गिफ्ट-ए-डेस्क अभियान, एक विचार ने दूर कर दी 50 हजार बच्चों की कठिनाई, स्कूलों में पहुंचाए गए 7600 डेस्क-बेंच
सिवनी कलेक्टर संस्कृति जैन ने गिफ्ट ए डेस्क अभियान शुरू किया जिससे छह सौ स्कूलों के 50 हजार छात्र-छात्राओं को 7600 डेस्क-बेंच उपलब्ध कराए गए। इससे बच्चों का उत्साह बढ़ा लिखावट सुधरी और स्कूल आने में रुचि बढ़ी। सितंबर तक 10 हजार डेस्क-बेंच का लक्ष्य है। सुगम कक्षा से सरल शिक्षा मंत्र के साथ शुरू हुई इस पहल में जनसहयोग से स्कूलों में डेस्क-बेंच दिए जा रहे हैं।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सीलन भरी जमीन पर घंटों बैठकर पढ़ाई करना, पूरी तरह झुककर लिखना और बार-बार सिर उठाकर ब्लैक बोर्ड की ओर देखना.. यह सब होता था सरकारी स्कूलों में। टाटपट्टी पर बैठे बच्चों ने सोचा भी न था कि कभी उन्हें डेस्क-बेंच भी उपलब्ध हो पाएंगे।
सिवनी कलेक्टर संस्कृति जैन ने बच्चों की इस परेशानी को समझा और गिफ्ट ए डेस्क अभियान शुरू किया। इसका असर यह हुआ कि जनसहयोग से छह सौ स्कूलों में 7600 डेस्क-बैंच उपलब्ध कराए जा चुके हैं और 50 हजार छात्र-छात्राएं इसका लाभ उठा रहे हैं। इससे बच्चों का उत्साह बढ़ा, उनकी हैंड राइटिंग सुधरी और स्कूल आने में भी रुचि बढ़ गई। सितंबर तक डेस्क-बैंच की संख्या 10 हजार तक करने का लक्ष्य है।
कलेक्टर संस्कृति जैन ने 'सुगम कक्षा से सरल शिक्षा' का मंत्र देकर अप्रैल माह से यह पहल शुरू की। दो हजार से अधिक प्राथमिक सरकारी स्कूलों में दर्ज बच्चों की संख्या की जानकारी जुटाई गई। 20 दर्ज संख्या या उससे अधिक वाले स्कूलों को अभियान में शामिल किया गया। विभागीय कार्यों के बाद अतिरिक्त समय देकर शासकीय अमले को नि:स्वार्थ भाव से सहयोगी बनने के लिए प्रेरित किया गया। स्कूलों में भी शिक्षक व स्थानीय लोगों ने डेस्क-बेंच उपलब्ध कराने शुरू कर दिए। इस तरह बगैर किसी सरकारी आर्थिक सहायता के यह अभियान अब जनसहयोग से चल पड़ा है।
यह है लक्ष्य: 1326 स्कूल में 20 हजार से अधिक डेस्क-बैंच की व्यवस्था का लक्ष्य है, जिसे इस वर्ष में पूरा करना है। अब तक पांच माह में 50 हजार विद्यार्थी लाभान्वित हुए हैं। सितंबर 2025 तक डेस्क-बेंच की उपलब्धता 10 हजार से अधिक पहुंचाने का लक्ष्य है।
ये उपाय किए: स्थानीय लोगों की जनभागीदारी को बढ़ाने https://sites.google.com/view/gift-desk/home वेबसाइट बनाई गई। वेबसाइट से दानदाता चयनित स्कूलों को विद्यार्थियों की उम्र, ऊंचाई के अनुरूप दो अलग-अलग साइज में डेस्क-बेंच उपलब्ध करा रहे हैं। वह फर्नीचर विक्रेताओं को आर्डर देने के साथ भुगतान भी स्वयं कर रहे हैं। सारे तकनीकी काम को करने के लिए बाकायदा काल सेंटर बनाया गया है। निर्माता भी सिर्फ लागत मूल्य 2200 रुपये में एक डेस्क-बेंच उपलब्ध करा रहे हैं।
पहले यह थी स्थिति: गांव और शहरी क्षेत्र में संचालित सरकारी स्कूलों में भी फर्नीचर की उपलब्धता ना के बराबर थी। जिले के दो हजार में से केवल 174 स्कूलों में पहले से फर्नीचर उपलब्ध थे जो सांसद या विधायक निधि अथवा किसी दानदाता से मिली राशि से खरीदा गया था।
विदेशों से बढ़े मदद के हाथ, आगे आए संगठन
अभियान से विभिन्न संगठनों के अलावा समाजसेवी, व्यवसायी और विभिन्न वर्गों के लोग जुड़े। जिले, प्रदेश व देश-विदेश से लोग मदद के आगे आए। डेस्क गिफ्ट देने वालों में विख्यात हास्य कलाकार अहसान कुरैशी शामिल हैं। इटली, अमेरिका, अटलांटा, जार्जिया, फिनलैंड व जर्मनी सहित विश्व के कई देशों से लोग मदद पहुंचा रहे हैं। डेस्क पर गिफ्ट देने वाले का नाम भी लिखा जाता है। सभी को कलेक्टर संस्कृति जैन द्वारा प्रमाण पत्र दिया जा रहा है। यही वजह है कि कुछ माह में ही अभियान रंग दिखाने लगा।
50 प्रतिशत बच्चे जमीन पर बैठते थे
शहर के वीआइपी क्षेत्र में संचालित शासकीय महात्मा गांधी हाई स्कूल में नर्सरी, केजी 1, केजी-2, प्री-प्राइमरी और कक्षा एक से पांच तक प्राथमिक कक्षाएं संचालित हैं। प्राचार्य रश्मि गौर ने बताया कि स्कूल में 96 बच्चे अध्ययनरत हैं। अभियान के तहत 36 डेस्क-बेंच मिलने से बच्चों को फर्श में बैठने से होने वाली कठिनाई दूर हो गई है। डेस्क-बेंच मिलने पर बच्चों में ज्यादा उत्साह देखने को मिल रहा है और उपस्थिति भी बढ़ गई है।
जबकि कुछ वर्षों पहले 50 प्रतिशत बच्चों को जमीन पर बैठना पड़ता था। वहीं पुलिस लाइन प्राथमिक स्कूल की प्रधान पाठक अल्पा शर्मा ने बताया कि पुराने फर्नीचर की ऊंचाई अधिक होने के कारण बच्चे उसमें ठीक तरह नहीं बैठ पाते थे। अभियान में मिले छह डेस्क-बैंच से बच्चों की समस्या हल हो गई है। बच्चों की लिखावट में सुधार हुआ है तो ब्लैक बोर्ड पर लिखी गई बातों को देखने, पढ़ने में आसानी होती है।

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