ब्लैक मनी: सरकार ने पूरा किया एक और चुनावी वायदा
भ्रष्टाचार और कालेधन के खिलाफ ठोस कार्रवाई के वायदे के साथ सत्ता में आई मोदी सरकार ने अपना एक चुनावी वायदा पूरा किया है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कालेधन और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के वायदे के साथ सत्ता में आई मोदी सरकार ने आखिरकार काली अर्थव्यवस्था पर निर्णायक हमला बोल दिया है। पिछले ढाई सालों में सरकार को इस मुद्दे पर बार-बार विपक्ष के हमलों का सामना करना पड़ा है। लेकिन सरकार ने कालेधन का खुलासा करने का पूरा मौका देने के बाद ही कड़े कदम की घोषणा कर दी।
विपक्ष इस फैसले से आम जनता को होने की वाली दिक्कतों का मुद्दा उठाने की कोशिश कर रही है। कांग्रेस ने खरीफ की फसल बेचने में किसानों को होने वाली दिक्कतों का हवाला देकर फैसले पर सवाल उठाया। लेकिन इसे पहले भांप चुके प्रधानमंत्री ने पहले ही साफ कर दिया कि आम जनता को इससे थोड़ी परेशानी जरूर होगी, लेकिन देश के लिए निर्णायक घड़ी में आम लोगों को थोड़ी-बहुत दिक्कतों के लिए तैयार रहना होगा।
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16 नवंबर से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है। विपक्ष के तरकश में कई तीर हैं। उसे धार दिया जा रहा है। ऐसे में कालेधन के खिलाफ बड़ी जंग का ऐलान कर सरकार ने मुद्दों का स्वरूप बदल दिया है। विपक्षी दल जेल से भागे सिमी के आतंकियों के भुठभेड़ से लेकर ओआरओपी पर पूर्व सैनिक की मौत पर संसद के भीतर सरकार को घेरने की तैयारी में थी। लेकिन कालेधन के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई विपक्ष के तमाम आरोपों पर भारी पड़ेगा।
दरअसल मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद से ही कालेधन की अर्थव्यवस्था को ध्वस्त करने का संकेत दे दिया था। मोदी मंत्रिमंडल की पहली बैठक में कालेधन के खिलाफ कार्रवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एसआइटी का गठन का फैसला किया था।
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इसके साथ ही सरकार ने विदेश और देश में कालाधन रखने वालों के खिलाफ कड़ी सजा वाले कानून भी बनाए। लेकिन जनता कालेधन वालों के खिलाफ सीधी कार्रवाई चाहती थी। यही कारण है कि माईगोव डाट इन पर कराये गए सरकार के अपने सर्वेक्षण में आम जनता ने कालेधन के खिलाफ कार्रवाई में मोदी सरकार को फिसड्डी बताया था।
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