आंध्रा मॉडल को आधार बना OPS और NPS के बीच का फार्मूला ला सकती है केंद्र सरकार, वित्त मंत्रालय ने शुरू की पहल
न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) की बेहतरी के लिए उसमें बदलाव को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भले ही शुक्रवार को वित्त सचिव की अध्यक्षता में कमेटी के गठन की घोषणा की लेकिन वित्त मंत्रालय में एनपीएस के स्वरूप में बदलाव को लेकर पहले से विचार विमर्श चल रहा है।
राजीव कुमार, नई दिल्ली। न्यू पेंशन स्कीम (एनपीएस) की बेहतरी के लिए उसमें बदलाव को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भले ही शुक्रवार को वित्त सचिव की अध्यक्षता में कमेटी के गठन की घोषणा की, लेकिन वित्त मंत्रालय में एनपीएस के स्वरूप में बदलाव को लेकर पहले से विचार विमर्श चल रहा है।
आंध्रा मॉडल पर चर्चा तेज
खासकर आंध्र प्रदेश सरकार की तरफ से पेंशन के नए मॉडल की पेशकश के बाद यह चर्चा और तेज हो गई। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी से आंध्रा मॉडल पर विचार को लेकर पूछे जाने पर उन्होंने कहा था कि सरकार में सबकुछ के लिए दरवाजा खुला होता है। उन्होंने कहा था कि मंत्रालय को आंध्र प्रदेश सरकार का पेंशन मॉडल मिला है और मंत्रालय उसे देख रहा है।
वित्त मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक, इस मॉडल की खास बात यह है कि यह पूरी तरह से सरकार पर भार देने वाला नहीं है, क्योंकि इसमें कर्मचारियों की तरफ से योगदान लेने का प्रस्ताव है। जबकि, ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) पूरी तरह से सरकार पर भार देने वाला है।
क्या है ओल्ड पेंशन स्कीम?
बता दें कि ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत आखिरी सैलरी का 50 फीसद पेंशन के रूप में मिलता है और ओपीएस के लिए कर्मचारी का कोई योगदान नहीं होता है। यह पूरी तरह से टैक्सपेयर्स के पैसे से दी जाती है और महंगाई भत्ता बढ़ने पर उनकी पेंशन भी बढ़ती जाती है। अभी देश में ओपीएस के तहत 70 लाख से अधिक पेंशनभोगी है, लेकिन एनपीएस के लिए कर्मचारी अपनी सैलरी की एक निश्चित राशि पेंशन फंड में जमा करते हैं और सरकार भी योगदान देती है।
वर्ष 2004 से नौकरी ज्वाइन करने वाले कर्मचारियों को एनपीएस के तहत पेंशन दी जाएगी। आंध्रा मॉडल के लागू होने से कर्मचारियों को आखिरी वेतन का 33 फीसद पेंशन के रूप में देने का प्रस्ताव है जबकि अभी एनपीएस के तहत कर्मचारियों को यह पता नहीं होता है कि रिटायर करने बाद उन्हें कितनी पेंशन मिलेगी, क्योंकि पेंशन फंड का प्रबंधन करने वाला पीएफआरडीए उनके योगदान वाली राशि को मार्केट में लगाता है और यह मार्केट लिंक्ड है।
शुक्रवार को वित्त मंत्री ने कहा कि वित्त सचिव की अध्यक्षता में जो कमेटी गठित होगी, वह पेंशन को लेकर बीच का रास्ता अपनाएगी, जिससे वित्तीय दबाव भी नहीं हो और आम नागरिक भी प्रभावित नहीं हो और वह मॉडल केंद्र व राज्य दोनों लागू कर सके। सूत्रों के मुताबिक, वित्त मंत्री की घोषणा से साफ है कि केंद्र सरकार ओपीएस के मॉडल को फिर से लागू नहीं करना चाहती है, क्योंकि यह पूरी तरह से टैक्सपेयर्स की राशि से दी जाती है, जिससे आम नागरिक का विकास प्रभावित होता है।
कर्मचारियों से लिया जाएगा योगदान
सूत्रों के मुताबिक, नए मॉडल में पेंशन के लिए कर्मचारियों से योगदान जरूर लिया जाएगा, लेकिन उन्हें स्वास्थ्य संबंधी और कई अन्य सामाजिक सुरक्षा ताउम्र दी जा सकती है। अभी केंद्र सरकार में 50 लाख से अधिक कर्मचारी कार्यरत है, लेकिन इनमें से काफी ओपीएस के दायरे में है।
हाल ही में राजस्थान, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, झारखंड जैसे राज्यों ने ओपीएस को फिर से बहाल करने की घोषणा की है जबकि महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के कर्मचारी भी ओपीएस को लागू करने को लेकर आवाज उठाने लगे हैं।