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    G20 Summit: घोषणा पत्र के मसौदे पर भी चीन लगा रहा अड़ंगा, आम सहमति बनाने में कठिनाइयों का सामना कर रहे शेरपा

    By AgencyEdited By: Mahen Khanna
    Updated: Tue, 05 Sep 2023 04:05 AM (IST)

    G20 Summit 2023 सदस्य देशों के शेरपाओं ने आज सम्मेलन के लिए नेताओं के घोषणा पत्र के मसौदे को अंतिम रूप देने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर आम सहमति बनाने के लिए व्यापक बातचीत की। अधिकारियों ने बताया कि चीन को एजेंडे की बातों के विभिन्न पहलुओं पर आपत्ति है जिसके परिणामस्वरूप आम सहमति बनाने में कठिनाइयां हो रही हैं।

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    G20 Summit 2023 जी20 के घोषणा पत्र में चीन का अडंगा।

    नई दिल्ली, प्रेट्र। G 20 Summit in Delhi जी-20 शिखर सम्मेलन के केवल चार दिन शेष रह गए हैं। इस बीच सदस्य देशों के शेरपाओं (शीर्ष वार्ताकार) ने सोमवार को इस सम्मेलन के लिए नेताओं के घोषणा पत्र के मसौदे को अंतिम रूप देने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर आम सहमति बनाने के लिए व्यापक बातचीत की।

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    अधिकारियों ने बताया कि जी-20 शेरपाओं ने मुख्य रूप से डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के लिए वैश्विक स्तर पर स्वीकार्य शासन की रूपरेखा बनाने, महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास को सुनिश्चित करने के कदम उठाने, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वित्तपोषण और बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) को मजबूत करने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया।

    चीन को एजेंडे की बातों के विभिन्न पहलुओं पर आपत्ति

    शेरपाओं की तीन दिवसीय बैठक हरियाणा के नूंह जिले में आइटीसी ग्रैंड भारत होटल में हो रही है। बैठक की अध्यक्षता भारत के जी-20 शेरपा अमिताभ कांत कर रहे हैं। अधिकारियों ने बताया कि चीन को एजेंडे की बातों के विभिन्न पहलुओं पर आपत्ति है, जिसके परिणामस्वरूप आम सहमति बनाने में कठिनाइयां हो रही हैं।

    चूंकि जी-20 सर्वसम्मति के सिद्धांत पर काम करता है, इसलिए किसी एक सदस्य देश का अलग दृष्टिकोण बाधा उत्पन्न कर सकता है। नेताओं के घोषणा पत्र का मसौदा समावेशी व सतत विकास, हरित विकास, बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार और डिजिटल परिवर्तन जैसी भारत की प्राथमिकताओं पर आधारित है।

    अफ्रीकी संघ को शामिल करने का भी प्रस्ताव

    घोषणा पत्र के मसौदे में अफ्रीकी संघ को जी-20 की स्थायी सदस्यता देने का भारत का प्रस्ताव भी शामिल है। यह ज्ञात नहीं है कि इस प्रस्ताव पर पूर्ण सहमति है या नहीं। भारत के सामने यूक्रेन संकट का उल्लेख करने को लेकर आम सहमति बनाने की भी चुनौती है। पश्चिमी देशों और रूस-चीन गठबंधन के बीच मतभेदों के कारण भारत को इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने में कठिनाई हो रही है।

    रूस और चीन बाली घोषणा पत्र में यूक्रेन संघर्ष संबंधी दो पैरा पर सहमत हो गए थे, लेकिन इस वर्ष वे इससे पीछे हट गए हैं जिसके कारण भारत के लिए मुश्किलें पैदा हो गई हैं। वित्त और विदेश मंत्रियों की बैठक समेत भारत की जी-20 अध्यक्षता में हुईं लगभग सभी प्रमुख बैठकों में रूस और चीन के विरोध के कारण यूक्रेन संघर्ष से संबंधित किसी भी पाठ पर आम सहमति वाला दस्तावेज पेश नहीं किया जा सका।

    घोषणा पत्र पर आम सहमति मुश्किल: ब्रिटेन

    भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त एलेक्स एलिस ने सोमवार को एक समाचार चैनल से बातचीत में कहा कि जी-20 नेताओं के घोषणा पत्र पर आम सहमति बन पाना मुश्किल होगा। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ब्रिटेन जी-20 में और देशों को शामिल करने के भारत के प्रस्ताव का समर्थन करता है।