G20 India: समृद्ध भारत के लिए बड़ी सफलता, PM मोदी के नेतृत्व क्षमता का प्रतीक बना नई दिल्ली लीडर्स घोषणा पत्र
G20 India भारत की अध्यक्षता में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान नई दिल्ली घोषणा पत्र जारी किया गया। पीएम मोदी ने शनिवार को घोषणा करते हुए बताया कि सदस्य देशों के बीच सहमति के साथ कई मुद्दों पर सहमति बनी है। जी-20 नई दिल्ली घोषणा पत्र में यूक्रेन युद्ध आतंकवाद जलवायु परिवर्तन महामारी गरीबी जैसे मुद्दों पर बनी है।
नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। भारत की राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में स्थित प्रगति मैदान में आज से दो दिवसीय जी-20 शिखर सम्मेलन (G20 Summit) का आगाज हो गया है। 9 और 10 सितंबर तक चलने वाले इस शिखर सम्मेलन (G20 Summit in India) के पहले दिन कई अहम प्रस्ताव पेश किए गए। अमेरिका (US), फ्रांस (France), जापान (Japan), कनाडा (Canada) समेत G20 देशों (G20) ने इन प्रस्तावों को अपनी मंजूरी दी। जी-20 नई दिल्ली घोषणा पत्र (New Delhi Leaders Declaration) में यूक्रेन युद्ध, आतंकवाद जलवायु परिवर्तन, महामारी, गरीबी और विवादित मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान जैसे कई अहम प्रस्तावों को पेश किया गया। हालांकि, इन मुद्दों पर सभी देशों ने सर्वसम्मति दी।
घोषणा पत्र पर सभी ने जताई सहमति
भारत की अध्यक्षता में आयोजित जी-20 सम्मेलन के दौरान नई दिल्ली घोषणा पत्र में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में सुधार, निम्न और मध्यम आय वाले देशों की ऋण कमजोरियों का प्रबंधन और कर-संबंधित जानकारी के आदान-प्रदान की शुरुआत का आह्वान किया। इसके साथ ही भारत ने वैश्विक समुदाय से अपनी बात भी मनवाई, जिसके चलते अफ्रीकी यूनियन को जी-20 नया सदस्य बनया गया। साथ ही यूरोप को जोड़ने के लिए रेल कनेक्टिविटी परियोजना का एलान भी किया गया।
- जी-20 सदस्य देशों ने जलवायु लक्ष्यों और स्वच्छ ऊर्जा प्रौद्योगिकियों को पूरा करने के लिए हर साल 4,000 अरब डॉलर की जरूरत को चिन्हित किया।
- इसके अलावा जी-20 नेताओं ने नई दिल्ली घोषणा पत्र में वृद्धि को बढ़ावा देने, असमानताओं को कम करने और व्यापक आर्थिक और वित्तीय स्थिरता बनाए रखने के लिए मौद्रिक, राजकोषीय और वित्तीय नीतियों की जरूरत को दोहराया।
- नेताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि केंद्रीय बैंक अपने संबंधित आदेशों के अनुरूप मूल्य स्थिरता हासिल करने के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध हैं। इसके अलावा सदस्य देशों के नेताओं ने वित्तीय स्थिरता बोर्ड (FSB), मानक निर्धारण निकायों (SSB) और कुछ न्यायक्षेत्रों द्वारा उठाए गए कदमों का स्वागत किया।
- जी-20 नेताओं ने एक सुर में कहा कि वे नकारात्मक जोखिमों से सुरक्षा के लिए जरूरत पड़ने पर व्यापक विवेकपूर्ण नीतियों का उपयोग करेंगे।
- इसके अलावा 2027 तक क्रिप्टो संपत्तियों पर कर संबंधित सूचनाओं का आदान प्रदान करने पर भी जोर दिया गया।
- घोषणा पत्र में कोयला आधारित बिजली, अकुशल जीवाश्म ईंधन सब्सिडी और ऊर्जा संक्रमण के प्रयासों में तेजी लाने का आह्वान किया। इसमें कहा गया है कि विकासशील देशों को अपने जलवायु लक्ष्यों के लिए 2030 से पहले करीब 5800 अरब डॉलर की आवश्यकता पड़ेगी।
- इसके अलावा दुनिया को 2050 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन लक्ष्य हासिल करने के लिए 2030 तक प्रति साल 4,000 अरब अमेरिकी डॉलर के निवेश की आवश्यकता होगी।
- साथ ही जी20 समूह ने सभी महिलाओं और बालिकाओं पर जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव को स्वीकार हुए अहम फैसला लिया। उन्होंने लैंगिक समानता को जलवायु संकट से निपटने सबंधी कदमों में तेजी लाने की बात कही।
- G20 शेरपा अमिताभ कांत के अनुसार, सदस्य देशों ने महिलाओं के सशक्तीकरण पर एक नया कार्य समूह स्थापित किया है। उन्होंने जानकारी देते हुए बताया कि ये समूह ब्राजील की अध्यक्षता में आगे बढ़ेगा।
- जी20 नेताओं ने वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) और एफएटीएफ जैसी संस्थाओं की बढ़ती संसाधन जरूरतों को पूरा करने पर भी जोर दिया। घोषणापत्र में कहा गया कि शांति के लिए सभी धर्मों की प्रतिबद्धता को स्वीकार किया जाए।
