग-अलग संदिग्ध साइबर अपराधियों की सूची बनाते हैं, लेकिन साइबर अपराध किसी राज्य या देश की सीमा तक सीमित नहीं होता है। इसके लिए सभी राज्यों के संदिग्ध साइबर अपराधियों की सूची को मिलाकर एक राष्ट्रीय रजिस्ट्री बनाने का फैसला किया है, जो किसी भी राज्य में साइबर अपराध की जांच में मददगार साबित हो सकता है।

    सीएफएमसी का गठन

    विभिन्न एजेंसियों के बीच समन्वय के लिए सीएफएमसी बनाया गया है। यह बैंकों, वित्तीय संस्थान, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर, भुगतान एग्रीगेटर्स के साथ-साथ राज्यों की जांच एजेंसियों को एक मंच पर लाने का काम करेगा। उन्होंने इसे सहकारी संघवाद का बेहतरीन उदाहरण बताया। इसी तरह से समन्यवय प्लेटफॉर्म साइबर अपराध का डाटा संग्रहित करने, उन्हें संबंधित एजेंसियों के बीच वितरित करने, साइबर अपराध का मानचित्र बनाने, उसका विश्लेषण करने के साथ ही साइबर अपराध के खिलाफ काम करने वाली सभी एजेंसियों के लिए वन स्टाप पोर्टल के रूप में काम करेगा।

    शाह ने साइबर अपराध से जुड़े डाटा के विश्लेषण में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का इस्तेमाल करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि इससे साइबर अपराधियों के काम करने के तरीके का पता लगाने और उसकी रोकथाम में मदद मिलेगी। इसके साथ ही उन्होंने साइबर अपराधों से निपटने के लिए आम लोगों के बीच हेल्पलाइन नंबर 1930 के प्रति जागरूक बनाने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि साइबर अपराधों और उससे निपटने के उपायों के प्रति लोग जितना अधिक जागरूक होंगे, उतना ही उससे बच सकेंगे।

    साइबर अपराध जागरूकता पखवाड़ा मनाएं

    शाह ने लोगों को जागरूक करने के लिए उन्होंने साल में एक बार साइबर अपराध जागरूकता पखवाड़ा मनाने का सुझाव दिया। पखवाड़ा के दौरान सभी प्लेटफॉर्म पर एक साथ 1930 की लोकप्रियता के लिए अभियान चलाने को कहा।

    देश में साइबर सुरक्षा के बढ़ते खतरे और उससे निपटने की चुनौतियों के प्रति आगाह करते हुए कहा कि आज देश में 95 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल और प्रतिदिन औसतन 20.27 डीजी डाटा का उपयोग करते हैं। 35 करोड़ जनधन खाते, 36 करोड़ रूपे डेबिट कार्ड के साथ लगभग 21 लाख करोड़ रुपये का लेन-देन डिजिटल माध्यम से हुआ है। उन्होंने कहा कि दुनिया भर की डिजिटल लेन-देन का 46 फीसद भारत में हो रहा है। जाहिर है डिजिटल लेन-देन बढ़ने के साथ-साथ डिजिटल धोखाधड़ी से सुरक्षा की जरूरत भी बढ़ गई है। इंडियन साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर के पास हर दिन सात हजार से अधिक साइबर धोखाधड़ी के शिकायतें दर्ज हो रही हैं।