नक्सली ही नहीं, नक्सलवाद को ही जड़ से उखाड़ने की तैयारी में सरकार, पढ़िए कैसे कसा जा रहा शिकंजा
केंद्र सरकार ने हाल के समय में नक्सलियों पर कड़ी कार्रवाई कर अपने इरादे जता दिए हैं। अब सरकार नक्सली ही नहीं नक्सलवाद को भी जड़मूल से खत्म करने की तैयारी में है। यही कारण है कि अग्रिम सुरक्षा चौकियों का ग्रिड नक्सलियों पर भारी पड़ रहा है। विकास व गरीब कल्याणकारी योजनाएं नक्सलवाद से ग्रामीणों के मोहभंग में कारगर हो रही हैं।

नीलू रंजन, जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार सिर्फ नक्सली ही नहीं, नक्सली विचारधारा को भी समूल खत्म करने की तैयारी में है। नक्सलियों को खत्म करने के लिए जहां सुरक्षा बलों की अग्रिम चौकियों का बड़े पैमाने पर स्थापना की जा रही है, वहीं नक्सल मुक्त इलाकों में विकास व गरीब कल्याण योजनाओं के सहारे लोगों को नक्सलवाद से हमेशा से दूर करने के प्रयास में भी उतनी ही मुस्तैदी के साथ जुटी है।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह खुद नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास व गरीब कल्याण योजनाओं के क्रियान्वयन की लगातार समीक्षा करते हैं। शाह ने यह भी साफ कर दिया था कि सरकार का उद्देश्य नक्सलियों को मारना नहीं, बल्कि नक्सलवाद को उखाड़ फेंकना है। दरअसल 21 जनवरी 2024 को अमित शाह ने 31 मार्च 2026 तक नक्सली समस्या से देश को पूरी तरह से निजात दिलाने के रोडमैप को हरी झंडी दी थी।
पिछले साल 58 सुरक्षा चौकियां बनाई गईं
इस रोडमैप में नक्सलियों से मुक्त इलाके में विकास व गरीब कल्याण योजनाएं भी शामिल थी। इस रोडमैप में हर तीन चार किलोमीटर के दायरे में सुरक्षा बलों की अग्रिम चौकियां बनाने का लक्ष्य रखा गया था। इसके तहत 2024 में 58 सुरक्षा चौकियां बनाई गईं और 2025 में 88 नई सुरक्षा चौकियों का निर्माण किया जा रहा है।
हर चार किमी के दायरे में सुरक्षा चौकियां बनने से होगा फायदा
- रोडमैप के अनुसार हर तीन-चार किलोमीटर के दायरे में सुरक्षा चौकियों के निर्माण से एक प्रकार का सुरक्षा का ग्रिड बन जाएगा और नक्सलियों को अपनी गतिविधियों के लिए कोई सुरक्षित जगह नहीं बचेगी। जाहिर है इसे नक्सली समस्या के अंत रूप में देखा जाएगा।
- अग्रिम चौकियों की स्थापना सिर्फ नक्सलियों के खिलाफ आपरेशन में मददगार साबित नहीं हो रही है, बल्कि अभी तक रोजमर्रा की जरूरतों के लिए संघर्ष कर रहे और विकास से वंचित ग्रामीणों के जीवन में भी बड़े बदलाव का वाहक बन रही है।
सुनिश्चित हो रही स्थानीय प्रशासन की पहुंच
ये सुरक्षा चौकियां पहली बार स्थानीय प्रशासन की पहुंच भी सुनिश्चित कर रहा है, जिसकी मदद से मुफ्त राशन, स्कूल, अस्पताल, पीएम आवास, नल से जल, बिजली, सड़क और मोबाइल कनेक्टीविटी की सुविधाएं भी पहुंच रही हैं। पिछले साल दिसंबर में पहली बार आयोजित बस्तर ओलंपिक की सफलता को युवाओं के नक्सलवाद से दूर से होकर मुख्यधारा में जुड़ने से जोड़कर देखा जा रहा है।
इसमें एक लाख 65 हजार युवाओं ने हिस्सा लिया था। इसके साथ ही सरकार सहकारी समितियों के माध्यम से दुग्ध उत्पादन, मधुमक्खी पालन व अन्य कुटीर उद्योगों के सहारे बारूद की गंध की जगह विकास की नई बयान लाने की भी तैयारी कर रही है।
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