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    भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन की दिशा में बड़ी उपलब्धि, गगनयान की उड़ान के लिए इंजन तैयार; ISRO ने दी जानकारी

    Updated: Sat, 12 Jul 2025 11:30 PM (IST)

    भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गगनयान मिशन के लिए सर्विस मॉड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम का सफलतापूर्वक विकास किया है। 350 सेकंड तक चले हॉट टेस्ट में सिस्टम ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया। यह प्रणाली जो दो प्रकार के ईंधन का उपयोग करती है मिशन को कक्षा में स्थापित करने नियंत्रित करने और आपात स्थिति में अंतरिक्ष यात्रियों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

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    इसरो ने गगनयान मिशन के लिए सर्विस मॉड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम का किया सफल परीक्षण। (फाइल फोटो)

    पीटीआई, बेंगलुरु। इसरो ने गगनयान मिशन के लिए सर्विस माड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम को सफलतापूर्वक विकसित कर लिया है। इस सिस्टम का 350 सेकेंड तक हॉट टेस्ट किया गया, जो सफल रहा। यह भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन की दिशा में बड़ी उपलब्धि है।

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    भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने शनिवार को कहा, 'योग्यता परीक्षण कार्यक्रम'(क्वालिफिकेशन टेस्ट प्रोग्राम) पूरा करने के साथ ही गगनयान मिशन के लिए 'सर्विस मॉड्यूल प्रोपल्शन सिस्टम' (एसएमपीएस) को विकसित कर लिया गया है।

    सिस्टम का किया गया हॉट टेस्ट

    शुक्रवार को इस सिस्टम का 350 सेकेंड तक पूर्ण अवधि का 'हॉट टेस्ट' किया गया। वास्तविक परिस्थिति में किया जाने वाला इस परीक्षण का मकसद यह देखना था कि अगर उड़ान के दौरान कोई गड़बड़ी हो जाए और मिशन को बीच में रोकना पड़े (जिसे 'मिशन एबार्ट' कहा जाता है), तो यह सिस्टम सही तरीके से काम करता है या नहीं। गगनयान मिशन भारत का पहला मानव अंतरिक्षयान मिशन है।

    गगनयान का सर्विस मॉड्यूल दो तरह के ईंधन से चलता है

    इसरो ने बयान में कहा, परीक्षण के दौरान प्रणोदन प्रणाली का समग्र प्रदर्शन पूर्व-परीक्षण पूर्वानुमानों के अनुसार रहा। गगनयान का सर्विस मॉड्यूल दो तरह के ईंधन से चलने वाला प्रोपल्शन सिस्टम है। यह आर्बिटल मॉड्यूल को सही कक्षा (आर्बिट) में पहुंचाने, उड़ान को नियंत्रित करने, जरूरत पड़ने पर गति को धीमा करने और अगर कोई गड़बड़ी हो जाए तो मिशन को बीच में रोककर अंतरिक्षयात्रियों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करता है।

    इस सिस्टम में दो खास तरह के इंजन होते हैं। लिक्विड एपोजी मोटर (एलएएम) राकेट को कक्षा में लाने और फिर धीरे-धीरे नीचे लाने में मदद करते हैं, वहीं रिएक्शन कंट्रोल सिस्टम (आरसीएस) उड़ान दिशा को बहुत सटीक तरीके से नियंत्रित करता है।

    इसरो ने इस मॉडल पर किए 25 बार परीक्षण

    इसरो ने बताया कि एसएमपीएस को परखने के लिए सिस्टम डेमोंस्ट्रेशन माडल (एसडीएम) तैयार किया गया। इसमें वह सभी हिस्से शामिल थे जो असली सिस्टम में होंगे। इस मॉडल पर इसरो ने 25 बार अलग-अलग तरह के परीक्षण किए हैं। इनमें कुछ परीक्षण सामान्य हालातों में और कुछ मुश्किल हालातों में किए गए हैं। ये परीक्षण कुल 14,331 सेकेंड तक चले।

    इसरो ने बताया कि यह प्रोपल्शन सिस्टम उसके लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर (एलपीएससी) में डिजाइन किया गया है। इसके सभी परीक्षण तमिलनाडु के महेंद्रगिरी में स्थित इसरो के प्रोपल्शन काम्प्लेक्स (आईपीआरसी) में किए गए।

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