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    G20 Delhi: दुनिया ने देखा भारत का दम, राष्ट्राध्यक्षों की पत्नियों ने कहा; नमस्ते BHARAT

    By Jagran NewsEdited By: Prince Sharma
    Updated: Sun, 10 Sep 2023 06:25 AM (IST)

    G20 Delhi जी-20 दुनिया के लिए भारत दर्शन बन गया है। समृद्ध ऐतिहासिक व सांस्कृतिक विरासत के साथ विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति से विदेशी मेहमान चकित रहे। अतिथियों ने महिला किसानों के साथ खूब बातचीत की और सेल्फी ली। इनमें जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की पत्नी योको किशिदा ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की पत्नी अक्षता मूर्ति विश्व बैंक प्रमुख अजय बंगा की पत्नी रितु बंगा इत्यादि शामिल थे।

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    G20 Delhi: दुनिया ने देखा भारत का दम, राष्ट्राध्यक्षों की पत्नियों ने कहा; नमस्ते BHARAT

    नई दिल्ली, जेएनएन नेटवर्क। जी-20 सम्मेलन दुनिया के लिए भारत दर्शन बन गया है। समृद्ध ऐतिहासिक व सांस्कृतिक विरासत के साथ विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति से विदेशी मेहमान चकित रहे। विभिन्न देशों के राष्ट्राध्यक्षों व वैश्विक संगठनों के प्रमुखों की पत्नियां शनिवार को राजधानी में जहां गईं, अतिथि देवों भव के भाव ने उन्हें अलग अनुभव दिया।

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    राष्ट्रपति की पत्नी ने कहा- जय महाराष्ट्र 

    पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में पहुंचे इन विदेशी मेहमानों ने श्री अन्न की खेती करने वाली महिला किसानों से मुलाकात की। उनसे खेतीबाड़ी के तौर तरीके व जलवायु परिवर्तन के दौर में श्री अन्न की खेती के महत्व को समझा। सुखद यह रहा कि अधिकांश मेहमानों ने हिंदी में नमस्ते भारत कहा। महाराष्ट्र की एक महिला किसान के आग्रह पर ब्राजील के राष्ट्रपति की पत्नी ने जय महाराष्ट्र कहा।

    अतिथियों ने महिला किसानों के साथ खूब बातचीत की और सेल्फी ली। इनमें जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा की पत्नी योको किशिदा, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक की पत्नी अक्षता मूर्ति, विश्व बैंक प्रमुख अजय बंगा की पत्नी रितु बंगा सहित कई महिलाएं शामिल थीं।

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    विदेश मंत्री एस जयशंकर की पत्नी क्योको जयशंकर ने सभी का स्वागत किया। प्रोटोकाल अधिकारी ने जब कहा कि ये ब्रिटेन के प्रधानमंत्री की पत्नी हैं तो उन्हें लगा कि शायद इन्हें हिंदी नहीं आती होगी, लेकिन जब अक्षता ने हिंदी में संवाद शुरू किया तो सभी काफी खुश हो गईं।

    कुटाई से लेकर पिसाई तक की ली जानकारी

    महिला अतिथियों के लिए यहां लगी प्रदर्शनी में कुटाई से लेकर पिसाई तक से जुड़ी जानकारी दशाई गई थी। कई मेहमानों ने हाथ से चलाने वाली चक्की पर हाथ आजमाया। रागी से बने पापड़, मुरमुरे, ज्वार की रोटी, बाजरे की रोटी, बाजरे का ठेकुआ में इनकी खूब दिलचस्पी दिखी।

    यहां मेहमानों के लिए श्री अन्न से बने विभिन्न व्यंजनों के स्टाल लगाए गए थे। शेफ इन व्यंजनों को इनके सामने बनाकर अतिथियों को इससे जुड़ी पूरी जानकारी भी दे रहे थे। आयोजन से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि यहां श्री अन्न की खेती से जुड़े 10 अलग-अलग राज्यों से 20 महिला किसानों को आमंत्रित किया गया था।

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    इनमें श्री अन्न के कई किस्मों के बीजों का संग्रह रखने वाली किसान लहरी बाई भी शामिल थीं। अतिथियों ने यहां पूसा फार्म का भी जायजा लिया। मेहमानों ने जयपुर हाउस में स्वादिष्ट व्यंजन का लिया आनंदएक अधिकारी के मुताबिक तुर्किये, जापान, यूके, आस्ट्रेलिया और मारीशस की प्रथम महिलाओं सहित अन्य लोगों ने एनजीएमए में प्रदर्शनी का दौरा किया। पहले इन्हें जयपुर हाउस में दोपहर के भोजन की व्यवस्था की गई थी।

    विदेशी मेहमान एनजीएमए में प्रदर्शनी देखने पहुंचे।

    इसके बाद मेहमान एनजीएमए में प्रदर्शनी देखने पहुंचे। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के तहत आने वाले एनजीएमए के पास पेंटिंग, मूर्तियां और तस्वीरों सहित कलाकृतियों का समृद्ध संग्रह है। प्रदर्शनी में हजारों वर्ष पुराने परंपरागत हथकरघा कला से डिजाइनर मनीष मल्होत्रा, रीतू बेरी, आहूजा एंड संस सुनीता नाहर द्वारा नए डिजाइन में तैयार परिधानों की जहां विशेष प्रदर्शनी की गई, तो गुजरात, उत्तर प्रदेश, ओडिशा जैसे अन्य राज्यों के परंपरागत पसमीना, पटोला, बनारसी साड़ी आदि चीजें प्रदर्शित की गईं। इसी तरह कई अन्य वस्तुएं भी प्रदर्शित की गई थीं, जिनकी राष्ट्राध्यक्षों की पत्नियों ने खरीदारी भी की।

    हजारों वर्ष पुरानी हस्तकला को सराहाकनाडा के विक्टर कोहलम हरियाणा पवेलियन में चंद्राकांत भोंडवाल द्वारा बनाए गए चंदन की लकड़ी से ¨पजरा व उसमें तोते को देखकर इस कदर चकित हुए कि बिना खरीदे उसे रह नहीं सके। इसके लिए उन्होंने 65 हजार रुपये का भुगतान किया।

    बिहार की शांति देवी ने मधुबनी पेंटिंग के जरिये चंद्रयान-3 को उकेरा है, जो शिल्प के साथ भारत की अंतरिक्ष में तेज छलांग को दिखा रहा है।

    उत्तर प्रदेश के स्टाल पर मुरादाबाद के दिलशाद हुसैन के पीतल के काम को मेहमान टकटकी लगाकर देख रहे थे। चीन के डिरेक बालेस ने वाराणसी के सिल्क उत्पादों को खरीदा।

    नगालैंड के कोन्याक जनजातियों के रंगबिरंगे आभूषण भी काफी मनमोहक

    इस पवेलियन में देश के आदिवासी समाज के उत्कृष्ट उत्पादों को प्रदर्शित किया गया है। इसमें बांस से बनी बांसुरी को रूस के राजनयिकों ने खूब लुभाया। मध्य प्रदेश की गोंड पेंटिंग और ओडिशा के कारीगरों द्वारा सौरा पेंटिंग भी बेहद लुभावनी है।

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    बोध और भूटिया जनजातियों द्वारा बुने गए लेह-लद्दाख और हिमाचल प्रदेश के पर्वतीय क्षेत्रों के अंगोरा और पश्मीना शाल की भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। नगालैंड के कोन्याक जनजातियों के रंगबिरंगे आभूषण भी काफी मनमोहक हैं।