Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    चीनी का MSP बढ़ाने पर विचार, जनवरी 2026 में अहम फैसले ले सकती है सरकार

    Updated: Thu, 18 Dec 2025 08:57 PM (IST)

    सरकार चीनी के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को बढ़ाने पर विचार कर रही है। इस संबंध में अंतिम निर्णय जनवरी 2026 में होने की संभावना है। सरकार का यह कदम ची ...और पढ़ें

    Hero Image

    चीनी का MSP बढ़ाने पर विचार।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। केंद्र सरकार चीनी उद्योग की वित्तीय स्थिति और गन्ना किसानों के हितों को देखते हुए चीनी के न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) में संशोधन पर गंभीरता से विचार कर रही है। इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (इस्मा) की वार्षिक आम बैठक के मौके पर खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि सरकार को उद्योग की चिंताओं का पूरा अंदाजा है और अगले एक से डेढ़ महीने में इस दिशा में अहम फैसले लिए जा सकते हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सरकार का उद्देश्य अतिरिक्त चीनी स्टॉक को संभालना और किसान हितों की रक्षा करना है। इसके पहले चीनी उद्योग ने सरकार को आगाह किया था कि समय पर ध्यान नहीं दिया गया तो जल्द ही गन्ना बकाया तेजी से बढ़ना शुरू हो सकता है, जिसका सीधा असर किसानों पर पड़ेगा।

    इस स्थिति से बचने के लिए इस्मा ने मांग की है कि चीनी का एमएसपी मौजूदा 33 रुपये किलो से बढ़ाकर कम से कम 41.66 रुपये प्रति किलो किया जाए, ताकि उत्पादन लागत निकल सके और मिलों की नकदी स्थिति सुधरे।

    बैठक में गौतम गोयल की जगह नीरज शिरगांवकर को एसोसिएशन का नया अध्यक्ष और माधव बंशीधर श्रीराम को उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया । खाद्य सचिव ने आश्वस्त किया कि सरकार इसका अहसास है और समय-सीमा को ध्यान में रखकर काम किया जा रहा है, ताकि किसानों को समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जा सके।

    इस्मा के अनुसार 30 नवंबर तक सिर्फ एक राज्य महाराष्ट्र में गन्ना बकाया करीब दो हजार करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है, जबकि उत्तर प्रदेश के आंकड़े अभी पूरी तरह सामने नहीं आए हैं। देश के कुल चीनी उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत से अधिक हिस्सा इन्हीं दोनों राज्यों से आता है। ऐसे में इन राज्यों में बकाया बढ़ना बड़ी चिंता का विषय माना जा रहा है।

    उद्योग का कहना है कि चीनी मिलों पर दबाव कई वजहों से बढ़ा है। घरेलू बाजार में चीनी की कीमतों में गिरावट आई है, उत्पादन लागत ऊंची बनी हुई है और वैश्विक स्तर पर भी चीनी की अधिक उपलब्धता का असर पड़ रहा है। इसके अलावा चीनी से एथेनाल बनाने की हिस्सेदारी इस सत्र में घटकर 28 प्रतिशत रह गई है, जिससे मिलों की आय पर असर पड़ा है।

    खाद्य सचिव ने बताया कि 2025-26 सत्र में एथेनाल डायवर्जन के बाद देश में चीनी उत्पादन लगभग 343 लाख टन का अनुमान है। सरकार निर्यात समता (एक्सपोर्ट पैरिटी), बफर स्टाक और निर्यात जैसे विकल्पों पर भी नजर बनाए हुए है। सरकार का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि सीजन के अंत तक चीनी का स्टाक संतुलित स्तर पर रहे, ताकि किसानों को नुकसान न हो।

    उन्होंने चीनी उद्योग और आइसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) से मिलकर काम करने का आग्रह किया, जिससे अधिक उपज और बेहतर शुगर रिकवरी वाली किस्मों का विकास हो सके। गौतम गोयल ने कहा कि एमएसपी बढ़ाने से सरकार पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। मिलों को राहत मिलेगी और किसानों को समय पर भुगतान संभव होगा।