भारतीय भाषाओं और समावेशी विकास पर केंद्रित गूगल डीपमाइंड: डॉ. मनीष गुप्ता का बड़ा विजन
गूगल डीपमाइंड के इंडिया हेड डॉ. मनीष गुप्ता ने कहा कि एआई मानव सभ्यता के लिए महत्वपूर्ण है। डीपमाइंड का लक्ष्य है कि एआई का लाभ हर व्यक्ति तक पहुंचे। भारत में एआई मॉडल को सभी भाषाओं को समझने में सक्षम बनाने के लिए प्रोजेक्ट वाणी शुरू किया गया है। एआई का उपयोग शिक्षा स्वास्थ्य और कृषि में किया जा सकता है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दुनियाभर में चर्चा का विषय बनी जेनरेटिव एआई को लेकर गूगल डीपमाइंड के इंडिया हेड डॉ. मनीष गुप्ता ने कहा है कि एआई मानव सभ्यता के लिए एक बड़ा टर्निंग प्वाइंट साबित होगी। जागरण मीडिया की विशेष श्रृंखला “द वर्ल्ड इज बज़िंग अबाउट एआई” में बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि डीपमाइंड का मकसद केवल टेक्नोलॉजी को विकसित करना नहीं, बल्कि इसे समावेशी बनाना है ताकि हर व्यक्ति तक इसका लाभ पहुंचे।
डॉ. गुप्ता ने कहा कि भारत जैसी भाषाई विविधता वाले देश में सबसे बड़ी चुनौती यही है कि एआई मॉडल सभी भाषाओं और बोलियों को सही ढंग से समझ सकें। इसी लक्ष्य के लिए प्रोजेक्ट वाणी की शुरुआत की गई, जिसके तहत देशभर के जिलों से लोकल भाषाओं का स्पीच डाटा संग्रहित किया जा रहा है। अब तक 143 जिलों से 100 से अधिक भाषाओं का डाटा जुटाया जा चुका है। उन्होंने बताया कि इस डाटा को सरकारी भाषण प्रोग्राम के तहत ओपन सोर्स किया गया है, जिससे स्टार्टअप्स और शोधकर्ता नए मॉडल बना सकें।
डीपमाइंड भारतीय संदर्भ में ऊर्जा और हार्डवेयर की चुनौतियों को भी सुलझा रहा है। जेनरेटिव एआई मॉडल भारी मात्रा में बिजली और महंगे सर्वर पर चलते हैं, लेकिन टीम ने ऐसे इनोवेशन पर काम किया है जिससे लागत और ऊर्जा खपत कम की जा सके। इसका लक्ष्य है कि भारत की डेढ़ अरब आबादी भी एआई का लाभ बिना अतिरिक्त बोझ के उठा सके।
डॉ. गुप्ता ने बताया कि एआई का सबसे बड़ा उपयोग शिक्षा, स्वास्थ्य और कृषि में हो सकता है। उन्होंने उदाहरण दिया कि किस तरह एआई आधारित मॉडल किसानों को फसल बीमा और सटीक जानकारी उपलब्ध कराने में मदद कर सकते हैं। वहीं, एनजीओ अरमान के साथ मिलकर चलाए गए हेल्थ प्रोग्राम ने गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य नतीजों में सुधार दिखाया है।
भविष्य की संभावनाओं पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि आने वाले 3-5 सालों में एआई मॉडल केवल बातचीत तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि इंसानों के लिए फैसले लेने और एक्शन करने में भी मदद करेंगे। साथ ही वैज्ञानिक शोध में भी एआई क्रांतिकारी बदलाव लाएगा, जिससे भारत जैसे देश को बड़ा फायदा मिल सकता है।
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