सरकारी कर्मचारी और साइबर ठग गिरोह की मिलीभगत, फर्जी वेबसाइट बनाकर की करोड़ों की ठगी; 6 गिरफ्तार
एक सरकारी कर्मचारी और साइबर ठग गिरोह ने मिलकर फर्जी वेबसाइट बनाई और करोड़ों रुपये की ठगी की। पुलिस ने इस मामले में छह लोगों को गिरफ्तार किया है। जांच जारी है और अन्य सदस्यों की तलाश की जा रही है।

सरकारी योजनाओं में सेंध लगाकर साइबर ठगी।
जागरण संवाददाता, जयपुर। पीएम किसान सम्मान निधि, आपदा प्रबंधन और सामाजिक सुरक्षा सहित विभिन्न सरकारी योजनाओं के सरकारी पोर्टल की फर्जी वेबसाइट बनाकर अपात्र लोगों के बैंक खातों में पैसा स्थानांतरित करवाने के मामले में पुलिस ने सोमवार को नया खुलासा किया।
जांच में सामने आया कि सरकारी योजनाओं में सेंध लगाकर आरोपित सरकारी लॉगिन आइडी और पासवर्ड हासिल कर असली डाटा डाउनलोड कर हेराफेरी करते थे। वे योजनाओं में खुद ही अपात्र लोगों के नाम से आवेदन करते थे और फिर अधिकारी की हैसियत से उसको मंजूरी भी देते थे। झालावाड़ पुलिस ने छह लोगों को गिरफ्तार करने के साथ ही दो लोगों को हिरासत में लिया है। पांच लोग फरार हैं, जिन पर 25-25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया गया है।
सरकारी योजनाओं में सेंध लगाकर साइबर ठगी
22 अक्टूबर को पुलिस ने सरकारी योजनाओं में सेंध लगाकर साइबर अपराध करने वाले गिरोह के 30 लोगों को गिरफ्तार कर 53 लाख रुपये ,35 लैपटाप, 70 मोबाइल और 14 कारें बरामद की थी। गिरोह के अधिकांश सदस्य राजस्थान में जयपुर,दौसा,भरतपुर एवं जोधपुर जिले के मूल निवासी हैं। साथ ही पंजाब और दिल्ली तक इनके संपर्क हैं।
पुलिस ने 11 हजार संदिग्ध बैंक खाते डेबिट फ्रीज करवाए
सोमवार को राज्य सरकार के नोडल अधिकारी मोहम्मद लईक, झालावाड़ जिला कलेक्टर कार्यालय के कर्मचारी रमेश, वासुदेव एवं तीन अन्य को गिरफ्तार किया गया।झालावाड़ के जिला पुलिस अधीक्षक अमित कुमार ने बताया कि मामले में अब तक 11 हजार संदिग्ध बैंक खाते डेबिट फ्रीज करवाए गए हैं, जिनमें करीब एक करोड़ रुपये मिले हैं।
उन्होंने बताया कि जांच के दौरान सामने आया कि एक ही मोबाइल नंबर से 95 अलग-अलग किसानों की आइडी बनाई गई। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि गिरोह के सदस्यों ने अपात्र लोगों को भी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सरकारी योजनाओं का लाभार्थी बनाया था। इन अपात्र लोगों के बैंक खातों से अपने खातों को जोड़ा और फिर योजनाओं का पैसा स्थानांतरित किया।

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