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    अहमदाबाद डिजाइन वीक में शामिल हुए जनरल नरवणे, कहा- रक्षा क्षेत्र में डिजाइन और इनोवेशन के लिए ‘इलेक्ट्रिक’ है भविष्य

    By Amit SinghEdited By:
    Updated: Sat, 26 Feb 2022 07:46 PM (IST)

    जनरल एम एम नरवणे शनिवार को अहमदाबाद डिजाइन वीक कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में उन्होंने कहा कि रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र भविष्य इलेक्ट्रिक और लघुकरण है। तीन दिनों तक चलने वाले इस डिजाइन वीक का आयोजन अहमदाबाद की कर्णावती यूनिवर्सिटी में किया जा रहा है।

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    अहमदाबाद डिजाइन वीक में शामिल हुए जनरल नरवणे (फाइल फोटो)

    अहमदाबाद, पीटीआई: भारतीय थल सेनाध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे शनिवार को अहमदाबाद डिजाइन वीक कार्यक्रम में शामिल हुए। कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में उन्होंने कहा कि रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र भविष्य 'इलेक्ट्रिक' और 'लघुकरण' है। तीन दिनों तक चलने वाले इस डिजाइन वीक का आयोजन अहमदाबाद की कर्णावती यूनिवर्सिटी में किया जा रहा है।

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    जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने की अपील

    जनरल नरवणे ने इलेक्ट्रिानिक चीजों के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि हमें जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करनी होगी साथ ही जहाजों और विमानों के आकार को छोटा करने की जरूरत है। छोटी जगहों में ज्यादा सुविधाएं देकर हम इनका भरपूर इस्तेमाल कर सकते हैं। रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्र में डिजाइन और इनोवेशन के भविष्य को लेकर उन्होंने कहा कि हमें मुख्य रूप से दो चीजों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है। पहली यह कि आने वाला वक्त इलेक्ट्रिानिक चीजों का है।

    बिजली उत्पादन के लिए वैकल्पिक रास्ते अपनाएं

    सेनाध्यक्ष ने कहा कि इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के अलावा, जिसके लिए केंद्र ने एक स्पष्ट रोडमैप बनाया है। उसमें ‘इलेक्ट्रिक-आधारित चीजों’ को इस्तेमाल करने पर जोर दिया गया है। ताकि हम जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता को एक बड़े स्तर तक कम कर सकें। देश के सीमावर्ती इलाकों का जिक्र करते हुए जनरल ने कहा की, वहां बिजली की सुविधा नहीं होने के कारण हजारों की तादाद में जनरेटर रखे गए हैं। जो ईंधन जैसे डीजल का पैट्रोल से चलते हैं, इस ईंधन को उन इलाकों तक पहुंचाने के लिए परिवहन की जरूरत पड़ती है। जिसमें अलग से और अधिक खर्चे आते हैं, उन्होंने बताया की सीमावर्ती इलाकों में एक युनिट बिजली पैदा करने की लागत, सामान्य 15 फीसदी तक अधिक है। उन्होंने सवाल करते हुए कहा कि हमें उन सभी इलाके के लिए वैकल्पिक रास्ते खोजने की जरूरत है, जहां बिजली उत्पादन की समस्या है। ताकि हम जीवाश्म ईंधन पर अपनी निर्भरता को कम कर सकें।