Renewable Energy: हर साल 50 हजार मेगावाट रिनीवेबल ऊर्जा जोड़ने में जुटी सरकार
मंत्रालय के अधिकारी मानते हैं कि अगर वर्ष 2023-24 से हर साल 50 हजार मेगावाट की अतिरिक्त क्षमता नहीं जोड़ी जाएगी तो वर्ष 2030 तक देश में रिनीवेबल ऊर्जा से पांच लाख मेगावाट बिजली बनाने का लक्ष्य हासिल नहीं हो सकेगा।

नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। सौर, पवन जैसे रिनीवेबल ऊर्जा सेक्टर में पिछले तीन वर्षों के दौरान बहुत ही धीमी गति से हुई प्रगति के बाद केंद्र सरकार अब ज्यादा सजग नजर आ रही है। अगले पांच वर्षों तक सौर व पवन ऊर्जा से सालाना 50 हजार मेगावाट की अतिरिक्त बिजली क्षमता के लिए निविदाएं आमंत्रित करने का फैसला किया गया है।
दिक्कतों को दूर करने को लेकर गंभीर सरकार
पिछले तीन वर्षों के दौरान देश में इस सेक्टर से सिर्फ 27-28 हजार मेगावाट क्षमता जोड़ने के अनुभव को देखते हुए यह फैसला बहुत ही महत्वाकांक्षी नजर आती है लेकिन नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) मौजूदा सारी दिक्कतों को दूर करने को लेकर गंभीर नजर आ रहा है।
इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए मंत्रालय के स्तर पर इस फैसले का हर तीन महीने पर समीक्षा करने का फैसला भी किया गया है। दो हफ्ते पहले बिजली और एमएनआरई मंत्री आर के सिंह की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय बैठक में इस बारे में फैसला किया गया। दैनिक जागरण ने 27 मार्च, 2023 को ही रिनीवेबल सेक्टर की स्थिति पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी।
पीएम नरेन्द्र मोदी ने 2021 में की थी बैठक
मंत्रालय के अधिकारी मानते हैं कि अगर वर्ष 2023-24 से हर साल 50 हजार मेगावाट की अतिरिक्त क्षमता नहीं जोड़ी जाएगी तो वर्ष 2030 तक देश में रिनीवेबल ऊर्जा से पांच लाख मेगावाट बिजली बनाने का लक्ष्य हासिल नहीं हो सकेगा।
इस लक्ष्य की घोषणा पीएम नरेन्द्र मोदी ने ही ग्लास्गो में दिसंबर, 2021 में काप-26 की बैठक में की थी। वर्ष 2070 तक भारत में कार्बन उत्सर्जन को पूरी तरह से समाप्त करने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भी रिनीवेबल इनर्जी के क्षेत्र में यह काम करना होगा।
रिनीवेबल परियोजनाओं को मंजूरी मिलने से लेकर बिजली उत्पादन तक में 18 महीने से 24 महीने का समय लगता है। इसलिए अगले पांच वर्षो के भीतर 2.50 लाख मेगावाट की क्षमता लगाने के आर्डर देने होंगे। मंत्रालय के स्तर पर यह निगरानी होगी कि हर वित्त वर्ष के पहले दो तिमाहियों में 15-15 हजार मेगावाट के क्षमता की निविदाएं दी जाएं और बाद की दो तिमाहियों के लिए 10-10 हजार मेगावाट क्षमता के लिए निविदाएं जारी हो।
रिनीवेबल सेक्टर की कंपनियों को परियोजनाओं का ठेका
बिजली मंत्रालय यह भी देखेगा कि राज्यों के बीच इस बारे में बेहतर सामंजस्य स्थापित हो रहा है या नहीं और रिनीवेबल परियोजनाओं की बिजली को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने के लिए आवश्यक ट्रांसमशिन व्यवस्था हो रही है या नहीं।
इस बारे में पिछले दिनों हुई बैठक में एमएनआरई सचिव बी एस भल्ला ने कहा कि, ढ़ाई लाख मेगावाट बिजली परियोजनाओं का ठेका देने से देश में रिनीवेबल सेक्टर के उपकरण निर्माण करने वाली इकाइयों के लिए भी काफी मांग निकलेगी।
सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि रिनीवेबल सेक्टर की कंपनियों को परियोजनाओं का ठेका इस तरह से दिया जाए कि वो अपने वित्त की सुविधा का इंतजाम कर सके, अपनी बिजनेस प्लान बना सकें और सप्लाई चेन बना सकें।
बिजली मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक 28 फरवरी, 2023 तक देश में रिनीवेबल ऊर्जा से 169 हजार मेगावाट बिजली बनाने की क्षमता है। इसके अलावा 82 हजार मेगावाट की परियोजनाएं विभिन्न स्तरों पर हैं। जबकि 41 हजार मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं के लिए टेंडर जारी किये जाने हैं।
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