G20 समूह ने की आतंकवाद की निंदा
बता दें कि नई दिल्ली लीडर्स घोषणा पत्र में G20 समूह ने आतंकवाद की भी निंदा की। पीएम मोदी ने शनिवार को घोषणा करते हुए बताया कि सदस्य देशों के बीच सहमति के साथ कई मुद्दों पर सहमति बनी है। घोषणापत्र में कहा गया है कि आतंकवाद की कोई भी कार्रवाई आपराधिक और अवैध है। चाहे ऐसी कार्रवाई कहीं भी घटित हुई हो और किसी ने भी की हो। घोषणापत्र में कहा गया है कि शांति के लिए सभी धर्मों की प्रतिबद्धता को स्वीकार किया जाता है और आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा की जाती है।
जी20 शिखर सम्मेलन के नतीजों पर प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि जी20 नेताओं ने आतंकवाद और धनशोधन का मुकाबला करने के विषय पर भी बात की। उन्होंने कहा कि नेताओं ने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की निंदा की और माना कि यह अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरों में से एक है।
जी-20 सदस्य देशों ने कौशल कमियों को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध जताई है। इसके अलावा घोषणा पत्र में बाल श्रम और जबरन श्रम को रोकने के लिए प्रयासों को बढ़ाने पर भी सहमति बनी।
क्षेत्रीय अखंडता पर जोर
- जी20 घोषणा पत्र में सामूहिक रूप से ऊर्जा संक्रमण में तेजी लाने पर सहमति व्यक्त की गई। कहा गया कि इससे समूह देशों को जलवायु उद्देश्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी।
- जी20 घोषणा पत्र में सभी देशों से क्षेत्रीय अखंडता, संप्रभुता के सिद्धांतों को बनाए रखने की अपील की गई।
- ‘नई दिल्ली लीडर्स समिट डिक्लेरेशन’ में कहा गया कि आज का युग युद्ध का युग नहीं है और इसी के मद्देनजर घोषणापत्र में सभी देशों से क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता सहित अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों को बनाए रखने का आह्वान किया गया है।
- घोषणापत्र में कहा गया है कि युद्धों के शांतिपूर्ण समाधान के साथ-साथ कूटनीति और संवाद भी जरूरी है। इसमें यूक्रेन युद्ध के संबंध में बाली में हुई चर्चा को दोहराया गया।
- इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपनाए गए प्रस्तावों पर भी जोर दिया गया। कह गया कि सभी देशों को संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों के अनुरूप कार्य करना चाहिए।
पीएम मोदी ने जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान बताया कि सदस्य देशों के बीच सहमति के साथ ‘नई दिल्ली लीडर्स समिट डिक्लेरेशन' को सर्वसम्मति से अपनाया गया है।
घोषणा पत्र में संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुरूप का जिक्र किया गया। इसमें बताया गया कि सभी देशों को किसी भी देश की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता या राजनीतिक स्वतंत्रता के खिलाफ चेतावनी से बचना चाहिए।
तुर्किये के प्रयासों को सराहा
घोषणा पत्र के अनुसार, इस्तांबुल समझौते और तुर्किये के प्रयासों की सराहना की गई। इसमें रूस और यूक्रेन से अनाज, खाद्य पदार्थों और उर्वरकों की तत्काल आपूर्ति सुनिश्चित करने का आह्वान किया गया। उन्होंने कहा कि विकासशील और पिछड़े देशों खासकर अफ्रीका में इसकी मांग को पूरा करने के लिए यह जरूरी है।
खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा पर दिया जोर
नई दिल्ली घोषणा पत्र में खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा को बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया गया। नेताओं ने बुनियादी ढांचे पर सैन्य कार्रवाई या अन्य हमलों को रोकने का आह्वान किया। घोषणापत्र में कहा गया है कि युद्धों के शांतिपूर्ण समाधान और संकटों से निपटने के प्रयासों के साथ-साथ कूटनीति और संवाद महत्वपूर्ण हैं।
बता दें कि पिछली बार हुई G20 बैठक की तुलना में इस बार अधिक प्रस्तावों पर सहमति बनी है। पिछले नौ महीनों के दौरा भारत की तरफ से कई प्रस्ताव रखे गए। जिस पर सहमति बनी है। इन सहमतियों को नई दिल्ली घोषणा पत्र में शामिल किया गया।
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