चलती बस में आग लगी तो कौन होगा जिम्मेदार? यात्रियों की सुरक्षा के लिए सरकार ने RTO को सौंपा जिम्मा
सरकार बसों में आग लगने की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त हो गई है। अब सभी बसों को बस बॉडी कोड दिशानिर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा, जिसमें आपातकालीन दरवाजे, अग्निशमन उपकरण और फायर डिटेक्शन सिस्टम शामिल हैं। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के आदेश के बाद, RTO कार्यालय अब रजिस्ट्रेशन या फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने से पहले इन नियमों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करेंगे।

बस में आग से जुड़े हादसों पर सरकार का आदेश। फाइल फोटो
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। चलती बसों में आग लगने की खबरें अक्सर सामने आती हैं। मगर, अब सरकार इसे लेकर सख्त रुख अपनाने पर विचार कर रही है। सभी बसों के लिए अब बस बॉडी कोड (Bus Body Code) के दिशानिर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा।
बस बॉडी कोड सितंबर 2025 में लागू हुआ था। कई स्लिपर और लंबी दूरी की बसें अभी भी इसके दायरे से बाहर हैं। मगर, अब आरटीओ ऑफिस रजिस्ट्रेशन करने या फिटनेस सर्टिफिकेट जारी करने से पहले इसका खास ख्याल रखने वाला है।
केंद्रीय मंत्री ने दिए आदेश
सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने इस हफ्ते राजस्थान और आंध्र प्रदेश में बैठक की थी। इस दौरान बसों में आग लगने के मुद्दे पर भी चर्चा हुई थी। ऐसे में केंद्रीय मंत्री ने सभी अधिकारियों को जरूरी कदम उठाने के आदेश दिए हैं। साथ ही उन्होंने राज्य सरकारों को भी नोटिस जारी करते हुए परिवहन नियमों का पालन सुनिश्चित करने की सलाह दी है।
क्या है बस बॉडी कोड?
बस बॉडी कोड के तहत बसों को कई शर्तों पर खरा उतरना होगा। इसके तहत बसों में आग लगने या आपात स्थिति में यात्रियों को बाहर निकालने के लिए 450 एमएम के 4 आपातकाल दरवाजे होने चाहिए। इसके अलावा बसों में फायर रेजिस्टेंट इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट, 2 फायर एक्सिंग्यूशर्स, फायर डिटेक्शन और सप्रेशन सिस्टम (FDSS) और बसों के शीशे तोड़ने के लिए हथौड़ा रखना होगा।
RTO करेगा चेक
यह नियम 2016 में ही बनाए गए थे, जो 2017 में लागू हुए थे। मगर, ज्यादातर बसों में अभी तक इन नियमों का पालन नहीं किया जाता है। मगर, अब प्रशासन ने इसे लेकर सख्त रुख अपना लिया है। सभी शहरों के RTO दफ्तरों को आदेश दिया गया है कि इन नियमों का पालन करने वाली बसों का ही रजिस्ट्रेशन या फिटनेस सर्टिफिकेट बनेगा।

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