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    जानें- धरती से दूर मौजूद ग्‍लीज 486 की खोज के बाद क्‍यों बढ़ी है वैज्ञानिकों की इसपर दिलचस्‍पी

    वैज्ञानिकों की निगाह धरती से 26.3 प्रकाश वर्ष दूर एक ऐसे ग्रह पर लगी है जिसको वो सुपरअर्थ कह रहे हैं। हालांकि वैज्ञानिकों का ये भी मानना है कि इस ग्रह पर जीवन की संभावना कम ही है।

    By Kamal VermaEdited By: Updated: Tue, 09 Mar 2021 09:56 AM (IST)
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    ग्‍लीज 486 की खोज के बढ़ी वैज्ञानिकों की इसपर दिलचस्‍पी

    नई दिल्‍ली (ऑनलाइन डेस्‍क)। इंसान वर्षों से इस ब्रह्मांड में इस बात की खोज कर रहा है कि क्‍या कोई उसके अलावा भी यहां पर है। साथ ही इस बात की भी खोज जोर-शोर से चल रही है कि क्‍या किसी भी दूसरे ग्रह पर जीवन मौजूद है। मंगल ग्रह के बारे में कहा जाता है कि उसके हालात काफी कुछ धरती से मिलते हैं। इसलिए वहां पर रहने लायक स्थिति हो सकती है। इसकी तरह से दूसरे ग्रहों पर भी खोज जारी है। इस बीच वैज्ञानिकों ने एक ऐसे नए ग्रह की खोज की है जिसको सुपरअर्थ या एक्‍सोप्‍लानेट बताया जा रहा है।

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    आपको बता दें कि ये पृथ्वी के सौर मंडल के बाहर मौजूद ग्रह होते हैं। इसको वैज्ञानिकों ने ग्लीज 486 बी का नाम दिया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि इस पर हालात पृथ्‍वी की ही तरह मेल खाते हैं। इन वैज्ञानिकों का ये भी कहना है कि भले ही यहां पर जीवन न हो लेकिन इससे उन्‍हें कई तरह के सवालों का जवाब तलाशने में मदद जरूर मिल सकती है।

    पृथ्वी के सौर मंडल के पास खोजे गए इस नए ग्रह की सतह का तापमान धरती के सबसे करीबी ग्रह शुक्र से कुछ ज्‍यादा ठंडा है। वैज्ञानिकों को ये भी लगता है कि एक्‍सोप्‍लानेट के बारे में और अधिक जानने का ये एक अच्‍छा मौका हो सकता है। जर्मनी के मैक्स प्लैंक खगोलशास्त्र संस्थान के रिसर्चर के मुताबिक ग्लीज 486 बी पर जीवन की मौजूदगी के संकेत काफी कम हैं, क्‍योंकि वो अपेक्षाकृत काफी गर्म और सूखा है। हालांकि ऐसी संभावना जरूर है कि इसकी सतह पर लावा की नदियां हों। वैज्ञानिकों की राय में धरती से मौजूदगी और इसके वातावरण के धरती की ही तरह होने के चलते इसको वो रिसर्च के लिए एक आदर्श जगह मानते हैं।

    वैज्ञानिकों का कहना है कि इसका अध्‍ययन ऐसे टेलिस्‍कोप से किया जा सकता है जो धरती और अंतरिक्ष दोनों जगहों से समान तरह से काम कर सके। अगली पीढ़ी के ऐसे ही टेलिस्‍कोप की शुरुआत नासा करने वाला है। इसका नाम जेम्स वेब अंतरिक्ष टेलिस्कोप है। इस टेलिस्‍कोप की मदद से वैज्ञानिक सुपरअर्थ की नई जानकारियों के बारे में अवगत हो सकेंगे। इस खोज में ऐसे वो सभी ग्रह भी शामिल हो सकते हैं जहां पर जीवन की संभावना लगती है।

    सुपर अर्थ ऐसे ग्रहों को कहा जाता है जिनका मास पृथ्‍वी से अधिक होता है लेकिन, नेप्चून और यूरेनस से कम हो। ग्‍लीज 486 बी की बात करें तो वो इस परिभाषा पर खरा उतरता है। दरअसल, उसका मास पृथ्वी से करीब 2.8 गुना बड़ा है और ये धरती से 26.3 प्रकाश वर्ष की दूरी पर स्थित है। साइंस मैग्‍जीन में प्रकाशित इस रिसर्च के प्रमुतख वैज्ञानिक त्रिफोनोव फिलहाल इस बात को नहीं मान रहे हैं कि यह रहने लायक नहीं है। उनका कहना है कि जिस तरह से हम धरती पर रहते हैं ये उस तरह का तो नहीं है। वहां पर यदि कोई वातावरण है भी तो वो काफी छोटा ही है।

    वहीं एक अन्‍य वैज्ञानिक और इस रिसर्च पेपर के सहायक लेखक होसे काबालेरो इसको लेकर काफी उत्‍साहित दिखाई देते हैं। उनका कहना है कि ग्लीज 486 बी वैज्ञानिकों के लिए एक्सोप्लानेटों की रिसर्च का एक रोसेटा स्‍टोन बन जाएगा, जो काफी प्राचीन होते हैं और जिसकी मदद से विशेषज्ञों ने मिस्र की चित्रलिपियों को समझा था। गौरतलब है कि वैज्ञानिक अब तक 4,300 से अधिक सुपरअर्थ को तलाश कर चुके हैं। इनमें से कुछ ग्रहों जुपिटर की तरह गैसों से बने हैं तो कुछ पर धरती की तरह बड़ी-बड़ी चट्टान हैं।

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