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    G20 Summit 2023: AI का इस्तेमाल टेक्नोलाजी स्किल बढ़ाने में किया जाए, लोगों को रिप्लेस करने में नहीं

    By AgencyEdited By: Amit Singh
    Updated: Sun, 10 Sep 2023 11:50 PM (IST)

    एआई का इस्तेमाल लोगों के कौशल को बढ़ाने के लिए ही होना चाहिए। नैतिकता को ध्यान में रखते हुए एआई का विकास किया जाना चाहिए जिससे मानव अधिकार की रक्षा हो सके सभी प्रणालियों में पारदर्शिता लाई जा सके और सकारात्मक सृजन हो सके। इस बात को लेकर सहमति बनी कि इस काम के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग की जरूरत है।

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    कई जगहों पर मानव श्रम की जगह एआई का इस्तेमाल भी शुरू हो गया है।

    राजीव कुमार, नई दिल्ली। जी-20 समूह शिखर सम्मेलन के अंतिम सत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के इस्तेमाल को लेकर शीर्ष नेताओं के बीच गंभीर चर्चा की गई। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जोर देकर कहा कि एआई का इस्तेमाल टेक्नोलॉजी से जुड़े स्किल को बढ़ाने के लिए होना चाहिए न कि लोगों को रिप्लेस करने में। सर्विस सेक्टर में एआई के बढ़ते इस्तेमाल से लोगों की नौकरी जाने की आशंका पैदा हो गई है और कई जगहों पर मानव श्रम की जगह एआई का इस्तेमाल भी शुरू हो गया है।

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    वित्तीय सेवा विभाग के सचिव अजय सेठ ने रविवार को बताया कि वन फ्यूचर पर आयोजित अंतिम सत्र में प्रधानमंत्री मोदी ने इसका पुरजोर समर्थन किया कि एआई का इस्तेमाल लोगों के कौशल को बढ़ाने के लिए ही होना चाहिए। नैतिकता को ध्यान में रखते हुए एआई का विकास किया जाना चाहिए जिससे मानव अधिकार की रक्षा हो सके, सभी प्रणालियों में पारदर्शिता लाई जा सके और सकारात्मक सृजन हो सके। इस बात को लेकर सहमति बनी कि इस काम के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहयोग की जरूरत है।

    छोटे-बड़े सभी देशों को मिलेगा अवसर

    सेठ ने बताया कि जी-20 समूह की शिखर बैठक में अपनाई गई सिफारिशों के बाद वैश्विक स्तर पर लोन देने में कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा। जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों से निपटने व रिन्युएबल माध्यम को अपनाने के लिए समान रूप से वित्तीय सहायता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रति व्यक्ति 40,000 डालर की आय रखने वाले देश हो या फिर 2500 डालर प्रति व्यक्ति आय वाले, सभी के साथ एक समान व्यवहार अपनाया जाएगा। वहीं खाद्य, ईंधन व खाद जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए भी संकट व कर्ज में फंसे देशों को कर्ज दिए जाएंगे।

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    नई चुनौतियों से निपटने में होगा

    इस प्रकार की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए मल्टीलैटरल डेवलपमेंट बैंक (एमडीबी) के लिए अलग से 200 अरब डॉलर वित्त की व्यवस्था की जा रही है और इस राशि का इस्तेमाल अगले 10 सालों की नई चुनौतियों से निपटने में होगा। उद्देश्य यह है कि समृद्धि कुछ चुनिंदा देशों में ही नहीं आए बल्कि इसका समान वितरण हो। सभी देशों को गरीबी से निकाला जाए और खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। इस राशि का इंतजाम आईएमएफ व विश्व बैंक करेगा जिसमें सक्षम देश अपना योगदान देंगे।