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    सरकार ने शुरू किया 'टाइगर आउटसाइड प्रोजेक्ट', मानव-वन्यजीव के बीच संघर्ष होगा कम

    By Arvind PandeyEdited By: Prince Gourh
    Updated: Sun, 07 Dec 2025 10:00 PM (IST)

    वन्यजीवों की बढ़ती आबादी और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए पर्यावरण मंत्रालय ने 'टाइगर आउटसाइड प्रोजेक्ट' शुरू किया है। इसके तहत बाघों को अभयार ...और पढ़ें

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    देश में पाए जाने वाले 40 प्रतिशत से अधिक बाघ इन दिनों अभयारण्यों के बफर जोन में (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में वन्यजीवों की तेजी से बढ़ती आबादी और मानव के साथ उनके बढ़ते संघर्ष को थामने के लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय इनके बेहतर प्रबंधन में जुट गया है। इस बीच बाघों के प्रबंधन को लेकर टाइगर आउटसाइड प्रोजेक्ट नाम से एक नई मुहिम शुरू की है। जिसमें बाघ अभयारण्यों के कोर जोन से बाहर रहने वाले बाघों को अब वापस कोर जोन में लाया जाएगा।

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    हालांकि इससे पहले अभयारण्य के कोर जोन में उनके पसंदीदा भोजन की उपलब्धता को जांचा जाएगा। यदि नहीं होगी तो उसकी पूर्ति की जाएगी। माना जाता है कि बाघ अक्सर अभयारण्य के कोर जोन में भोजन की कमी होने पर या पसंद के भोजन की तलाश में बफर जोन में आते है। जहां पालतू पशुओं को आसानी से शिकार बना लेते है।

    अब तक कितने लोगों की हुई मौत?

    यह पहल तब की गई है, जब सर्वेक्षण के दौरान पाए जाने वाले कुल बाघों में से 40 प्रतिशत से अधिक अभयारण्यों के बफर जोन में पाए जा रहे है। जो अभयारण्य का बाहरी क्षेत्र होता है। जहां मानवीय गतिविधियां संचालित होती है। ऐसे में यहां अक्सर दोनों के बीच संघर्ष की स्थिति दिखाई देती है।

    बाघों व मानव के बीच इस संघर्ष की स्थिति यह है कि पिछले पांच सालों में यानी 2021 से सितंबर 2025 तक करीब 350 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं पांच सालों में अलग -अलग कारणों से करीब 650 बाघों की भी मौत हो चुकी है। यह स्थिति तब है जब देश के करीब 58 अभयारण्यों में मौजूदा समय में 3682 से अधिक बाघ होने की अनुमान है।

    मंत्रालय के मुताबिक बाघों को बफर जोन से कोर जोन में लाने की पहल मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड के कुछ चुनिंदा बाघ अभयारण्यों में शुरू हो चुकी है। जल्द ही इन्हें देश के दूसरे अभयारण्यों में भी अपनाया जाएगा।

    मंत्री ने जताई चिंता

    पिछले दिनों में राज्यसभा में मानव व वन्यजीवों के बीच बढ़ते संघर्ष को लेकर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने भी चिंता जताई थी। साथ ही बताया था कि तमिलनाडु के सलीम अली सेंटर फॉर नेचुरल हिस्ट्री परिसर में इससे निपटने के लिए एक एआई सेंटर भी बनाया गया है।

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