अंतरजातीय विवाह नियमों में सरकार देगी ढील, दूसरी प्रचलित पद्धतियों से शादी करने वाले हिंदू होंगे पात्र
एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018-19 में इसके तहत सिर्फ 120 शादियां ही हो पायी थी। जबकि चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में अब तक करीब 60 विवाह हुए है।
अरविंद पांडेय, नई दिल्ली। जातीय बंधन में जकड़े समाज को एक सूत्र में पिरोने की कोशिशों को परवान न चढ़ते देख सरकार ने इससे जुड़ी योजना में बदलाव का फैसला लिया है। इसके तहत हिन्दू मैरिज एक्ट के अलावा हिन्दू विवाह की प्रचलित दूसरी पद्धतियों से भी विवाह करने वाले भी अब इसके दायरे में आएंगे। इस योजना के तहत दलित लड़के या लड़की के साथ सामान्य वर्ग की लड़की या लड़के को विवाह करना होता है। ऐसे विवाह करने वालों को सरकार ढाई लाख रुपये तक की वित्तीय मदद देती है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक अंतरजातीय विवाह योजना में बदलाव का यह फैसला तब लिया गया है, जब सरकार की तमाम कोशिशों के बाद भी हर साल ऐसी 500 शादियों का लक्ष्य हासिल नहीं हो पा रहा था।
हिंदू मैरिज एक्ट के अलावा अलग-अलग क्षेत्रों में विवाह
एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018-19 में इसके तहत सिर्फ 120 शादियां ही हो पायी थी। जबकि चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 में अब तक करीब 60 विवाह हुए है। हालांकि मंत्रालय की मानें तो उनके पास बड़ी संख्या में ऐसे भी मामले पहुंचे रहे थे, जिनमें विवाह दलित लड़के या लकड़ी के साथ ही हुआ था, लेकिन उनका रजिस्ट्रेशन हिंदू मैरिज एक्ट के अलावा अलग-अलग क्षेत्रों में विवाह की प्रचलित दूसरी पद्धतियों में दर्ज था। यानि आर्य समाज जैसी विवाह की प्रचलित व्यवस्थाओं के तहत रजिस्टर्ड हुआ था। यही वजह है कि इन्हें योजना में शामिल न करते हुए इन्हें खारिज कर दिया गया था।
यही वजह है कि मंत्रालय अब हिन्दू विवाह की सभी प्रचलित पद्धतियों के तहत होने वाले विवाहों को इस दायरे में लाने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। सरकार फिलहाल इस योजना का संचालन सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय से जुड़े अंबेडकर फाउंडेशन के जरिए संचालित करता है। इससे पहले सरकार ने इस योजना को आकर्षक बनाने के लिए इसके तहत मिलने वाली वित्तीय मदद को एक लाख से बढ़ाकर ढाई लाख किया था।
प्रमुख राज्यों को अंतरजातीय विवाह के दिए गए लक्ष्य
उत्तर प्रदेश- 102, पश्चिम बंगाल-54, तमिलनाडु-36, बिहार- 41, हरियाणा-13, दिल्ली-7, झारखंड- 10, महाराष्ट्र-33, पंजाब-22,आंध्र प्रदेश-21, मध्य प्रदेश-28, छत्तीसगढ-8 और उत्तराखंड को चार। बता दें कि राज्यों को यह लक्ष्य उन राज्यों की दलित आबादी के आधार पर तय किए गए है।
यूपी में हुए है सिर्फ नौ विवाह
योजना के तहत उत्तर प्रदेश का लक्ष्य 102 विवाह का था, जबकि 2018-19 में कुल नौ विवाह ही हो पाए थे। वहीं बिहार में एक भी अंतरजातीय विवाह नहीं हुआ। कमोवेश ऐसी ही कुछ स्थिति दूसरे राज्यों की भी थी। सामाजिक समरसता को बढ़ाने और अंबेडकर के सपनों को जमीन को उतारने के लिए केंद्र सरकार ने 2013 में यह योजना शुरु की थी।
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